बलिया 1 नवम्बर सन् 1879 में गाजीपुर से अलग हुआ। लगातार अशान्त रहने के कारण अग्रेजों ने इसे गाजीपुर से अलग कर दिया। 1942 के आंदोलन में बलिया के निवासियों ने स्थानीय अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंका था। चित्तू पांडेय के नेतृत्व में कुछ दिनों तक स्थानीय सरकार भी चली, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने वापस अपनी सत्ता कायम कर ली।भारत के पूर्व प्रधान मन्त्री चन्द्रशेखर भी इसी जिले के मूल निवासी थे। आपात काल के बाद हुई क्राति के जनक तथा महान स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण भी इसी जिले के मूल निवासी थे। समाजवादी चिंतक तथा देश में ‘छोटे लोहिया’ के नाम से विख्यात जनेश्वर मिश्र भी यही के निवासी थे। वीर लोरिक का इतिहास इस जिला से जुड़ा हुआ है उनकी वीरता के बारे में ये कहा गया है कि उन्होंने अपनी तलवार से ही पत्थर को दो हिस्सों में अलग अलग कर दिया आज भी वह पत्थर मौजूद है बलिया को बागी बलिया के नाम से भी जाना जाता है। प्रमुख नेताओ में स्व गौरी शंकर भइया , काशीनाथ मिश्र , मैनेजर सिंह, सांसद भरत सिंह रामगोविन्द चौधरी , अतुल कुमार सोनी आदि प्रसिद्ध है यहाँ पर वीर कुवर सिंह का ननिहाल भी हैं। बलिया का चुनावी इतिहास भी काफी रोचक रहा है पहले यहाँ विधान सभा की आठ सीटे थी पर वर्तमान समय मे सात सीटे है।
हमसे पूछो हमने इसे बहुत करीब से जाना है
जितनी प्यारी बोली है उतना ही कड़क स्वभाव है
मुस्कुराइए आप बलिया में हैं,
यही हमारे स्वागत करने का अंदाज है।
धीरे धीरे हम तुम्हे अपनी मोहब्बत दिखाएंगे।
मिलना कभी हमसे, तुम्हे हम अपना बलिया घुमाएंगे।।
#UP60
मै जब भी तुझे देखू, बचपन की यादों में पड़ जाऊ…।
बस तेरे, एक नाम बस के दीदार से, बलिया हो जाऊ…।।
#बलिया_जहां_मै_विचरता_हूं
जहाँ गीत – गजलें साथ में सब को सुनाई दे,
बलिया मजहब से परे मुझको दिखाई दे।
सुगन्धित इत्र और बलिया वाला मित्र,
बड़े किस्मत वालों को ही मिलते हैं।
चलो लाज्मी था तेरे शहर बलिया आना,
कुछ सीखा हो या ना सीखा हो पर संभलना जरूर सीख लिया।
बलिया की गलियों में मैंने अपने जीवन को संवारा हैं,
बड़े दिन से जमे हो तुम वहाँ, क्या हाल तुम्हारा हैं।
बदला नहीं लेते, बदल जाते हैं।
दूसरे शहरों में:- तू जानता है मेरा बाप कौन है…?
बलिया में:- तोहू के मारब तोरे बापो के…
नही त भाग जा इहा से…
भाई साहब बलिया के लोग, परिवार के लिए जान दे सकता है,
पर लिट्टी चोखा में हिस्सा बिलकुल नही

दाल भात खा कर दोपहर में मगरमच्छ की तरह सोना,
ये हर बलिया वालों के खून में पाया जाता है।
बलिया में रहकर अगर 82 पुल पर फोटो नहीं खिचाई,
तो बाबा तुम्हारा बलिया में रहना ब्यर्थ हो गया।
तेरा हाथ थाम कर बलिया की राहों पर चलना चाहता हूं?
फिर खुशी मिले या दुख ये मेरा नसीब हैं।
ज़िक्र ए चाय हो….और लब खामोश रहें??
क्या बात करते हो जनाब
बलिया की पहचान है ये
हो गए मजबूर दाने दाने के लिए,
चार कंधे भी नहीं मिले अर्थी उठाने के लिए,
छोड़ कर आए थे जो बलिया को पिछड़ा बोल कर
आज तड़प रहे हैं बलिया जाने के लिए।
खुशहाली से भरा वो बलिया मेरा हैं।
बलिया में, पैसे से जेब हल्की और दिल के बड़े होते है,
गैरों के मुसीबत में भी अपनों की तरह खड़े होते है।
माना शहर में तुम्हारा वो तरक्की वाला मकान है,
मगर बलिया में गरीबों के जीवन में भी सुकून और शान है।
खुदा से ही इतनी ताकत पाते है,
बलिया वाले हर मुसीबत से लड़ जाते है।
जो लोग दिल्ली की दवा से ठीक नही हो पाते है,
वो लोग अक्सर बलिया की हवा से ठीक हो जाते है।
दिल खुश हो जाता है बलिया के ददरी मेले में,
ख़ुशी का पता ही नही शहर के झमेले में।
जो कल तक टूटा सा था वो जुड़ रहा है,
अब जाकर विकास बलिया की ओर मुड़ रहा है।
मेरी शहर सी ज़िंदगी में,
वो एक बलिया सी है।
शांत, स्वच्छ और मासूम।
बलिया और दिल्ली के लोगों में
उतना ही अंतर होता है
जितना धरती और गमले में
उगे हुए पौधे में होता है।
यूँ तो समेट लाए हर चीज़ बलिया से मगर,
धागे तुम्हारे नाम के बरगद पे ही रह गए
ये दौड़ता हुआ शहर है जनाब,
चलना हो तो बलिया आओ कभी।
दरवाजे से छुपकर देखती है वो रोज मुझे,

ये बलिया का इश्क है जनाब, दिल्ली की नौटंकीयां नहीं..!!
बंद कमरों में कहाँ ऐसी सदाएं होंगीं,
ये मेरे बलिया के बरगद की हवांए होंगी।
दिल्ली की दवा और बलिया की हवा बराबर होती है।
हमारे लिए तो बलिया हमारी ज़िंदगी है साहब।
हसरते बनारस,
बसरते गोरखपुर,
सुरमयी है देवरिया,
और कातिलाना बलिया।

मैं – ले जाइए__ उत्तर प्रदेश के बलिया जिला में रहती है
बलिया जिला नाम ही काफी हैं।
वीरों का बस्ती जवानों का देश,
बागी – बलिया उत्तर प्रदेश।
बलिया जिला की ताकत से पुरा ब्रह्मांड डोलता हैं,
ये हम नही हमारा इतिहास बोलता हैं।
तीन ही उसूल हैं हमारे जिले के,
आवेदन, निवेदन और फिर भी न माने तो दे दना दन।
अक्सर हम हमारा परिचय नहीं देते
लोग हमारी देशभक्ति देख कर ही कह देते है , बलिया जिला से आएं है।
मान मर्यादा अनुशाशन, यही पहचान हमारी है।
बलिया से हैं हम, उची शान हमारी है।
इ बलिया हऽ ऐ बाबू एनकाउंटर भी होई और पोस्टमार्टम भी हो जाई

बलिया के हई घर में घुस के मार देब।
बलिया से हैं..,
तो चर्चे हर जगह होंगे ही..।
बलिया वाले हैं ना जनाब,
इसलिए दिल थोड़ा जल्दी लगा लेते हैं,
लेकिन जिस दिन दिमाग लगाएँगें,
उस दिन औकात दिखा देंगे।
#बलिया जिला
सच्चे प्यार के लिए कुर्बान हैं बलिया,
यारों के लिए यार हैं बलिया,
दुश्मनों के लिए तुफान हैं बलिया,
इसलिए तो लोग कहते हैं बाप रे खतरनाक हैं बलिया।
इंकलाबी हमीं से हैं,
इंकलाब हम लायेंगे,
किसी भी कीमत पर,
हवाईअड्डा यहां बनायेंगे।
डर मत पगली बलिया के हैं हम।
अगर हुकूमत दिल्ली का ख्वाब हैं,
तो लखनऊ भी लाजवाब हैं।
अगर गोरखपुर, वाराणसी नवाब हैं,
तो बागी बलिया भी सबका बाप हैं।
भुल कर भी अकड मत दिखाना बहुत मारते हैं।
कहानी तो छोटे लोगों की लिखी जाती हैं,
बलिया वालों का तो इतिहास लिखा जाता हैं।
यहां सब मिलता हैं,
सिवाय नफरत के।
My City Ballia.
जन्मभूमि ने भले ही ज़िन्दगी दी है,
मगर जीना कर्मभूमि ने सिखाया है।
किसी नशे की लत तो आम बात हैं साहब पर नशा जब किसी जिला का लगे तो समझ लेना वो बलिया हैं।
हमें शौक नही दुबई अमेरिका घुमने का
हम तो बागी बलिया के दीवाने हैं।
बहुत खुबसूरत हैं मेरे ख्यालो की दुनिया
बस बलिया से शुरू और बलिया पर ही खत्म।
कभी तो उस खुदा से यह फरियाद करोगे।
ना मिला हैं ना मिलेगा चन्द्रशेखर जी जैसा नेता,
ऐ भारतीयो कभी तो इस बात पे नाज करोगे।।
सितारों को गिनकर दिखाना मुश्किल हैं,
किस्मत में जो लिखा हैं वो मिटाना मुश्किल हैं।
कह गए मंगल पाण्डेय जी हमसे,
आजादी में कितने मारे गए ये बताना मुश्किल हैं।
तेज आंधी तुफान झुक कर पर्वतो को सलाम करते हैं,
दिल में लिए प्यार भरी हसरते हम भृगु मुनि को सलाम करते हैं।
भृगु मुनि के तपोस्थलि बागी बलिया में हम आपका हार्दिक स्वागत करते हैं।
अपनी जिन्दगी के अलग वसूल हैं,
भारत माँ के खातिर काँटे भी फुल हैं।
हँस कर झेल ले बलिया वाले दुश्मनो के गोलियों को भी,
अगर भारत माँ कहे, ये मेरे उडाये हुए फुल हैं।
कामयाबी कभी बड़ी नहीं होती,पाने वाला हमेशा बड़ा होता हैं।
चिंगारी कभी बड़ी नहीं होती,बुझाने वाला हमेशा बड़ा होता हैं।
लिखे हैं मंगल पाण्डेय इतिहास के हर पन्नों पर,
क्रांति कभी बड़ी नहीं होती,क्रांतिकारी हमेशा बड़े होते हैं।।
हर फुल कली में बलिया का मुखरा दिखाई दे,
यहां चाँद भी बलिया का टुकड़ा दिखाई दे।
छू रहा है बलिया सपनों की दुनिया को,
पुरे विश्व में भी यारो बलिया का जलवा दिखाई दे।
ऐ दोस्तों तुम्हें तुम्हारी मातृभूमि पुकार रही हैं,
सदियों पुरानी दास्तां फिर सुना रही हैं।
दे रही हैं कसम तुम्हें तुम्हारी कलाईयो की राखी,
चलना हैं,दुश्मनो की घर्घर नाद तुम्हें बुला रही हैं।।
ऐ मेरे देश के दुश्मन,
जंग-ऐ-ऐलान किया हूँ।
अपनी जिन्दगी की सारी खुशियाँ,
भारत माँ के नाम किया हूँ।
बुढे-बुजूर्गो के मुख से सुनी हमने कहानी थी,
खुब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
बलिया के आजादी सागर में लहर रहीं खुब पानी थी,
पाएँगे आजादी हम,मंगल पाण्डेय ने ठानी थी।
कैसे समझे सर्वपल्ली जैसे शिक्षक के विचारों को,
पुरा ना होने दी उन्होंने अंग्रेजो के अरमानो को।
करे व्याख्या हम कैसे नेहरू के उन ख्यालो को,
शपथ लेते हैं भगाएँगे देश के दलालों को।
महिलाओं के मातृभक्ति का सुनी सबने कहानी थी,
करेगी रोगियों की सेवा मदर टरेसा ने ठानी थी।
कहें क्या चन्र्दशेखर और भगत सिंह जैसे आजादी के परवाने को,
आज भी मरते देखा हमने,भारत पे नौजवानों को-2
दर्द से फर्ज गहरा था निभाते गए,
जो सितम किया अंग्रेजो ने हम उठाते गए।
वक्त ने बदल दिया हमारा मिजाज यारो,
हम मारते गए और मराते गए।
हशीन शाम थी और मौसम सुहाना था,
सामने फिर वही लड़ाई का आशियाना था।
छलक रहा था मेरे आंखों से आँसू यारो,
करीब सीने के मेरे उनका हथियार-ऐ-पैमाना था।
बिछडकर अपनों से जो गुजरा हैं क्या कहूँ,
बड़ा उदास,बड़ा जुल्मी वो जमाना था।।
होते होंगे तुम्हारे शहर में प्यार के सौदे,
मेरे बलिया ने तो प्रेम में समर्पण सिखाया है।
हा मैं बलिया का वासी हूँ,
देश बना है जिस मिट्टी से,
उसकी हिस्सेदारी हूँ,
भृगु और दरदर मुनि के गौरव का अधिकारी हूँ,
हा मैं बलिया का वासी हूँ,
वीर लोरिक,चित्तू और मंगल पांडेय की थाती हूँ,
जब लड़ू तो सब पर भारी हूँ,
काशी,अमरकांत और हजारी के कलमो का आभारी हूँ,
हा मैं बलिया का वासी हूँ।
पहला स्वतंत्रता सेनानी देश का वीर पुत्र बना आजादी की लड़ाई में हिन्दुस्तान का नायक रुप बना जन्म भूमि की रक्षा ख़ातिर जिसने खुद को क़ुर्बान किया पूरा अपना अरमान कर जिसनें भारत का सम्मान किया, ऐसे मंगल पाण्डेय जी कि जन्मभुमि बलिया की पावन धरती पर आपका स्वागत हैं।
बलिया का ‘मंगल पांडे के, बलिबेदी से ललकार भइलि ॥1॥
‘मंगल‘मस्ती में चूर चलल, पहिला बागी मसहूर चलल।
गोरन का पलटनि का आगे, बलिया के बाँका शूर चलल ॥2॥
गोली के तुरत निसान भइल, जननी के भेंट परान भइल।
आजादी का बलिवेदी पर, ‘मंगल पांडे‘ बलिदान भइल ॥3॥
जब चिता-राख चिनगारी से, धुधुकत तनिकी अंगारी से।
सोला निकलल, धधकल, फइलल, बलिया का क्रान्ति पुजारी से ॥4॥
घर-घर में ऐसन आगि लगलि, भारत के सूतल भागि जगलि।
अंगरेजन के पलटनि सारी, बैरक से भागि चललि ॥5॥
बिगड़लि बागी पलटनि काली, जब चललि ठोंकि आगे ताली।
मचि गइल रारि, पडि़ गइलि स्याह, गोरन के गालन के लाली ॥6॥
भोजपुर के तप्पा जाग चलल, मस्ती में गावत राग चलल।
बांका सेनानी कुँवर सिंह, आगे फहरावत पाग चलल ॥7॥
टोली चढ़ि चलल जवानन के, मद में मातल मरदानन के।
भरि गइल बहादुर बागिन से, कोना-कोना मयदानन के ॥8॥
ऐसन सेना सैलानी ले, दीवानी मस्त तूफानी ले।
आइल रन में रिपु का आगे, जब कुँवर सिंह सेनानी ले ॥9॥
खच-खच खंजर तरुवारि चललि, संगीन, कृपान, कटारि चललि।
बर्छी, बर्छा का बरखा से, बहि तुरत लहू के धारि चललि ॥10॥
बन्दूक दगलि दन-दनन्दनन्, गोली दउरलि सन्-सनन् सनन्।
भाला, बल्लम, तेगा, तब्बर बजि उठल उहाँ खन्-खनन् खनन् ॥11॥
खउलल तब खून किसानन के जागल जब जोश जवानन के।
छक्का छूटल अंगरेजनि के, गोरे-गोरे कपतानन के ॥12॥
बागी सेना ललकार चललि, पटना-दिल्ली ले झारि चललि।
आगे जे आइल राह रोक, रन में उनके संहारि चललि ॥13॥
बैरी के धीरज छूटि गइल, जन्नु घड़ा पाप के फूटि गइल।
रन से सब सेना भागि चललि, हर ओर मोरचा टूटि गइल ॥14॥
तनिकी-सा दूर किनार रहल, भारत के बेड़ा पार रहल।
लउकत खूनी दरिआव पर, मंजलि के छोर हमार रहल ॥15।।
बागी बलिया जिला पर शायरी स्टेटस कोट्स कविता हिन्दी में | Shayari Status Quotes & Poem On Bagi Ballia District In Hindi :-
बलिया की गलियों का कुछ इतिहास ही पुराना हैहमसे पूछो हमने इसे बहुत करीब से जाना है
जितनी प्यारी बोली है उतना ही कड़क स्वभाव है
मुस्कुराइए आप बलिया में हैं,
यही हमारे स्वागत करने का अंदाज है।
धीरे धीरे हम तुम्हे अपनी मोहब्बत दिखाएंगे।
मिलना कभी हमसे, तुम्हे हम अपना बलिया घुमाएंगे।।
#UP60
मै जब भी तुझे देखू, बचपन की यादों में पड़ जाऊ…।
बस तेरे, एक नाम बस के दीदार से, बलिया हो जाऊ…।।


जहाँ गीत – गजलें साथ में सब को सुनाई दे,
बलिया मजहब से परे मुझको दिखाई दे।
सुगन्धित इत्र और बलिया वाला मित्र,
बड़े किस्मत वालों को ही मिलते हैं।
चलो लाज्मी था तेरे शहर बलिया आना,
कुछ सीखा हो या ना सीखा हो पर संभलना जरूर सीख लिया।
बलिया की गलियों में मैंने अपने जीवन को संवारा हैं,
बड़े दिन से जमे हो तुम वहाँ, क्या हाल तुम्हारा हैं।
बागी बलिया जिला पर शायरी स्टेटस कोट्स कविता हिन्दी में | Shayari Status Quotes & Poem On Bagi Ballia District In Hindi :-
हम बलिया के वासी हैं,बदला नहीं लेते, बदल जाते हैं।
दूसरे शहरों में:- तू जानता है मेरा बाप कौन है…?
बलिया में:- तोहू के मारब तोरे बापो के…
नही त भाग जा इहा से…

भाई साहब बलिया के लोग, परिवार के लिए जान दे सकता है,
पर लिट्टी चोखा में हिस्सा बिलकुल नही


दाल भात खा कर दोपहर में मगरमच्छ की तरह सोना,
ये हर बलिया वालों के खून में पाया जाता है।
बलिया में रहकर अगर 82 पुल पर फोटो नहीं खिचाई,
तो बाबा तुम्हारा बलिया में रहना ब्यर्थ हो गया।
तेरा हाथ थाम कर बलिया की राहों पर चलना चाहता हूं?
फिर खुशी मिले या दुख ये मेरा नसीब हैं।
ज़िक्र ए चाय हो….और लब खामोश रहें??
क्या बात करते हो जनाब


हो गए मजबूर दाने दाने के लिए,
चार कंधे भी नहीं मिले अर्थी उठाने के लिए,
छोड़ कर आए थे जो बलिया को पिछड़ा बोल कर
आज तड़प रहे हैं बलिया जाने के लिए।
बागी बलिया जिला पर शायरी स्टेटस कोट्स कविता हिन्दी में | Shayari Status Quotes & Poem On Bagi Ballia District In Hindi :-
जहाँ सीधे-सादे लोगो का है डेरा,खुशहाली से भरा वो बलिया मेरा हैं।
बलिया में, पैसे से जेब हल्की और दिल के बड़े होते है,
गैरों के मुसीबत में भी अपनों की तरह खड़े होते है।
माना शहर में तुम्हारा वो तरक्की वाला मकान है,
मगर बलिया में गरीबों के जीवन में भी सुकून और शान है।
खुदा से ही इतनी ताकत पाते है,
बलिया वाले हर मुसीबत से लड़ जाते है।
जो लोग दिल्ली की दवा से ठीक नही हो पाते है,
वो लोग अक्सर बलिया की हवा से ठीक हो जाते है।
दिल खुश हो जाता है बलिया के ददरी मेले में,
ख़ुशी का पता ही नही शहर के झमेले में।
जो कल तक टूटा सा था वो जुड़ रहा है,
अब जाकर विकास बलिया की ओर मुड़ रहा है।
मेरी शहर सी ज़िंदगी में,
वो एक बलिया सी है।
शांत, स्वच्छ और मासूम।
बागी बलिया जिला पर शायरी स्टेटस कोट्स कविता हिन्दी में | Shayari Status Quotes & Poem On Bagi Ballia District In Hindi :-
बलिया और दिल्ली के लोगों में
उतना ही अंतर होता है
जितना धरती और गमले में
उगे हुए पौधे में होता है।
यूँ तो समेट लाए हर चीज़ बलिया से मगर,
धागे तुम्हारे नाम के बरगद पे ही रह गए

ये दौड़ता हुआ शहर है जनाब,
चलना हो तो बलिया आओ कभी।
दरवाजे से छुपकर देखती है वो रोज मुझे,


ये बलिया का इश्क है जनाब, दिल्ली की नौटंकीयां नहीं..!!
बंद कमरों में कहाँ ऐसी सदाएं होंगीं,
ये मेरे बलिया के बरगद की हवांए होंगी।
दिल्ली की दवा और बलिया की हवा बराबर होती है।
हमारे लिए तो बलिया हमारी ज़िंदगी है साहब।
हसरते बनारस,
बसरते गोरखपुर,
सुरमयी है देवरिया,
और कातिलाना बलिया।
बागी बलिया जिला पर शायरी स्टेटस कोट्स कविता हिन्दी में | Shayari Status Quotes & Poem On Bagi Ballia District In Hindi :-
यमराज – मैं तुम्हारी जान लेने आया हूं
मैं – ले जाइए__ उत्तर प्रदेश के बलिया जिला में रहती है

बलिया जिला नाम ही काफी हैं।
वीरों का बस्ती जवानों का देश,
बागी – बलिया उत्तर प्रदेश।
बलिया जिला की ताकत से पुरा ब्रह्मांड डोलता हैं,
ये हम नही हमारा इतिहास बोलता हैं।
तीन ही उसूल हैं हमारे जिले के,
आवेदन, निवेदन और फिर भी न माने तो दे दना दन।
अक्सर हम हमारा परिचय नहीं देते
लोग हमारी देशभक्ति देख कर ही कह देते है , बलिया जिला से आएं है।
मान मर्यादा अनुशाशन, यही पहचान हमारी है।
बलिया से हैं हम, उची शान हमारी है।
बागी बलिया जिला पर शायरी स्टेटस कोट्स कविता हिन्दी में | Shayari Status Quotes & Poem On Bagi Ballia District In Hindi :-
जरूरी नइखे कि आज जेल होई काल्ह बेल होईइ बलिया हऽ ऐ बाबू एनकाउंटर भी होई और पोस्टमार्टम भी हो जाई


बलिया के हई घर में घुस के मार देब।
बलिया से हैं..,
तो चर्चे हर जगह होंगे ही..।
बलिया वाले हैं ना जनाब,
इसलिए दिल थोड़ा जल्दी लगा लेते हैं,
लेकिन जिस दिन दिमाग लगाएँगें,
उस दिन औकात दिखा देंगे।
#बलिया जिला
सच्चे प्यार के लिए कुर्बान हैं बलिया,
यारों के लिए यार हैं बलिया,
दुश्मनों के लिए तुफान हैं बलिया,
इसलिए तो लोग कहते हैं बाप रे खतरनाक हैं बलिया।
इंकलाबी हमीं से हैं,
इंकलाब हम लायेंगे,
किसी भी कीमत पर,
हवाईअड्डा यहां बनायेंगे।
डर मत पगली बलिया के हैं हम।
अगर हुकूमत दिल्ली का ख्वाब हैं,
तो लखनऊ भी लाजवाब हैं।
अगर गोरखपुर, वाराणसी नवाब हैं,
तो बागी बलिया भी सबका बाप हैं।
बागी बलिया जिला पर शायरी स्टेटस कोट्स कविता हिन्दी में | Shayari Status Quotes & Poem On Bagi Ballia District In Hindi :-
वो देख वहाँ से शुरू होता हैं बलियाभुल कर भी अकड मत दिखाना बहुत मारते हैं।
कहानी तो छोटे लोगों की लिखी जाती हैं,
बलिया वालों का तो इतिहास लिखा जाता हैं।
यहां सब मिलता हैं,
सिवाय नफरत के।
My City Ballia.
जन्मभूमि ने भले ही ज़िन्दगी दी है,
मगर जीना कर्मभूमि ने सिखाया है।
किसी नशे की लत तो आम बात हैं साहब पर नशा जब किसी जिला का लगे तो समझ लेना वो बलिया हैं।
हमें शौक नही दुबई अमेरिका घुमने का
हम तो बागी बलिया के दीवाने हैं।
बहुत खुबसूरत हैं मेरे ख्यालो की दुनिया
बस बलिया से शुरू और बलिया पर ही खत्म।
बागी बलिया पर प्रसिद्ध लेखक अमन सिंह की मशहूर कविता एवं रचनाएँ :-
महफिल में ना सही,तन्हाई में याद करोगे,कभी तो उस खुदा से यह फरियाद करोगे।
ना मिला हैं ना मिलेगा चन्द्रशेखर जी जैसा नेता,
ऐ भारतीयो कभी तो इस बात पे नाज करोगे।।
सितारों को गिनकर दिखाना मुश्किल हैं,
किस्मत में जो लिखा हैं वो मिटाना मुश्किल हैं।
कह गए मंगल पाण्डेय जी हमसे,
आजादी में कितने मारे गए ये बताना मुश्किल हैं।
तेज आंधी तुफान झुक कर पर्वतो को सलाम करते हैं,
दिल में लिए प्यार भरी हसरते हम भृगु मुनि को सलाम करते हैं।
भृगु मुनि के तपोस्थलि बागी बलिया में हम आपका हार्दिक स्वागत करते हैं।
अपनी जिन्दगी के अलग वसूल हैं,
भारत माँ के खातिर काँटे भी फुल हैं।
हँस कर झेल ले बलिया वाले दुश्मनो के गोलियों को भी,
अगर भारत माँ कहे, ये मेरे उडाये हुए फुल हैं।
कामयाबी कभी बड़ी नहीं होती,पाने वाला हमेशा बड़ा होता हैं।
चिंगारी कभी बड़ी नहीं होती,बुझाने वाला हमेशा बड़ा होता हैं।
लिखे हैं मंगल पाण्डेय इतिहास के हर पन्नों पर,
क्रांति कभी बड़ी नहीं होती,क्रांतिकारी हमेशा बड़े होते हैं।।
हर फुल कली में बलिया का मुखरा दिखाई दे,
यहां चाँद भी बलिया का टुकड़ा दिखाई दे।
छू रहा है बलिया सपनों की दुनिया को,
पुरे विश्व में भी यारो बलिया का जलवा दिखाई दे।
ऐ दोस्तों तुम्हें तुम्हारी मातृभूमि पुकार रही हैं,
सदियों पुरानी दास्तां फिर सुना रही हैं।
दे रही हैं कसम तुम्हें तुम्हारी कलाईयो की राखी,
चलना हैं,दुश्मनो की घर्घर नाद तुम्हें बुला रही हैं।।
ऐ मेरे देश के दुश्मन,
जंग-ऐ-ऐलान किया हूँ।
अपनी जिन्दगी की सारी खुशियाँ,
भारत माँ के नाम किया हूँ।
बुढे-बुजूर्गो के मुख से सुनी हमने कहानी थी,
खुब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
बलिया के आजादी सागर में लहर रहीं खुब पानी थी,
पाएँगे आजादी हम,मंगल पाण्डेय ने ठानी थी।
कैसे समझे सर्वपल्ली जैसे शिक्षक के विचारों को,
पुरा ना होने दी उन्होंने अंग्रेजो के अरमानो को।
करे व्याख्या हम कैसे नेहरू के उन ख्यालो को,
शपथ लेते हैं भगाएँगे देश के दलालों को।
महिलाओं के मातृभक्ति का सुनी सबने कहानी थी,
करेगी रोगियों की सेवा मदर टरेसा ने ठानी थी।
कहें क्या चन्र्दशेखर और भगत सिंह जैसे आजादी के परवाने को,
आज भी मरते देखा हमने,भारत पे नौजवानों को-2
दर्द से फर्ज गहरा था निभाते गए,
जो सितम किया अंग्रेजो ने हम उठाते गए।
वक्त ने बदल दिया हमारा मिजाज यारो,
हम मारते गए और मराते गए।
हशीन शाम थी और मौसम सुहाना था,
सामने फिर वही लड़ाई का आशियाना था।
छलक रहा था मेरे आंखों से आँसू यारो,
करीब सीने के मेरे उनका हथियार-ऐ-पैमाना था।
बिछडकर अपनों से जो गुजरा हैं क्या कहूँ,
बड़ा उदास,बड़ा जुल्मी वो जमाना था।।
होते होंगे तुम्हारे शहर में प्यार के सौदे,
मेरे बलिया ने तो प्रेम में समर्पण सिखाया है।
हा मैं बलिया का वासी हूँ,
देश बना है जिस मिट्टी से,
उसकी हिस्सेदारी हूँ,
भृगु और दरदर मुनि के गौरव का अधिकारी हूँ,
हा मैं बलिया का वासी हूँ,
वीर लोरिक,चित्तू और मंगल पांडेय की थाती हूँ,
जब लड़ू तो सब पर भारी हूँ,
काशी,अमरकांत और हजारी के कलमो का आभारी हूँ,
हा मैं बलिया का वासी हूँ।
पहला स्वतंत्रता सेनानी देश का वीर पुत्र बना आजादी की लड़ाई में हिन्दुस्तान का नायक रुप बना जन्म भूमि की रक्षा ख़ातिर जिसने खुद को क़ुर्बान किया पूरा अपना अरमान कर जिसनें भारत का सम्मान किया, ऐसे मंगल पाण्डेय जी कि जन्मभुमि बलिया की पावन धरती पर आपका स्वागत हैं।
बलिया के मंगल पाण्डेय जी की वीरता पर प्रसिद्ध लेखक नारायण सिंह की मशहूर भोजपुरी कविता- बीरन के बीर पुकार भइलि…
जब सन्ताबनि के रारि भइलि, बीरन के बीर पुकार भइलि।बलिया का ‘मंगल पांडे के, बलिबेदी से ललकार भइलि ॥1॥
‘मंगल‘मस्ती में चूर चलल, पहिला बागी मसहूर चलल।
गोरन का पलटनि का आगे, बलिया के बाँका शूर चलल ॥2॥
गोली के तुरत निसान भइल, जननी के भेंट परान भइल।
आजादी का बलिवेदी पर, ‘मंगल पांडे‘ बलिदान भइल ॥3॥
जब चिता-राख चिनगारी से, धुधुकत तनिकी अंगारी से।
सोला निकलल, धधकल, फइलल, बलिया का क्रान्ति पुजारी से ॥4॥
घर-घर में ऐसन आगि लगलि, भारत के सूतल भागि जगलि।
अंगरेजन के पलटनि सारी, बैरक से भागि चललि ॥5॥
बिगड़लि बागी पलटनि काली, जब चललि ठोंकि आगे ताली।
मचि गइल रारि, पडि़ गइलि स्याह, गोरन के गालन के लाली ॥6॥
भोजपुर के तप्पा जाग चलल, मस्ती में गावत राग चलल।
बांका सेनानी कुँवर सिंह, आगे फहरावत पाग चलल ॥7॥
टोली चढ़ि चलल जवानन के, मद में मातल मरदानन के।
भरि गइल बहादुर बागिन से, कोना-कोना मयदानन के ॥8॥
ऐसन सेना सैलानी ले, दीवानी मस्त तूफानी ले।
आइल रन में रिपु का आगे, जब कुँवर सिंह सेनानी ले ॥9॥
खच-खच खंजर तरुवारि चललि, संगीन, कृपान, कटारि चललि।
बर्छी, बर्छा का बरखा से, बहि तुरत लहू के धारि चललि ॥10॥
बन्दूक दगलि दन-दनन्दनन्, गोली दउरलि सन्-सनन् सनन्।
भाला, बल्लम, तेगा, तब्बर बजि उठल उहाँ खन्-खनन् खनन् ॥11॥
खउलल तब खून किसानन के जागल जब जोश जवानन के।
छक्का छूटल अंगरेजनि के, गोरे-गोरे कपतानन के ॥12॥
बागी सेना ललकार चललि, पटना-दिल्ली ले झारि चललि।
आगे जे आइल राह रोक, रन में उनके संहारि चललि ॥13॥
बैरी के धीरज छूटि गइल, जन्नु घड़ा पाप के फूटि गइल।
रन से सब सेना भागि चललि, हर ओर मोरचा टूटि गइल ॥14॥
तनिकी-सा दूर किनार रहल, भारत के बेड़ा पार रहल।
लउकत खूनी दरिआव पर, मंजलि के छोर हमार रहल ॥15।।