What is an Energy Management System in Hindi (ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली) EnMS

हम सब को पता है की उर्जा क्या होता है फिर अगर आप नहीं जानते है तो आज मै आपको बताऊंगा की उर्जा यानि Energy क्या होता है और साथ ही साथ हम ये भी जानेंगे की Energy Management System(EnMS) क्या होता है और इसके क्या लाभ है तो चलिए तो पहले हम ये जानते है की Energy क्या होता है

What is an Energy .?​

कार्य करने की क्षमता उर्जा कहलाती है यह अन्य वस्तुओ से स्थानांतरित किया जा सकता है | उर्जा का ना तो उत्पादन किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है|इसका केवल एक रूप से दुसरे रूप में रूपांतरण किया जा सकता है| दुनिया में Energy (ऊर्जा) का एक महत्वपूर्ण स्थान है।एनर्जी के बिना व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है।इस दुनिया में रहने वाले हर व्यक्ति को किसी ना किसी रूप में कम या ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है तो जाहिर सी बात है ऊर्जा किसी न किसी स्रोत से प्राप्त होती है जिसकी उपयोग की एक निश्चित सीमा होती है।अतः Energy को save करने की जरूरत है


What is an Energy Management System (ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली क्या है)?​

एक ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली नीतियों और प्रक्रियाओं का एक समूह है जो ऊर्जा के उपयोग के लिए ट्रैक, विश्लेषण और योजना बनाने के लिए एकीकृत और व्यवहार में लाया जाता है। नित्य प्रक्रिया सुधार के लोकप्रिय प्लान-डू-चेक-एक्ट पद्धति का उपयोग करना।रोजमर्रा के व्यापार प्रणालियों और प्रक्रियाओं में ऊर्जा सक्रिय प्रबंधन को एकीकृत करता है। लक्ष्य संगठनों को अपनी योजना को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए सक्षम करना है ताकि परिचालन लागत बचत प्राप्त करने के लिए, और ऊर्जा दक्षता को निरंतर बनाए रखा जा सके।

कई सरकारें उद्योग को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए या तो सक्रिय रूप से देख रही हैं या दृष्टिकोण लागू कर रही हैं। एक तरीका आईएसओ 50001 ऊर्जा प्रबंधन मानक के अनुपालन को बढ़ावा देना है।Table of Contents [hide]

ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली

ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली के लाभं (Benefits of an EnMS)​

  • बेहतर परिचालन क्षमताएँ,(Improved operational efficiencies,)
  • ऊर्जा की तीव्रता में कमी,(Decreased energy intensity,)
  • कम पर्यावरणीय प्रभाव,(Reduced environmental impacts)
  • संगठनात्मक और सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए समर्थन,(Support for organizational and cultural change,)
  • संगठनात्मक एकीकरण के लिए ड्राइवर,(Drivers for organizational integration)
  • तथ्य-आधारित निर्णयों के लिए ऊर्जा डेटा,(Energy data for fact-based decisions,)
  • संसाधन प्रबंधन की उपेक्षा करने वाली फर्मों पर प्रतिस्पर्धी लाभ,(Competitive advantages over firms that neglect resource management)
  • सामाजिक दायित्व का दर्शनीय प्रदर्शन,(Visible demonstration of social responsibility)
  • कार्बन लेखांकन के लिए पोजिशनिंग(Positioning for carbon accounting)

भारत की ऊर्जा आपूर्ति चुनौतियाँ और नए अवसर​

तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के भरण-पोषण और सुख-सुविधाओं के लिये संसाधनों की तेज़ी से खपत हो रही है। लेकिन इससे पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं का जन्म हो रहा है। ऐसे में सवाल है कि बढ़ती जनसंख्या और ऊर्जा आपूर्ति के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए ? इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा एक बेहतर निदान साबित हो सकता है जैसे –

गोबर्धन योजना – भारत सबसे ज़्यादा पशुधन आबादी का क्षेत्र है। ऐसे में यह योजना पशुओं से प्राप्त गोबर और ठोस अपशिष्ट को उपयोगी कंपोस्ट, बायोगैस और बायो-सीएनजी में बदलने पर ही केंद्रित है। इस का लाभ किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ गाँवों को स्वच्छ रखने और ऊर्जा उत्पादन में भी मिलेगा।

बायोमास संसाधनों के उपयोग से बिजली उत्पादन – बायोमास से बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये कई कार्यक्रम चला रहा है। इसका उद्देश्य देश में उपलब्ध बायोमास संसाधनों जैसे- गन्ने की खोई, चावल की भूसी, पुआल, कपास के डंठल आदि का उपयोग बिजली उत्पादन में करना है।

मेथनॉल को बढ़ावा – आयोग के अनुसार, ‘मेथनॉल एक स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन’ है जिसके द्वारा 2030 तक कच्चे तेल के आयात में 10 फीसदी तक की कमी आ सकती है।

राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति – पवन व सौर संसाधनों से भूमि का कुशल और अधिकतम उपयोग कर अधिक ऊर्जा उत्पादित करने में मदद मिलेगी। इसी क्रम में देश में सौर पार्क स्थापित किये जा रहे हैं।

BS-IV मानक इंजन वाले मोटर वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर रोक – जलवायु परिवर्तन भूगर्भीय, जैविक और पारिस्थितिकीय प्रणालियों को प्रभावित कर रहा है जिससे प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल, 2020 से BS-IV मानक इंजन वाले मोटर वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर रोक लगा दी है। इसके स्थान पर 2020 से BS-VI मानक लागू किये गए हैं|

कृषि-अपशिष्ट से जैव-सीएनजी उत्पादन – अगले पाँच वर्षों में 5,000 संयंत्र बनाकर कृषि-अपशिष्ट से जैव-सीएनजी उत्पादन करने के लिये एक योजना शुरू की है। ये संयंत्र न केवल कृषि अपशिष्ट जलाने की समस्या से निपटने में मदद करेंगे बल्कि किसानों को मौद्रिक लाभ भी दिलाएंगे।
 
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