लोक सभा क्या है यह सवाल आपके मन में है तो फिर बने रहिए इस पोस्ट के साथ इस पोस्ट में हम भारत की लोकसभा के बारे में पूरी डिटेल के साथ बात करने वाले हैं.
आप जानना चाहते हैं लोकसभा के बारे में और लोकसभा में कितने सदस्य होते हैं लोक सभा का संचालन कौन करता है लोकसभा के पास कौन सी शक्तियां हैं इन सारे सवालों के जवाब आप जानना चाहते हैं तो फिर इस पोस्ट में हम लोकसभा संबंधित सारी जानकारियां आपके साथ शेयर करने वाले हैं.
लोक सभा क्या है, लोक सभा फुल इनफार्मेशन इन हिंदी
भारतीय संसद का निचला सदन लोकसभा है जिसमें जनता के प्रतिनिधि होते हैं जो जनता के द्वारा चुने हुए होते हैं भारतीय लोकसभा में 543 जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं और इनके साथ 2 मनोनीत सदस्य प्रतिनिधित्व करते हैं.भारतीय लोक सभा की पहली बैठक वर्ष 1952 में हुई थी अभी तक भारतीय लोकसभा ने कई कानून पारित किए हैं जनहित के फैसले भारतीय लोकसभा ने लिए है आज हम जनता के द्वारा चुने हुए लोकसभा के बारे में पूरी विस्तार के साथ बात करने वाले हैं.
भारतीय लोकसभा का इतिहास
लोक सभा क्या है: भारतीय संसद जो सर्वोच्च विधायी निकाय है हमारी संसद के दो सदन हैं एक ऊपरी सदन राज्यसभा (काउंसिल ऑफ स्टेट्स) और दूसरा लोकसभा (हाउस ऑफ द पीपुल) जिसे निचले सदन के रूप में भी जाना जाता है.15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली थी उसके बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था उसे संविधान के मुताबिक वर्ष 1951-1952 में पहला लोकसभा का आम चुनाव हुआ था.
वर्ष 1952 में पहली बार भारतीय संसद के लोकसभा सदन में निर्वाचित सांसद बैठे थे तब से लेकर अब तक कई चुनाव भारतीय लोकसभा के लिए हो चुके हैं जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई है.
लोक सभा चुनाव वर्ष | विजेता राजकीय पक्ष | प्रधानमंत्री |
---|---|---|
1952 | कांग्रेस 364 सीट | जवाहरलाल नेहरू |
1957 | कांग्रेस 371 सीट | जवाहरलाल नेहरू |
1962 | कांग्रेस 361 सीट | जवाहरलाल नेहरू |
1967 | कांग्रेस 283 सीट | इंदिरा गांधी |
1971 | कांग्रेस 352 सीट | इंदिरा गांधी |
1977 | जनता पार्टी 345 सीट | मोरारजी देसाई |
1980 | कांग्रेस 374 सीट | इंदिरा गांधी |
1984 | कांग्रेस 414 सीट | राजीव गांधी |
1989 | कांग्रेस 197 सीट | – |
1991 | कांग्रेस 244 सीट | पी.वी नरसिम्हा राव |
1996 | बीजेपी 161 सीट | – |
1998 | बीजेपी 182 सीट | अटल बिहारी वाजपेयी |
1999 | बीजेपी 182 सीट | अटल बिहारी वाजपेयी |
2004 | कांग्रेस 145 सीट | डॉ मनमोहन सिंह |
2009 | कांग्रेस 206 सीट | डॉ मनमोहन सिंह |
2014 | बीजेपी 282 सीट | नरेंद्र मोदी |
2019 | बीजेपी 303 सीट | नरेंद्र मोदी |
लोकसभा में कितने सदस्य होते हैं
भारतीय लोकसभा में कुल सदस्य संख्या 545 है जिसमें से 543 सीधे जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते और 2 राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत सदस्य होते हैं.भारत में लोकसभा की कितनी सीटें है
जैसा कि आपको हमने बताया भारतीय लोकसभा में 545 सदस्य संख्या है लेकिन जो जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि की संख्या 543 है यानी कि लोकसभा में कुल सीट की संख्या 545 है.
भारतीय राज्यों के अनुसार लोकसभा सीटों की संख्या
भारत के प्रत्येक राज्य को उसकी जनसंख्या के आधार पर लोकसभा सदस्य मिलते हैं वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य में सबसे ज्यादा लोकसभा सदस्य संख्या है चलिए हम आपको भारत के राज्य के मुताबिक लोकसभा सीटों के बारे में बता देते हैं.
राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश नाम | प्रकार | निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या |
---|---|---|
आन्ध्र प्रदेश | राज्य | 25 |
अरुणाचल प्रदेश | राज्य | 2 |
असम | राज्य | 14 |
बिहार | राज्य | 40 |
छत्तीसगढ़ | राज्य | 11 |
गोवा | राज्य | 2 |
गुजरात | राज्य | 26 |
हरियाणा | राज्य | 10 |
हिमाचल प्रदेश | राज्य | 4 |
झारखंड | राज्य | 14 |
कर्नाटक | राज्य | 28 |
केरल | राज्य | 20 |
मध्य प्रदेश | राज्य | 29 |
महाराष्ट्र | राज्य | 48 |
मणिपुर | राज्य | 2 |
मेघालय | राज्य | 2 |
नागालैंड | राज्य | 1 |
उड़ीसा | राज्य | 21 |
पंजाब | राज्य | 13 |
राजस्थान | राज्य | 25 |
सिक्किम | राज्य | 1 |
तमिल नाडु | राज्य | 39 |
त्रिपुरा | राज्य | 2 |
तेलंगाना | राज्य | 17 |
उत्तराखंड | राज्य | 5 |
उत्तर प्रदेश | राज्य | 80 |
पश्चिम बंगाल | राज्य | 42 |
अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह | केन्द्र शासित प्रदेश | 1 |
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली | केन्द्र शासित प्रदेश | 7 |
चंडीगढ़ | केन्द्र शासित प्रदेश | 1 |
दादरा और नगर हवेली | केन्द्र शासित प्रदेश | 1 |
दमन और दीव | केन्द्र शासित प्रदेश | 1 |
लक्षद्वीप | केन्द्र शासित प्रदेश | 1 |
पुदुच्चेरी | केन्द्र शासित प्रदेश | 1 |
जम्मू और कश्मीर | केन्द्र शासित प्रदेश | 6 |
लोकसभा का कार्यकाल की जानकारी
लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है यदि लोकसभा में किसी पक्ष के पास बहुमत है तो फिर वह 5 वर्ष तक सत्ता में रहता है और 5 वर्ष के बाद फिर से लोकसभा के चुनाव होते है भारतीय लोकसभा के 17 बार चुनाव हो चुके है.यदि समय से पहले भंग ना किया जाये तो लोक सभा का कार्यकाल अपनी पहली बैठक से लेकर अगले पाँच वर्ष तक होता है उसके बाद यह स्वत: भंग हो जाती है और आम जनता फिर एक बार अपने प्रतिनिधि को चुनकर लोकसभा में भेज सकती है.
लोक सभा को कौन भंग कर सकता है
लोक सभा क्या है: वैसे तो लोकसभा अपना 5 वर्ष का कार्यकाल समाप्त करने के बाद स्वयं ही भंग हो जाती है लेकिन लोकसभा सदन में किसी राजकीय पक्ष को बहुमत ना हो और वह अपना विश्वास मत हासिल ना कर सका हो तो ऐसी स्थिति में समय से पहले लोकसभा भंग हो सकती है.
लोकसभा भंग करने का विशेष अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है यदि महामहिम राष्ट्रपति को लगता है कि लोकसभा में सत्ता पक्ष के पास बहुमत नहीं है और विपक्ष भी बहुमत सिद्ध नहीं कर सकता है तो फिर महामहिम राष्ट्रपति लोकसभा को भंग करके नए चुनाव करा सकते हैं.
लोक सभा का संचालन कौन करता है
लोकसभा अपने सदस्यों में से एक सदस्य को अपने अध्यक्ष (स्पीकर) के रूप में चुनती है जो लोक सभा का संचालन करते हैं लोक सभा के संचालन में (स्पीकर) अध्यक्ष की सहायता उपाध्यक्ष द्वारा की जाती है जिसे लोकसभा के निर्वाचित सदस्य ही चुनते हैं.यदि किसी लोकसभा बैठक में लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) मौजूद ना हो और लोकसभा उपाध्यक्ष भी मौजूद ना हो तो ऐसी स्थिति में जिस लोकसभा सत्र के लिए अन्य सदस्य का चुनाव अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की सहायता के लिए किया जाता है वह फिर लोकसभा का संचालन कर सकते हैं.
लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की शक्तियां
निर्वाचित लोकसभा सदस्य अपने अध्यक्ष के रूप में लोकसभा स्पीकर को चुनते हैं जो लोकसभा की अध्यक्षता करते हैं एवं लोकसभा में अनुशासन, गरिमा तथा प्रतिष्ठा बनाए रखने की जिम्मेदारी उन पर रहती है.
लोकसभा अध्यक्ष के पास यह शक्तियां होती है
- दोनो सदनों का सम्मिलित सत्र बुलाने पर स्पीकर ही उसका अध्यक्ष होगा.
- धन बिल का निर्धारण स्पीकर करता है यदि धन बिल पे स्पीकर साक्ष्यांकित नहीं करता तो उस बिल को धन बिल नहीं माना जायेगा.
- सभी संसदीय समितियाँ उसकी अधीनता में काम करती हैं.
- लोक सभा स्पीकर किसी समिति का सदस्य चुने जाने पर वह उसका पदेन अध्यक्ष होगा
- लोकसभा के विघटन होने पर भी स्पीकर पद पर कार्य करता रहता है नवीन लोकसभा के चुने जाने पर ही वह अपना पद छोड़ता है.
लोकसभा सत्र की जानकारी
लोक सभा क्या है: भारतीय संविधान के मुताबिक दो लोकसभा सत्रों के बीच में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं हो सकता है लोकसभा 1 वर्ष के भीतर परंपरागत रूप से तीन नियमित सत्र और एक विशेष सत्र के मुताबिक आयोजित की जा सकती है.1. बजट सत्र: किसी भी वर्ष के शुरुआती सत्र को बजट सत्र कहा जाता है यह सत्र काफी लंबा होता है और इसके पहले दिन महामहिम राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है.
2. मानसून सत्र: इस सत्र का आयोजन जुलाई अगस्त के मध्य में होता है.
3. शरद सत्र: लोकसभा का सबसे कम समय अवधि का सत्र होता है जो आमतौर पर नवंबर और दिसंबर के मध्य में होता है.
4. विशेष सत्र: लोकसभा में विशेष सत्र का आयोजन प्रधानमंत्री की सलाह पर महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा इसका आयोजन किया जाता है.
लोकसभा में लाए जाने वाले प्रस्ताव
विश्वास प्रस्ताव: भारतीय लोकसभा नियमों में इस प्रस्ताव का कहीं भी उल्लेख नहीं है हालांकि यह आवश्यकता अनुसार उत्पन्न हुआ है इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री या उनके मंत्री गण लोकसभा में पेश कर सकते हैं यदि इस प्रस्ताव के पेश हो जाने के बाद यह प्रस्ताव गिर जाता है तो फिर पूरी सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है.अविश्वास प्रस्ताव: भारतीय लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नियमों में उल्लेख है इस प्रस्ताव को लोकसभा में विपक्ष के राजकीय पक्ष ला सकते हैं इस प्रस्ताव को लाने के लिए विपक्ष के पास 50 से अधिक सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है दरअसल यह प्रस्ताव सरकार के खिलाफ होता है और यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो फिर पूरी सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है.
काम रोको प्रस्ताव: लोकसभा में विपक्ष इस प्रस्ताव को ला सकता है जिसमें सदन की पूरी कार्रवाई को रोक कर तत्कालीन जनहित के किसी एक मुद्दे को उठाया जाता है.
निंदा प्रस्ताव: लोकसभा में इस प्रस्ताव को विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ला सकते हैं.
भारतीय लोकसभा की विशेष शक्तियां
- मंत्रिपरिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदाई है
- विपक्ष के दल सिर्फ लोकसभा में ही अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं
- राष्ट्रीय आपातकाल को जारी रखने का प्रस्ताव सिर्फ लोकसभा में लाया जा सकता है और उसे पास भी सिर्फ लोकसभा से ही किया जाता है
- धन बिल पारित करने में लोकसभा निर्णायक सदन है
जैसा कि आपको हमने बताया कि भारतीय लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है 5 वर्ष बीत जाने के बाद लोकसभा का चुनाव होता है लोक सभा इलेक्शन में सीधे जनता अपना प्रतिनिधि चुन सकती है.
यदि सत्ता पक्ष के पास लोकसभा में बहुमत नहीं है तो फिर समय से पहले लोकसभा चुनाव हो सकते हैं लोकसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र के मुताबिक होते हैं जनता अपना निर्वाचन क्षेत्र का एक प्रतिनिधि चुन सकती है.
जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि लोकसभा के सदस्य होते हैं हमने आपको लोकसभा की कितनी सीटें हैं उसके बारे में पहले ही जानकारी दे दी है उसके साथ ही आपको राज्यों के हिसाब से लोकसभा क्षेत्र की जानकारी दी है.
इस पोस्ट में हमने लोक सभा क्या है इस सवाल का जवाब देने का प्रयास किया है हालांकि इस पोस्ट में भी कुछ जानकारियां हमसे छूट गई होंगी.