समास किसे कहते हैं? | समास के कितने भेद हैं और कौन कौन से?

दोस्तों आज हम हिंदी व्याकरण में आपके लिए समास का विषय लेकर आये है, इसके अंतर्गत हम पढेंगे कि समास किसे कहते है?(samas kise kahate hain) समास के कितने भेद होते है और कौन-कौन से है। समास विग्रह किसे कहते है? अव्ययीभाव समास,तत्पुरुष समास,कर्मधारय समास, द्विगु समास,द्वंद समास,बहुव्रीहि समास, आदि का संछिप्तीकरण को लेकर आये है। जो ज्ञानके क्षेत्र के विस्तार के लिए उपयोगी है।

समास किसे कहते हैं?

आपस में संबंध रखने वाले जब दो या दो से अधिक शब्दों के बीच में से विभक्ति हटाकर उन दोनों शब्दों को मिलाया जाता है तब इस मेल को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में, दो या दो से अधिक शब्द मिलकर जब एक नया उस से मिलता जुलता शब्द का निर्माण करते हैं वह समास कहलाता है। समास शब्द ‘सम्’ (पूर्ण रूप से) एवं ‘आस’ (शब्द) से मिलकर बना होता है। जिसका अर्थ होता है विस्तार से कहना। और इसी के अंतर्गत समास के नियमों से बना शब्द सामासिक पद या समस्त पद कहलाता है। जैसे – देश भक्ति, चौराहा, महात्मा, रसोईघर।

सर्वप्रथम हम यह जानेंगे कि विग्रह का क्या अर्थ होता है, विग्रह का अर्थ होता है अलग करना। समास के नियमों से बने शब्द या समस्त पद के सभी पदों को अलग अलग करने की प्रक्रिया समास विग्रह कहलाती है। जैसे उपर्युक्त कुछ समस्त पद को समास विग्रह में बदलते हैं। देशभक्ति का समास विग्रह ‘देश के लिए भक्ति’ होगा। चौराहा का समास विग्रह ‘चार राहो का समूह’ होगा। समास रचना में 2 पद होते हैं। पहले को पूर्व (पहला) पद कहते हैं, वह दूसरे को उत्तरपद (बाद) कहते हैं। जैसे- धर्म ग्रंथ इसमें पूर्व पद धर्म व उत्तर पद ग्रंथ है। रथचालक इसमें पूर्व पद रथ है, और उत्तर पद चालक है। इस कारण से इनमें समास प्रक्रिया के कारण बीच की विभक्ति लुप्त हो जाती है। रथचालक में बीच की विभक्ति ‘को’ है। तथा धर्मग्रंथ में बीच की विभक्ति ‘का’ है। इसके अतिरिक्त कुछ शब्दों में विकार भी उत्पन्न हो जाते हैं जैसे – काठ की पुतली = कठपुतली। इसमें काठ ‘का’ से ‘क’ बन गया है।

समास के कितने भेद हैं/समास कितने प्रकार के होते हैं?​

समास के मुख्यतः छह प्रकार या भेद होते हैं जो निम्नलिखित इस प्रकार है–
  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. द्विगु समास
  5. द्वंद समास
  6. बहुव्रीहि समास
यदि पदों की प्रधानता के आधार पर समाज का और वर्गीकरण किया जाए तो अव्ययीभाव समास पूर्व पद प्रधान, तत्पुरुष, कर्मधारय व द्विगु समास उत्तर प्रधान पद। और अंत में बहुव्रीहि समास दोनों पद प्रधान है।

अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?​

जिस समास का पहला पद प्रधान हो या अव्यय (अविकारी) हो। तथा दूसरा पद या उत्तर पद गौण हो उसे अवयवभावी समास कहते हैं।

उदाहरण के लिए
  • शक्ति के अनुसार – यथाशक्ति
  • जन्म से लेकर – आजन्म
  • पेटभर के – भरपेट
उपर्युक्त कुछ उदाहरण में यथा, आ, भर, आदि पूर्व पद है जो प्रधान है, जबकि शक्ति, जन्म, पेट उत्तर पद जो गौण या प्रधान पद पर आश्रित हैं। अव्ययीभाव के कुछ निम्नलिखित उदाहरण इस प्रकार हैं–
  • हाथों हाथ – एक हाथ से दूसरे हाथ में
  • हरफ़नमौला – हर फन में मौला
  • अनुरूप – रूप के योग्य
  • यथासंभव – जैसा संभव हो
  • प्रतिदिन – दिन-दिन
  • बीचों-बीच – ठीक बीच में
  • आजन्म – जन्म से लेकर
  • आमरण – मरण तक

तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?​

जिस समास में बात का बाद का पद या उत्तर पद प्रधान होता है, तथा प्रथम पद गौण हो जाता है। व के अतिरिक्त दोनों पदों के बीच की कारक विभक्ति का लॉक हो जाता है तो इसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

उदाहरण के लिए
  • राजा का कुमार — राजकुमार
  • शोक से ग्रस्त — शोक ग्रस्त
  • रचना को करने वाला — रचनाकार
उपर्युक्त उदाहरण में कुमार, ग्रस्त, करने वाला आदि उत्तर प्रद हैं, और तत्पुरुष में उत्तर पद ही प्रधान होता है। तथा इन दोनों पदों के बीच की विभक्ति का,से,को आदि का लोप हो जाता है।

तत्पुरुष समास के भेद​

व्यक्तियों के नामों के क्रमौ के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं।​

  1. कर्म तत्पुरुष (द्वितीया)
  2. करण तत्पुरुष (तृतीया)
  3. संप्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी)
  4. अपादान तत्पुरुष (पंचमी)
  5. संबंध तत्पुरुष (षष्ठी)
  6. अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी)
आप हम उपर्युक्त भेदो को संक्षिप्त रूप से समझने का प्रयास करते हैं

कर्म तत्पुरुष (द्वितीया)​

इसमें 2 पदों के बीच में लगने वाली कारक चिन्ह ‘को’ गायब हो जाता है। कर्म तत्पुरुष का उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार है।

उदाहरण
  • गगन को चूमने वाला – गगनचुंबी
  • काठ को फोड़ने वाला – कठफोड़वा
  • कुंभ को बनाने वाला – कुंभकार (कुंभ को घड़ा कहते हैं)
  • रथ को चलाने वाला – रथ चालक
  • शिल्प को बनाने वाला – शिल्पकार
  • यश को प्राप्त करने वाला – यशप्राप्त
  • जेब को कतरने वाला – जेबकतरा

करण तत्पुरुष (तृतीया)​

इसमें करण कारक की विभक्ति ‘से’ के द्वारा का लोप हो जाता है। निम्नलिखित कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं

उदाहरण
  • उत्तर से पूर्व – उत्तरपूर्व
  • व्याधि से ग्रसित – व्याधिग्रसित
  • नेत्र से हीन – नेत्रहीन
  • कर्म से हीन – कर्महीन
  • रेखा से अंकित – रेखांकित
  • मन से चाहा – मनचाहा
  • वाल्मीकि द्वारा रचित – बाल्मीकि रचित
  • पद से दलित – पददलित

संप्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी)​

इसमें संप्रदान कारक विभक्ति ‘के लिए’ का लोप हो जाता है निम्नलिखित कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं

उदाहरण
  • स्वर्ग के लिए पर – स्वर्गपथ
  • स्नान के लिए घर – स्नानघर
  • पाठ के लिए शाला – पाठशाला
  • हाथ के लिए कड़ी – हथकड़ी
  • देश के लिए भक्ति – देशभक्ति
  • परीक्षा के लिए भवन – परीक्षाभवन
  • प्रयोग के लिए शाला – प्रयोगशाला
  • गौ के लिए शाला – गौशाला

अपादान तत्पुरुष (पंचमी)​

इसमें अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ (अलग होने का भाव किस चीज से) लुप्त हो जाता है। यहां पर हमें एक बात समझनी होगी। करण तत्पुरुष में ‘से’ का अर्थ अलग होता है जबकि अपादान तत्पुरुष में ‘से’ का अलग अर्थ होता है। करण तत्पुरुष में ‘से’ का अर्थ – मिलना अपादान तत्पुरुष में ‘से’ का अर्थ – अलग होना।

उदाहरण
  • धन से हीन – धनहीन
  • जल से हीन – जलहीन
  • देश से निकाला – देशनिकाला
  • गुण से हीन – गुणहीन
  • मार्ग से हीन – मार्गहीन

संबंध तत्पुरुष (षष्ठी)​

इसमें संबंध कारक की विभक्ति ‘का’ ‘के’, ‘की’ का लॉक हो जाता है’ यह विभक्ति संबंध को दर्शाता है’ संबंध तत्पुरुष के कुछ उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार हैं:

उदाहरण
  • विद्या का सागर – विद्यासागर
  • राजा का पुत्र – राजपूत्र
  • राजा का कुमार – राजकुमार
  • ग्रंथों का आलय – ग्रंथालय
  • देश की रक्षा – देशरक्षा
  • पशुओं की रक्षा – पशुरक्षा
  • पर के आधीन – पराधीन
  • जगत की जननी – जगतजननी

अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी)​

इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में’,‘पर’ का लोप हो जाता है, अधिकरण तत्पुरुष के उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार हैं:

उदाहरण
  • शरण में आगत – शरणागत
  • आप पर बीती – आपबीती
  • कला में श्रेष्ठ – कलाश्रेष्ठ
  • गृह में प्रवेश – गृहप्रवेश
  • उत्तर में प्रदेश – उत्तर प्रदेश

कर्मधारय समास किसे कहते हैं?​

जिस समास में पहला पद और दूसरे पर के बीच विशेषण विशेष्य या उपमान उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारिय समास कहलाता हैं। इसकी मुख्य पहचान है विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच में ‘है जो’ ‘के समान’ आदि आता है। दूसरे शब्दों में एक पद का दूसरे पर से तुलना की जाती है। कर्मधारय समास के कुछ उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार हैं:
  • कमल के समान नयन – कमलनयन
  • कनक की सी लता – कनक लता
  • नीला है जो कमल – नीलकमल
  • लौहा के समान है जो पुरुष – लौह पुरुष
  • विद्युत के समान है जो वेग – विद्युतवेग
  • नीला है जो कंठ – नील कंठ
  • आधा है जो मरा – अधमरा

द्विगु समास किसे कहते हैं?​

जब समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो, और उत्तर प्रधान हो वह दिगु समास कहलाता है। इसमें समूह, समाहार की आवृत्ति होती है। दिगु समास के कुछ उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार हैं:

उदाहरण
  • सात टापुओं का समूह – सप्त टापू
  • तीन रंगों का समूह – तिरंगा
  • तीन भुजाओं का समाहार – त्रिभुज
  • तीन कालो का समाहार – त्रिकाल
  • दो पहरो का समूह – दोपहर
  • सात ऋषियों का समूह – सप्त ऋषि
  • नौ प्रकार के रत्न – नवरत्न

द्वंद समास किसे कहते हैं?​

जिस समास में दोनों पद प्रधान हो और अलग करने पर ‘और’, ‘एवं’, ‘या’ , ‘अथवा’ लगता हो उसे द्वंद समास कहते हैं। द्वंद समास में दोनों पदों के बीच में ( – ) लगता है। द्वंद समास के कुछ उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार है

उदाहरण
  • दाल और रोटी – दाल-रोटी
  • पाप और पुण्य – पाप-पुण्य
  • गाड़ी और घोड़ा – गाड़ी-घोड़ा
  • शिव और पार्वती – शिव-पार्वती
  • राधा और कृष्ण – राधा-कृष्ण
  • नर और नारी – नर-नारी
  • भला या बुरा –भला-बुरा
  • हर और फन और मौला – हर-फ़न-मौला
  • तन और मन और धन – तन-मन-धन

वहुव्रिही समास किसे कहते हैं?​

जब समास के समस्त पद में कोई भी पद प्रधान नहीं हो बल्कि इसके अलावा कोई तीसरा पद वहुव्रिही समास कहते हैं। इसमें समास का अर्थ न देकर विशेष अर्थ देते हैं। वहुव्रिही समास के कुछ उदाहरण निम्नलिखित इस प्रकार हैं :

उदाहरण
  • गिरी को धारण किया है जिसने (कृष्ण) – गिरिधर
  • लंबा है उदर जिसका (गणेश) – लंबोदर
  • चक्र है पाणी में जिसके (विष्णु) – चक्रपाणि
  • मृत्यु को जीतने वाला (शिव) – मृत्युंजय
  • दस है आनन् जिसके(रावण) – दशानन
  • महान वीर है जो (हनुमान) – महावीर
  • दानवीर है जो (कर्ण) – दानवीर
  • मंत्रीयो में प्रधान है जो (प्रधानमंत्री) – प्रधानमंत्री
  • पीला है अंबर जिसका (कृष्ण) – पीतांबर
  • निशा में विचरण करने वाला (राक्षस)– निशाचर।
तो दोस्तों अब हम समास से संबंधित कुछ वैकल्पिक प्रश्नों को करेंगे। जो स्वयं को जांचने के लिए बहुत उपयोगी है।

वैकल्पिक प्रश्न​

1. दो या दो से अधिक शब्दों बने नए शब्द को कहते है?

(क) संधि

(ख) समास

(ग) संज्ञा

(घ) छंद

Ans – (ख) समास

2. पीतांबर में कौन-सा समास प्रयुक्त हुआ है?

(क) वहुव्रिही

(ख) कर्मधारय

(ग) अव्ययीभाव

(घ) तत्पुरुष समास

Ans – (क) वहुव्रिही

3. इनमे से कर्मधारय समास किसमें है?

(क) चक्रपाणि

(ख) माता-पिता

(ग) नीलकमल

(घ) चतुर्गुम

Ans – (ग) नीलकमल

4. ‘जितेन्द्रिय’ में कौन-सा समास है?

(क) बहुव्रीहि

(ख) तत्पुरुष

(ग) द्विगु समास

(घ) कर्मधारीय

Ans – (क) बहुव्रीहि

5. त्रिफला में कौन सा समास है?

(क) अव्ययीभाव

(ख) द्वंद

(ग) कर्मधारीय

(घ) द्विगु

Ans – (घ) द्विगु

6. ‘गगनचुम्बी’ में कौन-सा समास है?

(क) बहुव्रीहि

(ख) द्विगु

(ग) तत्पुरुष

(घ) कर्मधारीय

Ans – (ग) तत्पुरुष

7. ‘तन-मन-धन में कौन-सा समास है?

(क) अव्ययीभाव

(ख) द्विगु

(ग) कर्मधारीय

(घ) द्वंद

Ans – (घ) द्वंद

8. ‘मृगनयनी’ में कौन सा समास है?

(क) अव्ययीभाव

(ख) कर्मधारीय

(ग) कर्मधारीय

(घ) द्वंद

Ans – (ग) कर्मधारीय

9. समास का शाब्दिक अर्थ होता हैं?

(क) विस्तार

(ख) विग्रह

(ग) विच्छेद

(घ) संछिप्त

Ans – (घ) संछिप्त

10. निशाचर में कौन-सा समास है?

(क) नञ़

(ख) बहुव्रीहि

(ग) अव्ययीभाव

(घ) द्विगु

Ans – (ख) बहुव्रीहि

दोस्तों हमने इस लेख में समास किसे कहते है और उनके भेदों को उदाहरण सहित पढ़ा। और उसके साथ कुछ इससे संबंधित वैकल्पिक प्रश्नो को भी देखा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो आप अपनी प्रतिक्रिया कमैंट्स के द्वारा दे।
 

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