ध्यान (meditation) क्यों,कब और कैसे करे इन हिंदी - 10 Meditation Benefits in Hindi

ध्यान क्या है: What is Meditation​

हमारा जीवन एक यात्रा है और ध्यान उस यात्रा के उद्देश्य को पूर्ण करने का एक मात्र माध्यम है। ध्यान से हम भीतर की ओर एक यात्रा करते हैं और जीवन के उस उर्जा तक पहुंच कर उस में विलीन होने का अनुभव करते हैं। ध्यान हमें परम ज्ञान तक ले जाने का एक माध्यम है। ध्यान से हम ज्ञान प्राप्त करते हैं ज्ञान से दुख रूपी अंधकार दूर होता है और हमारा जीवन आनंद की अनुभूति करता है

दुखों से मुक्ति जीवन मरण के चक्र से छुटकारा और आत्म साक्षात्कार ही हमारे जीवन का परम और चरम लक्ष्य है और ध्यान इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक माध्यम है।

हमने अपने जीवन में नासमझी और अज्ञानता के कारण कई गलत लक्ष्य बना लिए हैं जिसके कारण हमने अपने जीवन में चारों तरफ दुखों को आमंत्रित कर लिया है। हम अपना जीवन ज्यादातर या तो भूतकाल में जीते हैं या भविष्य की कल्पनाओं में बर्बाद कर देते हैं।

जीवन ना तो भूतकाल में है ना भविष्य काल में ,वर्तमान में रहना, वर्तमान में जीना ही वास्तविक जीवन है और ध्यान हमें वर्तमान में रहना सिखाता है

ध्यान करने के बहुत सारे शारीरिक और मानसिक लाभ है।

आइए जानते हैं कि ध्यान हमें क्यों करना चाहिए और इससे और भी क्या क्या लाभ मिलता है।

ध्यान क्यों करना चाहिए: Meditation Benefits in Hindi​

1-मन की शांति के लिए ध्यान करे: Peace Of Mind​

हमारे मन में प्रतिदिन बहुत प्रकार के अनचाहे विचार आते हैं ना चाहते हुए भी कुछ विचार हम से चिपक जाते हैं यह विचार ही हमसे गलत सही कार्य करवाते हैं।

विचारों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है जिसके कारण हम विचारों के गुलाम बने होते हैं और हमारा मन अशांत रहता है जिसके कारण हम हमेशा चिड़चिड़ापन और क्रोध में रहते हैं। ध्यान के अभ्यास से हम अपने मन पर धीरे धीरे नियंत्रण पाने लगते हैं जिससे यह विचार रूपी बादल छठ जाते हैं और नीले आकाश रूपी शांत मन का अनुभव करते हैं।

ध्यान करने से धीरे धीरे विचार भी कम आने लगते हैं मन शांत और आनंदित रहने लगता है, हम अपने जीवन में सही निर्णय लेने लगते हैं रिश्ते सुधरने लगते हैं और जीवन सुख और आनंद से भर जाता है।

2-ध्यान से हर प्रकार के विचारो पर नियंत्रण: Control Over Thoughts​

हमारा मन और शरीर एक दूसरे से जुड़े होते हैं जिसके कारण मन में आए प्रत्येक विचार का शरीर पर कोई न कोई संवेदना उत्पन्न होती है यह संवेदना हमें विचारों के अनुरूप action या कार्य करने के लिए बाध्य करती है।

निरंतर ध्यान के अभ्यास से हम धीरे-धीरे अपने विचारों पर नियंत्रण पाते हैं, विचार(thoughts) सिर्फ विचार होते हैं ना ही सकारात्मक(positive) नहीं नकारात्मक(negtive) होते हैं। विचारों पर नियंत्रण होने से हम सिर्फ उन्हीं विचारों के बारे में सोचते हैं या मंथन करते हैं जिन्हें हम सोचना चाहते हैं।

इस प्रकार हम मन की गुलामी से आजाद हो जाते हैं और स्वयं मन के मालिक बन जाते हैं।

3तनाव से मुक्ति के लिए ध्यान करे: Relief From Depression​

हमारे मन में हजारों प्रकार के विचार प्रतिदिन आते हैं और कुछ विचार हम से चिपक से जाते हैं जिनके बारे में हम हमेशा सोचते रहते हैं लगातार विचारों से घिरे होने के कारण मनुष्य डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और कभी-कभी अकेले में ही बातें करने लगता है।

ध्यान के अभ्यास से हम विचारों पर नियंत्रण पाते हैं स्वयं की समझ बढ़ती है, जीवन की समझ बढ़ती है, विचार और मन के जुड़ाव का अनुभव होता है। यह भी पता चलता है कि हमारा शरीर कैसे हर विचार पर कोई न कोई प्रतिक्रिया करता है जब हमें इन सब बातों का धीरे-धीरे अनुभव होने लगता है तब हम डिप्रेशन से मुक्त होने लगते हैं मन शांत और आनंदित रहने लगता है।

हम सब जानते हैं की डिप्रेशन की मेडिकल साइंस में कोई दवा नहीं है इसकी दवा सिर्फ ध्यान है सही ध्यान और निरंतर अभ्यास से हम डिप्रेशन से सदा के लिए मुक्त हो सकते हैं

4ध्यान से क्रोध पर नियंत्रण पाएं: Control Anger by Meditation​

ध्यान करने से हमारा मन शांत होता है समझ का विकास होता है धैर्य का उद्गम होता है जिससे हमारे भीतर बैठे तीन दुश्मन क्रोध, वासनाये और इच्छाएं धीरे-धीरे कम होने लगती हैं और निरंतर अभ्यास से इन तीनो की समाप्ति भी संभव है।

क्रोध के कारण ना सिर्फ हम खुद को जलाते हैं बल्कि क्रोध में लिया गया निर्णय भी हमेशा हमारे ही विनाश का कारण बनता है| वासनाये हमारे मन को हमेशा विचलित करते रहते हैं और विचारों को दूषित करते रहते हैं।

अनियंत्रित इच्छाओं और क्षणिक सुख पाने के कारण ही हम जीवन में दुखों को आमंत्रित कर लेते हैं, यहां समझने वाली बात यह है कि जरूरत और इच्छाओं में हमें फर्क जानना चाहिए।

5ध्यान करने से आत्मविश्वाश बढ़ता है: Meditation Increases Self Confidence​

जिन लोगों को जीवन में निर्णय लेने में अपनी बात रखने में और किसी से मिलने जुलने में हमेशा संकोच लगता है उन्हें ध्यान (Meditation) अवश्य करना चाहिए।

ध्यान करने से हमारे अंदर कॉन्फिडेंस बढ़ता है जिससे हम जीवन के बड़े से बड़े निर्णय लेने में सक्षम होते हैं हमारे अंदर समझदारी बढ़ती है और अन्य लोग भी हमारे इस कॉन्फिडेंस से आकर्षित होते हैं कॉन्फिडेंस और कुछ नहीं सिर्फ ज्ञान है और आध्यात्मिक ज्ञान किसी पुस्तक में नहीं मिलता इसे खुद ही अनुभव करना पड़ता है

6ध्यान करने से एकाग्रता बढ़ती है:Meditation Increases Concentration​

जैसे-जैसे मनुष्य ध्यान में निपुण होते जाता है वैसे-वैसे उसकी एकाग्रता (Concentration) भी बढ़ती जाती है दिमाग हजारों विचारों से हटकर सिर्फ वहीं पर लगता है जहां हम चाहते हैं। जब हम किसी भी कार्य को काम वक़्त और पूरी एकाग्रता क साथ करते है तो हमे किसी भी क्षेत्र में सफलता मिलना बहुत आसान हो जाता है।

7चिंता से मुक्ति के लिए ध्यान करे: Meditate For Freedom From Anxiety​

निरंतर ध्यान (Meditation) करने से मनुष्य के अंदर धीरे धीरे ज्ञान का बोध होता है इससे मनुष्य व्यर्थ की चिंताओं से खुद को मुक्त पाता है मन शांत और वर्तमान में रहने लगता है।

भविष्य की कल्पना और भूतकाल की यादें उसे कभी परेशान नहीं कर करती हैं| चीजों से जुड़ाव (attachment) ही दुखों का मुख्य कारण होता है ध्यान करते रहने से व्यक्ति अनासक्त होने लगता है जिससे वह समाज में रहते हुए सभी प्रकार के जिम्मेदारी (responsibility) का निर्वाहन करते हुए भी अनासक्त रहता है और सभी चिंताओं से मुक्त रहता है।

8आनंदित जीवन के लिए: For A Blissful Life​

निरंतर ध्यान (meditation) करने से हमें वर्तमान में जीने की कला आ जाती है जिससे हम जीवन के प्रत्येक क्षण को एंजॉय (enjoy) करने लगते हैं। न भविष्य की कल्पनाएं ना भूतकाल की यादें सिर्फ वर्तमान में जीना इसी क्षण में रहना, यह अनुभव मनुष्य को आनंद से भर देता है किसी प्रकार की जीवन में कोई भी चिंता नहीं रह जाती सिर्फ चिंतन होता है।

इसका यह मतलब नहीं जीवन में कोई समस्याएं नहीं समस्याएं आएँगी बस उन समस्याओं को सुलझाने की कला मिल जाएगी और जीवन हर पल आनंद से भरा हुआ महसूस होगा।

9ध्यान समता भाव में रहना सिखाता है: Meditation Teaches You To Be In Equanimity​

ध्यान (meditation) जीवन के हर परिस्थिति में हमे समता भाव रहना सिखाता है | गीता में भी लिखा है कि’ हमें स्थितप्रज्ञ रहना चाहिए ‘,मतलब चाहे सुख हो या दुख हो हर परिस्थिति में मनुष्य को एक ही भाव में रहना चाहिए।

ऐसी मानसिक स्तिथि सिर्फ ध्यान करने से ही संभव होता है। ध्यान करने से मनुष्य की भीतर की स्थिति शांत और निर्मल हो जाती है यह भी समझ में आ जाता है कि जीवन अनित्य है हर पल बदल रहा है इस बात का ज्ञान होता है कि यह(time) भी बदल जाएगा।

जीवन में बड़े से बड़े समस्या में भी मनुष्य भीतर से समता भाव (Equanimity) में रहता है जिससे वह हर स्थिति में आनंद महसूस करता है न सुख में सुखी – न दुख में दुखी।

10आत्मा-सात्क्षात्कार: Self Realisation​

ध्यान करने का अंतिम लक्ष्य स्वयं की प्राप्ति और मोक्ष है। स्वयं के अनुभूति से मनुष्य जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। ध्यान (meditation) से हम स्वयं की ओर यात्रा करते हैं। हम कौन हैं कहां से आए इन सब सवालों का जवाब हमें भीतर से ही मिलता है।

आत्म साक्षात्कार होने से हमें खुद के जीवन का रहस्य पता चलता है और साथ ही हमें प्रकृति के रहस्य का भी पता चलता है ध्यान (meditation) से हम खुद से खुद की दूरी तय करते हैं हम पाते हैं कि हम शरीर नहीं है हम शरीर में है, हम सब में और सब हम में हैं।

हमें पता चलता है कि हम शरीर में है पर हम शरीर नहीं है हमारी कभी मृत्यु नहीं हो सकती हम सिर्फ परिवर्तित होते हैं। हम जीवन के स्त्रोत तक पहुंच कर उसका अनुभव करते हैं।

ध्यान कब करे : Best Time To Meditate!​

Meditation (ध्यान) कब करना चाहिए यह सवाल शुरुआत में सभी के मन में आता है। वास्तविकता में ध्यान करने का कोई विशेष समय कहीं नहीं बताया गया है ,ध्यान कभी भी किसी भी समय किया जा सकता है।

आइए जानते हैं सुबह, शाम और रात्रि मैं ध्यान करने से क्या लाभ होता है।

“वर्तमान में ही सुख है

सुबह ध्यान करने से लाभ: Meditation Benefit in Morning​

सुबह ध्यान करने का का उचित समय माना जाता है जो मनुष्य सुबह ध्यान करना चाहता है अपने हिसाब से कोई भी समय चुन सकता है –

  • 4:30 से 6:30 का समय ज्यादा अच्छा माना जाता है क्योंकि क्योंकि सुबह-सुबह हमारे मन में विचार भी कम आते हैं वातावरण भी शुद्ध होता है हमारे अगल-बगल शांति भी होता है
  • सुबह ध्यान करने से पूरा दिन हम अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं
  • सुबह वातावरण शांत होने के कारण ध्यान भी जल्दी लगता है और ऊर्जा का दायरा भी बड़ा हुआ होता है
  • सुबह ध्यान करने की से हमें जल्दी उठने की आदत भी हो जाती हैं और हमारे पास समय (time) भी बचता है

शाम को ध्यान करने से लाभ: Benefit From Meditation In The Evening​

शाम का ध्यान हमें दिन भर के मानसिक तनाव से निजात दिलाता है
  • शाम को ध्यान 4:00 से 6:00 के बीच में किया जा सकता है
  • शाम का ध्यान करना उतना ही फलदाई होता है जितना सुबह और रात्रि का ध्यान

रात्रिमे ध्यान करने से लाभ: Benefit From Meditating At Night​

  • रात्रि का ध्यान शाम के ध्यान से ज्यादा आसानी से किया जा सकता है
  • रात्रि में शांत वातावरण बहुत संतुलित माहौल तैयार कर देती है
  • रात्रि का ध्यान दिन भर की थकान को दूर करता है और शरीर को फिर से ऊर्जावान बना देता है
  • रात्रि का ध्यान लेटे-लेटे भी किया जा सकता है
  • रात्रि का ध्यान 8 से 10:30 के बीच में किया जा सकता है
  • रात्रि में ध्यान करने से नींद भी गहरी हो जाती है, तथा शरीर और मन दोनों relax महसूस करते हैं
रात्रि में ध्यान करने से गहरी और अच्छी नींद प्राप्त करे

ध्यान कितनी देर करे: How Long To Meditate

ध्यान कितनी देर करना चाहिए यह सवाल भी नए साधकों के मन में आता है शुरुआत में जिस व्यक्ति का जितना age है उसे उतने मिनट ध्यान करना चाहिए।

उद्धारहण के लिए अगर किसी व्यक्ति का age 30 साल है तो उसे कम से कम 30 मिनट ध्यान करना चाहिए और इसे बढ़ाते हुए कम से कम 1 घंटे तक ले जाना चाहिए इससे ज्यादा हो जाए तो बड़े लाभ की बात होगी।

खाली पेट ध्यान न करे : Do Not Meditate On An Empty Stomach​

Meditation करने के पहले हमें यह अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि हमारा पेट ना तो बहुत ज्यादा भरा हो न ही एकदम खाली। क्या सबको ध्यान करना चाहिए

भरपेट भोजन करके तुरंत ध्यान में नहीं बैठना चाहिए अगर पेट भरा हो तो कम से कम 1 घंटे के बाद ध्यान करना चाहिए ध्यान करने के ठीक पहले कुछ खाना नहीं चाहिए थोड़ा पानी पीके ध्यान में बैठा जा सकता है

ध्यान कैसे करे: How To Do Meditation​

ध्यान करने का बहुत सारा तरीका बताया गया है , सभी तरीकों का अपना महत्व है पर जिस ध्यान प्रणाली को सबसे सरल और कारगर माना गया है वह विपश्यना ध्यान है|

विपस्सना ध्यान भगवान गौतम बुद्ध द्वारा 2500 वर्ष पूर्व 6 वर्षो की कठिन तपस्या से स्वयं खोजा गया था यह ध्यान प्रणाली बहुत ही कारगर है

आइए जानते हैं कि ध्यान करते समय हमें किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

1-शांत स्थान का चुनाव: Quiet Location Selection

ध्यान करने के लिए सबसे पहले महत्वपूर्ण चीज है ध्यान करने की जगह। हमें ऐसे किसी जगह ध्यान नहीं करना चाहिए जहां बहुत शोरगुल होता हो हमें ध्यान करने के लिए शांत वातावरण की तलाश करनी चाहिए शांत वातावरण का बहुत बड़ा महत्त्व होता है।

ज्यादा शोरगुल वाले वातावरण में ध्यान लगाना संभव नहीं हो पाता इसलिए सबसे पहले स्वक्ष और शांत वातावरण वाली जगह की तलाश करें यह जगह आपके घर के किसी कोने में भी हो सकती है, कहीं भी हो सकती है।

इस बात को अवश्य ध्यान में रखें कि ध्यान खुली जगह पर ना करें। ध्यान हमेशा बंद कमरे जैसे किसी भी जगह पर करें।

2-शरीर की स्थिति: Body Position

नए-नए साधक के मन में यह विचार आता है कि ध्यान करने के लिए कौन सा ‘आसन'(position) सबसे अच्छा होगा।कौन सा ‘आसन’ हम आराम से लगा सकते हैं। ध्यान करने के लिए किसी विशेष ‘आसन’ की जरूरत नहीं होती बस कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना होता है जैसे– Meditation Benefits in Hindi

>ध्यान सीधे जमीन पर बैठकर ना करें – जमीन पर कुछ बिछाकर बैठे।

>जिस भी तरीके से आप कंफर्टेबल हो उस तरीके से पालथी मारकर (cross leg) बैठे। आप चाहे तो कोई ‘आसन ‘लगाना सीख सकते हैं (पद्मासन, सुखासन, सिद्धासन) पर उसकी कोई विशेष आवश्यकता नहीं होती।

>कमर और गर्दन सीधी होनी चाहिए। शरीर को एकदम खुला छोड़ दे किसी प्रकार का अकड़न शरीर पर ना महसूस हो।

>दोनों हाथों के उंगलियों को आपस में फसा ले किसी भी प्रकार का मंत्र उच्चारण ,नाम मन में ना ले।

>आंखों का बंद होना अति आवश्यक है आंखें मन का द्वार होती हैं। आंखों पर विशेष बल देकर ना बंद करे।

3-सहज और स्वाभाविक सांसो पर ध्यान दें: Focus On Natural Breaths

अब अपने सहज और स्वाभाविक सांसो पर ध्यान दें सास लेने और छोड़ने की कोशिश ना करें। स्वभाविक सांस जो खुद से आ रहा है खुद से जा रहा है उसे जानने का प्रयत्न करें। किस नासिका से आ रहा है और किस नासिका से जा रहा है सिर्फ और सिर्फ इतना ही जानने का प्रयत्न करें।

हमें सांसों को तटस्थ भाव से देखना है जिस प्रकार कोई मनुष्य नदी के तट पर बैठकर नदी को देखता है उसमें कुछ ना जोड़ता है ना घटाता है सिर्फ लहरों को देखता है उसी प्रकार बस तटस्थ भाव से बैठकर सांसो को देखना है

इसमें ना तो कुछ जोड़ें ना कुछ हटाए सहज और स्वाभाविक सांसो पर ध्यान दें । विचार आएंगे हमारा मन उन विचारों के साथ कहीं दूर निकल जाएगा पर इसमें निराश नहीं होना है फिर से सांसों पर ध्यान लगाएं।

विचार आएंगे पर हमें विचारों से चिपक नहीं जाना है उन्हें तटस्थ भाव से देखना है बस जैसे आप बैठकर किसी theater में कोई movie देख रहे है।

धीरे धीरे विचार कम होते जाएंगे और ध्यान लगने लगेगा इस प्रक्रिया में निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है। धैर्य रखकर निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए बिना किसी स्वार्थ के बिना कुछ पाने की इच्छा से ध्यान करना चाहिए कोई भी इच्छा विचार का ही रूप होते हैं और जब तक हमारे मन में विचार होंगे हमारा ध्यान लगना संभव नहीं होगा।

हमें निरंतर ध्यान करते रहना चाहिए

ध्यान हमें अनंत ज्ञान की ओर ले जाता है ज्ञान से बुद्धि का विकास होता है, अंधकार मिटता है और ज्ञान के प्रकाश से सारे प्रश्न समाप्त हो जाते हैं। ध्यान हमें इन्द्रियातीत अवस्था तक ले जाता है। ध्यान में हम उससे भी आगे चले जाते हैं हम जीवन के स्त्रोत तक पहुंचते हैं ।

जीवन में ध्यान करना अति आवश्यक है पर उससे भी ज्यादा आवश्यक सही तरीके से ध्यान करना है। ध्यान करने का सही ज्ञान होना बहुत जरूरी है अन्यथा हमारा अभ्यास व्यर्थ ही रह जाएगा।

सही तरीके से ध्यान सीखने के बहुत सारे Meditation Centers खुल गए हैं पर हम भी जानते हैं कि कहीं ना कहीं उन सेंटर्स का उद्देश्य भी धन कमाना ही होता है।

कुछ मेडिटेशन सेंटर्स आज भी ऐसे हैं जहां पर FREE में निस्वार्थ भाव के साथ सही तरीके के साथ परिणाम देने वाला ध्यान सिखाया जाता हैं।

विपश्यना ध्यान केंद्र ऐसा ही ध्यान केंद्र है जहां पर बिना कोई धन लिए 10 दिनों का residential कोर्स सिखाया जाता है। विपस्सना ध्यान भगवान गौतम बुद्ध के द्वारा खोजी गई ध्यान प्रणाली है जो कि एकदम सटीक और तुरंत परिणाम देने वाला है।

विपस्सना ध्यान केंद्र के बारे में Google पर या YouTube पर सर्च करें और लोगों के अनुभव जाने । आप विपस्सना ध्यान केंद्र जाकर ध्यान करना सीखें उसके बाद ही आप घर पर इसका अभ्यास करें।
 
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