Rajneeti shayari

(1)

Bahut khoob tum ye

siyasat ka khel khelte ho

Ho desh bhakt

ye bol bol ke desh lootte ho..

बहुत खूब तुम ये

सियासत का खेल खेलते हो

हो देश भक्त

ये बोल बोल के देश लूटते हो

Badi chalaki se tum ne

khud ko chhupa rakha he.

Apne jhoote wadon se

Logon ko behla rakha he..

बड़ी चालाकी से तुम ने

खुद को छुपा रखा है.

अपने झूठे वादों से

लोगों को बेहला रखा है..

(2)

zindagi jene ka salikha

Aaj wo hame sikhate he

Pee ke do ghut sharab

Jo khud behak jate he..

ज़िन्दगी जीने का सलीखा

आज वो हमें सिखाते हैं

पी के दो घूंट शराब

जो खुद बहक जाते हैं..

(3)apni jhooti baaton se

Logon ke dil me nafrat gholte ho

Tum mujhe ye batao

Kabhi sach bhi bolte ho..

अपनी झूठी बातों से

लोगों के दिल में नफरत घोलते हो

तुम मुझे ये बताओ

कभी सच भी बोलते हो..

(4)

ham bar bar kehte rahe

Ham hindustani he

Wo baar baar hame

Dharm samjha raha tha

हम बार बार कहते रहे

हम हिंदुस्तानी हैं

वो बार बार हमें

धर्म समझा रहा था

Wo he bada mahir siyasat me apni

Wo hame baton me apni ulzha raha tha.

वो है बड़़ा माहिर सियासत में अपनी

वो हमें बातों में अपनी उलझा रहा था

Ham ek dil or ek jaan or ek ghar he

Wo apas me apna ghar batwa raha tha

हम एक दिल और एक जान और एक घर हैं

वो आपस में अपना घर बँटवा रहा था

Wo he siyasat me mahir apni

Wo hame apni siyasat me fasa raha tha..

वो है सियासत में माहिर अपनी

वो हमें अपनी सियासत में फँसा रहा था..

(5)

karo rajneeti buri chiz nahi he

Fursat mile to sochna

bhala tumne kitna kiya he..

करो राजनीति बुरी चीज़ नहीं है

फुर्सत मिले तो सोचना

भला तुमने कितना किया है

utar aye ho maidan me to

Kadam jamaye rakhna

Logon ke dil me apni

Jagha bana ke rakhna..

उतर आए हो मैदान में तो

कदम जमाए रखना

लोगों के दिल मेंं अपनी

जगह बना के रखना..

(6)

har or jeet to chalti rehti he

Kaam koi esa na karna

Muh na chupana pade Jamane se

Dil me imaan itna baki rahkna.

हार और जीत तो चलती रहती है

काम कोई ऐसा ना करना

मुँह ना छुपाना पड़े जमाने से

दिल में ईमान इतना बाकी रखना.

(7)

aaj ham nahi hare he

Khud ko logo ne hara liya

Padh kar jhoote fasaane

Sayane ne kaam apna chala liya..

आज हम नहीं हारे हैं

खुद को लोगों ने हरा लिया

पढ़ कर झूठे फसाने

सयाने ने काम अपना चला लिया..

(8)

suna tha maine wade wafa mein karke tode jate he

Azib khel khel rahe hain log milkar siyasat ka

Aaj bhari sabha me wade kiye jate he

Bhari mehfil me wade bakhoobi tode jate he

सुना था मैंने वादे वफा में करके तोड़े जाते हैं

अजीब खेल खेल रहे हैं लोग मिलकर सियासत का

आज भरी सभा में वादे किए जाते हैं

भरी महफिल में वादे बखूबी तोड़े जाते हैं

(9)

siyasat tha rasta sewa jan ki karne ka

Ab ban gaya he rasta man ki karne ka

सियासत था रास्ता सेवा जन की करने का

अब बन गया है रास्ता मन की करने का

(10)

tum apne vichar se apna vote mangna

Kasam tum he apas me logon ko mat baat na..

तुम अपने विचार से अपना वोट माँगना

कसम तुम्हें आपस में लोगों को मत बाँटना

(11)

Bik rahe he bazaro me Zameer aaj kal

Kursi ne logo ko itna khudgraj bana diya

बिक रहे हैं बाज़ारों में ज़मीर आजकल

कुर्सी ने लोगों को इतना खुदगर्ज़ बना दिया..

(12)

garib kisaan ki kheti se usko kya

Wo apni siyasat me mashgul he

Ayega kuch baras baad

Abhi chunav bhot dur he..

गरीब किसान की खेती से उसको क्या

वो अपनी सियासत में मशगूल है

आएगा कुछ बरस बाद

अभी चुनाव बहुत दूर है..

(13)

ticket to party ne diya he

vote to ham dengey.

Abhi hi batade bhaisahab

Tum party to nahi badal logey..

टिकट तो पार्टी ने दिया है

वोट तो हम देंगे

अभी ही बता दें भाईसाहब

तुम पार्टी तो नहीं बदल लोगे..

(14)

5 varsh me ate ho khud ko laddu se tulwate ho

Jeet kar chunav fir mr india ban jate ho

5 वर्ष में आते हो खुद को लड्डू से तुलवाते हो

जीत कर चुनाव फिर मिस्टर इंडिया बन जाते हो

(15)

Siyasat seva he gandhi se sekho

Baghat sing ki kurbani se sekho

सियासत सेवा है गाँधी से सीखो

भगत सिंह की कुर्बानी से सीखो

(16)

Bhala tum logon ka karo

Khud tumhara naam ho ga

भला तुम लोगों का करो

खुद तुम्हारा नाम होगा..

(17)

हमारी शान-ओ-शौकत के सामने कोई नहीं टिकता,

शहर में हमारे सब हैं ईमानदार कोई यहाँ नहीं बिकता ।

(18)

हैसियत हमारी तो कुछ भी नहीं है,

बस रहते हैं दिल में लोगों के बस हमारी पहचान यही है.।

(19)

हम को हराने की ताकत तुम में नहीं है,

सियासत है जनाब बच्चों का खेल नहीं है.।

(20)

बड़े बोल बोलने की हमारी आदत नहीं है,

झूठ बोल कर धोखा देने की हमारी आदत नहीं है.।

(21)

वादे झूठे हम किसी से नहीं करते

बात से अपनी हम कभी नहीं मुकरते,

रहते हैं हम लोगों के दिल में

सामने हो कोई भी हमारे हम किसी से नहीं डरते.।

(22)

हो कोई भी सामने हमें क्या फर्क पड़ता है

हर पांच वर्ष में यहाँ हमारे नाम का डंका बजता है.।

(23)

हौसला दिल में हम खूब रखते हैं

जीत ने का हुनर हम खूब रखते हैं.।

(24)

कोशिश तो वो खूब कर रहा है हमें शिकस्त दिलाने की.।

कोशिश उसकी बेकार होगी हमें हराने की.।

(25)

लोगों की सेवा करके हमने ये मुकाम बनाया है

नया नावेला है जो हमारे मुकाबले में आया है.।

(26)

राजनीति हम लोगों की सेवा के लिए करते हैं

सब को पता है हमारे तो नाम के सिक्के चलते हैं।

(27)

हमें हराने की ताकत होगी उनमें ये उनके विचार हैं

हमारे साथ तो लोगों का प्यार और विश्वास है.।

(28)

जो पड़ रहे हमसे लड़ने के चक्कर में

पता है हमें कोई नहीं हमारे टक्कर में.।

(29)

दिल लोगों की सेवा में लगाते हैं

हम प्यार लोगों का खूब पाते हैं.।

हमारे खिलाफ राजनीति करते हैं लोग

हमारे सामने ज़्यादा दिन टिक नहीं पाते हैं.।

(30)

वो अपनी राजनीती कर रहे है

हमें उनसे क्या लेना देना,

जीत कर हम ही आएंगे

बात इतनी सी उनको समझा देना.।

(31)

चुनाव बहुत नज़दीक हैं

नेता बन गए सब अब शरीफ हैं,

उनको अब हो गयी लोगों की फ़िक्र

नेता अब लोगों को लुभाने में मशरूफ हैं.।

(32)

इस बार का चुनाव आसान नहीं होगा

हर कोई सोच समझ कर वोट देगा,

अपने झूठे वादे झूठी कसमों से

किसी का भी अब काम नहीं चलेगा.।

(33)

चुनाव आये तो याद लोग आए

नेता फिर अपनी महँगी कारों से पैदल सफ़र पर लौट आए.।

(34)

झूठ बोलने की आदत उसने बना ली

अपनी सियासत उसने खूब जमा ली,

उसको लोगों के दुःख दर्द से क्या लेना देना

बाँट के पैसा उसने फिर कुर्सी सम्भाली.।

(35)

लोगों का हक़ दबा कर वो अपनी जेब भारता है

वो लोगों का खून चूसकर अपना पेट भरता है.।

(36)

गरीब का वो ज़रा भी मान नहीं रखता है

बस वो तो अपने काम से काम रखता है.।

(37)

बहुत घमंड है उसको खुद की सियासत पर

भूल गया है वो जनता जनार्धन को.।

(38)

दो चार बरस और तुम अपनी कुर्सी संभाल लोगे

फिर अपना बोरिया बिस्तर खुद बांध लोगे.।

(39)

झूठ का बाजार जो तुम ने सजा रखा है

लोगो को तुम ने खूब गुमराह कर रखा है,

हकीकत से हैं लोग तुम्हारी बेख़बर

तुम ने चेहरे पर अपने चेहरा लगा रखा है.।

(40)

अपना ईमान लोग चंद रुपयों में बेच देते हैं

अपने भाषण में सच बोलने की तरतीब देते हैं.।

(41)

बात गाँधी की करते हैं भगतसिंग की करते हैं

काम सारे साथ देश लूटने का मिल के करते हैं।

(42)

लोगों को बाँटकर तुम खूब सियासत करते हो

हो फरेबी तुम बड़े, लोगों से फरेब करते हो.।

(43)

कितनी दौलत का अम्बार तुम लगाओगे

पता तो तुम्हें भी होगा साथ कुछ नहीं ले कर जाओगे.।

(44)

अपनी झूठी शान की ख़ातिर कुर्सी पर अड़े हो

सुना है फिर तुम चुनाव लड़ने खड़े हो.।

(45)

अबकी बार तुम चुनाव हार जाओगे

फिर कभी अब यहाँ नज़र न आओगे.।

(46)

पिछले वादे अभी भी पूरे न हुए

अब नई कहानी सुना रहे हैं,

देश भक्त बनके अपना

नेता जी बहुत काम चला रहे हैं।

(47)

देखना लोगों अपनी झूठी कहानी फिर तुम्हें सुनाएगा

आ गये चुनाव नज़दीक तुम्हारे पास लौट कर ज़रूर आएगा,

(48)

तुम पूछोगे ये काम नहीं हुआ वो काम नहीं हुआ

लेकिन तुमको वो अपनी नयी योजना समझायेगा,

(49)

वादे करेगा फिर बड़े बड़े याद तुम भी रखना

जायेगा जीत कर तो लौट कर पांच वर्ष में ही आएगा,

(50)

तुम भी इसको इसकी तरह जवाब देना

बातें सब इसकी सुनना लेकिन जीतने का मौका अब नहीं देना

जितना भी फरेबी है वो भोला भाला आदमी

उसकी हकीकत तुम उसको भी समझा देना.।

(51)

राजनीति करके वो खूब कमा रहे हैं

घोटालों से अपने देश को खोखला बना रहे हैं,

उनको आम आदमी से क्या लेना

एक दूसरे से लोगों को खूब लड़ा रहे हैं.।

(52)

किसान क़र्ज़ में डूबा है

सरकारी खजानों को उसने खूब लूटा है,

दोस्त यार सब उसके हैं बड़े आदमी

क़र्ज़ देके वो अपने दोस्तों को खूब भूला है.।

(53)

कुर्शी को वो अपनी विरासत समझ बैठा है

शायद वो गुरुर में अपनी औकात भूल बैठा है,

अपनी कुर्सी पर कुछ ज़्यादा गुरूर कर बैठा है

कुछ वर्ष का मेहमान वो बात इतनी सी भूल बैठा है,

(54)

तुम से पहले भी थे कोई और ओहदे पर

तुम बहुत जल्दी इतिहास भूल बैठे हो,

उसकी जगहा पर बैठाने वालों को

उसकी तरह शायद तुम भी जल्दी भूल बैठे हो.।

(55)

सियासत का अब मतलब बदल गया

सेवा का रास्ता अब तिज़ारत बन गया,

सब एक से बेईमान हैं लोग यहाँ

फिर बस एक चेहरा बदल गया.।

(56)

सियासत बहुत बुरी चीज़ है

यहाँ कोई किसी का नहीं है,

बातें सबकी बड़ी बड़ी हैं

आदमी काम का कोई नहीं है.।

(57)

सियासत वो हमें अब सिखा रहे हैं

जो हमारे चेलों से क्लास लेके आ रहे हैं।

(58)

सियासत में कोई भी अब जाता है

अपने मन की सरकार चलाए जाता है,

इकोनॉमी देश की चकना चूर कर जाता है

देश के खजाने से अपनी जेब भर जाता है.।

(59)

गरीबों की परवाह आज कल कौन करता है

लाखों का सूट पहने वो घर से निकलता है.।

अब हमारी फ़िक्र यहाँ कौन करता है

किसी का बस आज कल उसपर कहां चलता है.।

हर दिन उसकी गलतियों की सजा

अब यहाँ हर कोई भुगतता है.।

(60)

इलेक्शन का दिन बहुत करीब है

नेता जी भी लोगों के बहुत करीब है,

लेनी कुर्सी फिर से नेता जी को

इसलिए समझा रहे हैं हम बहुत गरीब हैं।

(61)

इलेक्शन का रिजल्ट अब पट्टी में कैद है

आज कल की जीत हार सब फरेब है.।

(62)

इलेक्शन का माहौल क्या खूब बनाया है

हर किसी ने अपना जौहर दिखाया है.।

(63)

इलेक्शन का दिन है हम वोट देंगे

अपनी ताकत से देश को नयी दिशा देंगे.।

(64)

इलेक्शन का दिन एक त्यौहार सा लगता है

अपने हित को समझने की ताकत देता है.।

(65)

विरोधी कितना भी चिल्लाये

चाहे कितना भी झूठ बोल जाये,

हमने किया है काम अच्छा तो

हम फिर काहे किसी से घबराऐं.।

(66)

अब आया है चुनाव का वक़्त

अब आया है बदलाव का वक़्त,

अब हम सारा ग़ुस्सा निकाल देंगे

अब उसकी सारी अकड़ निकाल देंगे।

(67)

बोल ने से क्या होता है

वक़्त सब बता देगा,

हम ने किया है लोगों की सेवा

फिर हम को रब जितवा देगा.।

(68)

जीत कर सब को दिखा देंगे

अपना परचम फिर लहरा देंगे,

आ जाये अब कोई भी सामने

अच्छे अच्छे के छक्के छुड़ा देंगे.।

(69)

वक़्त है अभी इम्तिहान का

वक़्त पर अपनी ताकत सब को बता देंगे

कर ले कोई भी अभी धोखेबाज़ी

सब को उनकी औकात बता देंगे.।

(70)

की है सेवा लोगों की

तो फिर कैसा घबराना,

वापस जनता का प्यार मांग के

फिर चुनाव तुम जीत जाना.।

(71)

आर पार की लड़ाई है इस बार

बहुत तगड़ी लड़ाई है इस बार,

होगा जो भी फैसला इसबार

जीतने की कसम दिल से खाई है इस बार.।

(72)

वक़्त का तकाज़ा है

अभी उसे क्या अंदाज़ा है,

हम अपनी ताकत उसे दिखायेंगे

उसे इस कदर हराएंगे।

(73)

सियासत का खेल है

यहाँ बड़ा झमेला है,

यहाँ कोई किसी का नहीं है

यह शतरंज का खेल है।

(74)

धोखे पर धोखे होते हैं यहाँ

मौके पर मौके होते हैं यहां,

जो चल जाये चाल सही

बनती है सरकार उसकी यहाँ।

(75)

किस पर भरोसा करोगे

किस पर नज़र रखोगे,

हर पल बदलते हैं लोग यहाँ

कितना संभलकर चलोगे।

(76)

राजनीती में आना ,मक़्सद है लोगों की सेवा,

दौलत और शौहरत तो पहले ही बहुत है।।
 

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