मगध साम्राज्य का उत्कर्ष सबसे पहले तो ये जानते हैं कि मगध राज्य का विस्तार कहाँ था तो यह था वर्तमान बिहार के दक्षिणी भाग में स्थित पटना और गया जिले में था। इसके उत्तर और पश्चिम में क्रमशः गंगा और सोन नदी थी, पूर्व में चम्पा नदी तथा दक्षिण में विंध्य पर्वत की श्रेणियां स्थित थी।
मगध साम्राज्य का आगे बढ़ने का एक सबसे अच्छा कारण ये था कि यहाँ के रहने वाले लोग ज्यादा लगान (Tax) दिया करते थे। क्योंकि ये गंगा और सोन नदी के दोआब (दो नदियों का तराई क्षेत्र) में पड़ रहा है। तराई क्षेत्र में कृषि ज्यादा होगी, अगर कृषि ज्यादा होगी तो लोग ज्यादा कर (Tax) भरेंगे राजा को। और अगर राजा को ज्यादा कर मिलेगा तो राजा अपनी सेनाओं को, अपने खर्चों को सबको बड़ा करेगा। यही एक वजह रहती है जिससे मगध साम्राज्य अन्य महाजनपदों के मुकाबले बहुत आगे निकल जाता है।
इसकी प्रथम राजधानी राजगीर के निकट गिरिब्रज/राजगृह थी।
बिम्बिसार एक सच्चा राजनीतिज्ञ था। इसने कोशल एवं वैशाली के राज घरानों से वैवाहिक संबंध बना कर रखा था। कोशल साम्राज्य की जो राजकुमारी थी कोशल देवी जिसका नाम महाकोशला मिलता है और जो कि प्रसेनजीत की बहन थी, इससे इनका विवाह होता है। उसकी दूसरी पत्नी थी चेल्लना जो वैशाली के लिच्छवी प्रमुख चेटक की पुत्री थी। जैन ग्रंथो के अनुसार अजातशत्रु इसी चेल्लना के पुत्र थे और बौद्ध ग्रंथों के अनुसार ये कोशल देवी के पुत्र थे। इसके बाद उसने मद्र देश (आज का पंजाब) की राजकुमारी छेमा से विवाह करके इन्होंने वैवाहिक संबंध कायम किया और अपने आप को और ज्यादा मजबूत बनाया। अवन्ति के राजा थे चण्डप्रद्योत महासेन इनको जब पीलिया रोग होता है तब इन्होंने बिम्बिसार से रिक्वेस्ट की थी कि आपका जो राजवैद्य है उनको भेजा जाए। तब बिम्बिसार ने जीवक नामक राजवैद्य को इनके इलाज के लिए भेजा था।
बिम्बिसार ने अंग प्रदेश को जीतकर अपने साम्राज्य का अंग बना लिया। बिम्बिसार का अवन्ति से बहुत अच्छा संबंध था। अवन्ति के राजा थे चण्डप्रद्योत महासेन इनको जब पीलिया रोग होता है तब इन्होंने बिम्बिसार से रिक्वेस्ट की थी कि आपका जो राजवैद्य है उनको भेजा जाए। तब बिम्बिसार ने जीवक नामक राजवैद्य को इनके इलाज के लिए भेजा था।
अजातशत्रु के विजय का सबसे बड़ा कारण जो है वह यह था कि उनके एक तो मंत्री थे- वर्षकार/वरस्कार और देखिए जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया कि वज्जि 8 राज्यों का संघ था और उनकी सबसे बड़ी ताकत थी उनकी एकता। इस वर्षकार ने उनमें आपस में फूट डाल दी और फूट डालने के बाद वे कमजोर हो गए। और अजातशत्रु ने विजय प्राप्त कर ली। दूसरा कारण था कि अजातशत्रु के पास दो यंत्र थे एक था- महाशिलाकंटक जो पत्थर फेंकने वाला युद्ध यंत्र था और दूसरा था- रथमूसल यह रथ में एक गदा जैसा हथियार होता था जिससे एक साथ कई सैनिकों को मारा जा सकता था।
महापद्मनंद के समय सबसे मजबूत सेना नंदों की ही थी। एक प्रकार से सम्पूर्ण भारत पर राज नंदों ने ही की है। महापद्मनंद ने विशाल साम्राज्य स्थापित कर ‘एकराट’ और ‘एकच्छत्र’ की उपाधि धारण की। पाटलिपुत्र जो कि इनकी राजधानी थी मगध साम्राज्य की, उसको समस्त भारत को एक केंद्र बिंदु बना दिया। अष्टाध्यायी (संस्कृत व्याकरण) के लेखक पाणिनि महापद्मनंद के ही दरबार में रहते थे। खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख से महापद्मनंद की कलिंग विजय सूचित होती है। आज का जो ओडिशा है पहले वह कलिंग साम्राज्य हुआ करता था। इस अभिलेख के अनुसार नंद राजा जिनसेन की एक प्रतिमा उठा ले गया तथा उसने कलिंग में एक नहर का निर्माण कराया। महापद्मनंद के बाद आते हैं धनानंद।
महापद्मनंद के आठ पुत्रों में अंतिम पुत्र धनानंद था। इसे धन जमा करने का बहुत शौक था और इसलिए इनका नाम कहते हैं कि धनानंद था।। धनानंद सिकन्दर का समकालीन था। इसके शासन काल में ही यूनानी शासक सिकन्दर ने करीब 326 ई०पू० में भारत के पश्चिमी तट (पंजाब) पर आक्रमण किया। उस समय पंजाब के राजा थे पोरस उनके साथ सिकन्दर का युद्ध होता है जिसे हाइडेस्पीज के युद्ध या झेलम (वितस्ता) का युद्ध के नाम से जाना जाता है। पोरस इस युद्ध में पराजित हो जाते हैं और सिकन्दर उनसे पूछते हैं कि बताओ आपके साथ क्या व्यवहार किया जाय? तो पोरस कहते हैं वही जो एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है। इससे सिकन्दर इतना खुश होता है कि उसे उसका अपना साम्राज्य वापस दे देता है। लेकिन देखिए सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी से आगे बढ़ने से मना कर दिया। क्यों? क्योंकि उस समय हिंदुस्तान की सबसे बड़ी सेना/फौज नंद वंश के ही पास थी। तो इनकी सेना की विशालता के कारण वे आगे नहीं बढ़े। कहते हैं कि इनके पास 2 लाख पैदल सैनिक, 20 हजार घुड़सवार, 3 हजार हाथी इस प्रकार से इनके पास बहुत विशाल सेना थी। सिकन्दर स्थल मार्ग-द्वारा 325 ईसा पूर्व में भारत से लौटा। सिकन्दर की मृत्यु 323 ई०पू० में बेबीलोन में हो गया।
यूनानी लेखों में धनानंद के लिए ‘अग्रमीज’ और ‘जैन्द्रमीज’ शब्द का प्रयोग होता है। हालांकि धनानंद का शासन उतना अच्छा नहीं माना जाता है, इनको अच्छा व्यक्ति कोई नहीं मानते हैं। धनानंद के ही दरबार में थे चाणक्य/कौटिल्य/विष्णुगुप्त। एक बार धनानंद इनकी बेज्जती करते हैं। तो चाणक्य कहते हैं कि मैं तुम्हारी इस विशाल साम्राज्य का अंत करके एक योग्यवान व्यक्ति को इस पद पर बैठाऊंगा। तब चाणक्य जो हैं वे चन्द्रगुप्त मौर्य को सैनिक शिक्षा-दीक्षा में अच्छे से पारंगत करके आक्रमण करते हैं और धनानंद को हटाकर चन्द्रगुप्त मौर्य को मगध साम्राज्य की गद्दी पर बैठाते हैं। इस प्रकार एक नए वंश मौर्य वंश की नींव पड़ती है और इसके पहले शासक बनते हैं चन्द्रगुप्त मौर्य। मौर्य साम्राज्य के बारे में हमलोग अगले पोस्ट में पढेंगे।
मगध साम्राज्य का आगे बढ़ने का एक सबसे अच्छा कारण ये था कि यहाँ के रहने वाले लोग ज्यादा लगान (Tax) दिया करते थे। क्योंकि ये गंगा और सोन नदी के दोआब (दो नदियों का तराई क्षेत्र) में पड़ रहा है। तराई क्षेत्र में कृषि ज्यादा होगी, अगर कृषि ज्यादा होगी तो लोग ज्यादा कर (Tax) भरेंगे राजा को। और अगर राजा को ज्यादा कर मिलेगा तो राजा अपनी सेनाओं को, अपने खर्चों को सबको बड़ा करेगा। यही एक वजह रहती है जिससे मगध साम्राज्य अन्य महाजनपदों के मुकाबले बहुत आगे निकल जाता है।
इसकी प्रथम राजधानी राजगीर के निकट गिरिब्रज/राजगृह थी।
वेदों से जानकारी (प्रमाण) :
- ऋग्वेद में कीकट (किराट) नामक प्रदेश का उल्लेख मिलता है। जहां राजा प्रमगन्द का शासन था। (कीकट अर्थात मगध)
- यजुर्वेद में भी मगध के रहने वाले भाटों जनजाति का उल्लेख मिलता है।
- अथर्ववेद में एक प्रार्थना है उसमें कहा गया है कि यह बीमारी मगध को जाए। मतलब एक श्राप जैसा बात बोला गया है। वैसे तो आप जानते ही हैं कि अथर्ववेद में जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, अंधविश्वास यदि के बारे में बताया गया है।
मगध पर शासन करने वाले प्रमुख राजवंश
- बृहद्रथ वंश
- हर्यक वंश
- शिशुनाग वंश
- नंद वंश
- मौर्य वंश
- शुंग वंश
बृहद्रथ वंश :
अगर महाभारत और पुराणों की बात करें तो उसमें लिखा हुआ है कि मगध के प्रथम राजवंश की स्थापना बृहद्रथ ने की थी। इसकी राजधानी गिरिब्रज/राजगृह थी। महाभारत में बृहद्रथ का बेटा जरासंध का उल्लेख है यह वही जरासंध है जिसका भीम के साथ मल्ल युद्ध हुआ था। और भीम ने मारा था इनको यानी जरासंध को।हर्यक वंश (544 ई०पू-412 ई०पू०) :
बिम्बिसार (544 ई०पू०-493 ई०पू०)
इस वंश का सर्वाधिक प्रतापी और ताकतवर राजा बिम्बिसार था। बिम्बिसार ने हर्यक वंश की स्थापना 544 ई०पू० में की थी। वह बौद्ध धर्म को मानता था। बिम्बिसार महात्मा बुद्ध के समकालीन था। इसने अपनी राजधानी गिरिब्रज/राजगृह को बनाया था। बिम्बिसार ने मगध पर लगभग 52 वर्षों तक राज किया। बिम्बिसार का पुत्र था- अजातशत्रु (493 ई०पू०-461 ई०पू०) तथा अजातशत्रु का पुत्र था- उदायिन। इन सब ने अपने-अपने पिता की हत्या की इसलिए इस वंश को पितृहन्ता वंश भी कहा जाता है।बिम्बिसार एक सच्चा राजनीतिज्ञ था। इसने कोशल एवं वैशाली के राज घरानों से वैवाहिक संबंध बना कर रखा था। कोशल साम्राज्य की जो राजकुमारी थी कोशल देवी जिसका नाम महाकोशला मिलता है और जो कि प्रसेनजीत की बहन थी, इससे इनका विवाह होता है। उसकी दूसरी पत्नी थी चेल्लना जो वैशाली के लिच्छवी प्रमुख चेटक की पुत्री थी। जैन ग्रंथो के अनुसार अजातशत्रु इसी चेल्लना के पुत्र थे और बौद्ध ग्रंथों के अनुसार ये कोशल देवी के पुत्र थे। इसके बाद उसने मद्र देश (आज का पंजाब) की राजकुमारी छेमा से विवाह करके इन्होंने वैवाहिक संबंध कायम किया और अपने आप को और ज्यादा मजबूत बनाया। अवन्ति के राजा थे चण्डप्रद्योत महासेन इनको जब पीलिया रोग होता है तब इन्होंने बिम्बिसार से रिक्वेस्ट की थी कि आपका जो राजवैद्य है उनको भेजा जाए। तब बिम्बिसार ने जीवक नामक राजवैद्य को इनके इलाज के लिए भेजा था।
बिम्बिसार ने अंग प्रदेश को जीतकर अपने साम्राज्य का अंग बना लिया। बिम्बिसार का अवन्ति से बहुत अच्छा संबंध था। अवन्ति के राजा थे चण्डप्रद्योत महासेन इनको जब पीलिया रोग होता है तब इन्होंने बिम्बिसार से रिक्वेस्ट की थी कि आपका जो राजवैद्य है उनको भेजा जाए। तब बिम्बिसार ने जीवक नामक राजवैद्य को इनके इलाज के लिए भेजा था।
अजातशत्रु (493 ई०पू-461 ई०पू०)
अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या करके मगध साम्राज्य की गद्दी हासिल की। इन्हें कुणिक नाम से भी जाना था। इन्होंने 32 साल तक शासन किया। इन्हीं के समय राजगृह में 483 ई०पू० में पहली बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया, जहाँ पर बुद्ध की शिक्षाओं को सुत्तपिटक एवं विनयपिटक में विभाजित किया गया। बुद्ध की मृत्यु अजातशत्रु के शासन के 8वें वर्ष में हुई थी ऐसा बौद्ध ग्रंथों में लिखा गया है। इनका काशी और वज्जि के साथ 16 साल तक संघर्ष चलता है और फाइनली इन दोनों को मगध साम्राज्य का अंग बना लिया जाता है। ये वही वज्जि है जो 8 राज्यों का संघ था।अजातशत्रु के विजय का सबसे बड़ा कारण जो है वह यह था कि उनके एक तो मंत्री थे- वर्षकार/वरस्कार और देखिए जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया कि वज्जि 8 राज्यों का संघ था और उनकी सबसे बड़ी ताकत थी उनकी एकता। इस वर्षकार ने उनमें आपस में फूट डाल दी और फूट डालने के बाद वे कमजोर हो गए। और अजातशत्रु ने विजय प्राप्त कर ली। दूसरा कारण था कि अजातशत्रु के पास दो यंत्र थे एक था- महाशिलाकंटक जो पत्थर फेंकने वाला युद्ध यंत्र था और दूसरा था- रथमूसल यह रथ में एक गदा जैसा हथियार होता था जिससे एक साथ कई सैनिकों को मारा जा सकता था।
उदायिन (461 ई०पू०-445 ई०पू०)
उदायिन अजातशत्रु का पुत्र था और इसने 461 ई०पू० में अपने पिता की हत्या कर मगध की गद्दी पर बैठा। इसके समय की मुख्य घटना यह थी कि इसने गंगा और सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की और इसने इसी पाटलिपुत्र को अपना राजधानी बनाया। आधुनिक बिहार की राजधानी पटना यही पाटलिपुत्र है। उदायिन जैन मतानुयायी था। इसके बाद शाशक हुए अनिरुद्ध, मुण्ड और नागदशक। इन तीनों ने मिलकर करीब 412 ई०पू० तक शासन किया। हर्यक वंश का अंतिम शासक नागदशक था और यहां तक आते-आते इनका जो शासन है वो अच्छा नहीं रहा। इस वजह से जनता में अव्यवस्था फैलने लगी और इनके जो अमात्य थे शिशुनाग उसने नागदशक की हत्या करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना की।शिशुनाग वंश (412 ई०पू० – 345 ई०पू०)
शिशुनाग (412 ई०पू०-394 ई०पू०) ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापित की। शिशुनाग का उत्तराधिकारी हुआ कालाशोक (394 ई०पू०-366 ई०पू०) जिसने पुनः राजधानी को पाटलिपुत्र ले गया। कालाशोक के शासनकाल में ही 383 ई०पू० में वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था। इस वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था। उसके बाद नंद वंश की स्थापना होती है।नंद वंश (345 ई०पू०-322 ई०पू०)
नंद वंश का संस्थापक महापद्मनंद था। यह वंश शुद्र माना जाता है। क्योंकि पुराणों में कहा गया है कि इस वंश का संस्थापक महापद्मनंद एक शुद्र शासक था। पुरणों में महापद्मनंद को ‘सर्वक्षत्रान्तक’ यानि क्षत्रियों का नाश करने वाला कहा गया है। इसे दूसरा भार्गव (दूसरा परशुराम) भी कहा गया है। परशुराम ने कहा था कि मैं इस धरती को क्षत्रियों से विहीन कर दूंगा।महापद्मनंद के समय सबसे मजबूत सेना नंदों की ही थी। एक प्रकार से सम्पूर्ण भारत पर राज नंदों ने ही की है। महापद्मनंद ने विशाल साम्राज्य स्थापित कर ‘एकराट’ और ‘एकच्छत्र’ की उपाधि धारण की। पाटलिपुत्र जो कि इनकी राजधानी थी मगध साम्राज्य की, उसको समस्त भारत को एक केंद्र बिंदु बना दिया। अष्टाध्यायी (संस्कृत व्याकरण) के लेखक पाणिनि महापद्मनंद के ही दरबार में रहते थे। खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख से महापद्मनंद की कलिंग विजय सूचित होती है। आज का जो ओडिशा है पहले वह कलिंग साम्राज्य हुआ करता था। इस अभिलेख के अनुसार नंद राजा जिनसेन की एक प्रतिमा उठा ले गया तथा उसने कलिंग में एक नहर का निर्माण कराया। महापद्मनंद के बाद आते हैं धनानंद।
महापद्मनंद के आठ पुत्रों में अंतिम पुत्र धनानंद था। इसे धन जमा करने का बहुत शौक था और इसलिए इनका नाम कहते हैं कि धनानंद था।। धनानंद सिकन्दर का समकालीन था। इसके शासन काल में ही यूनानी शासक सिकन्दर ने करीब 326 ई०पू० में भारत के पश्चिमी तट (पंजाब) पर आक्रमण किया। उस समय पंजाब के राजा थे पोरस उनके साथ सिकन्दर का युद्ध होता है जिसे हाइडेस्पीज के युद्ध या झेलम (वितस्ता) का युद्ध के नाम से जाना जाता है। पोरस इस युद्ध में पराजित हो जाते हैं और सिकन्दर उनसे पूछते हैं कि बताओ आपके साथ क्या व्यवहार किया जाय? तो पोरस कहते हैं वही जो एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है। इससे सिकन्दर इतना खुश होता है कि उसे उसका अपना साम्राज्य वापस दे देता है। लेकिन देखिए सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी से आगे बढ़ने से मना कर दिया। क्यों? क्योंकि उस समय हिंदुस्तान की सबसे बड़ी सेना/फौज नंद वंश के ही पास थी। तो इनकी सेना की विशालता के कारण वे आगे नहीं बढ़े। कहते हैं कि इनके पास 2 लाख पैदल सैनिक, 20 हजार घुड़सवार, 3 हजार हाथी इस प्रकार से इनके पास बहुत विशाल सेना थी। सिकन्दर स्थल मार्ग-द्वारा 325 ईसा पूर्व में भारत से लौटा। सिकन्दर की मृत्यु 323 ई०पू० में बेबीलोन में हो गया।
यूनानी लेखों में धनानंद के लिए ‘अग्रमीज’ और ‘जैन्द्रमीज’ शब्द का प्रयोग होता है। हालांकि धनानंद का शासन उतना अच्छा नहीं माना जाता है, इनको अच्छा व्यक्ति कोई नहीं मानते हैं। धनानंद के ही दरबार में थे चाणक्य/कौटिल्य/विष्णुगुप्त। एक बार धनानंद इनकी बेज्जती करते हैं। तो चाणक्य कहते हैं कि मैं तुम्हारी इस विशाल साम्राज्य का अंत करके एक योग्यवान व्यक्ति को इस पद पर बैठाऊंगा। तब चाणक्य जो हैं वे चन्द्रगुप्त मौर्य को सैनिक शिक्षा-दीक्षा में अच्छे से पारंगत करके आक्रमण करते हैं और धनानंद को हटाकर चन्द्रगुप्त मौर्य को मगध साम्राज्य की गद्दी पर बैठाते हैं। इस प्रकार एक नए वंश मौर्य वंश की नींव पड़ती है और इसके पहले शासक बनते हैं चन्द्रगुप्त मौर्य। मौर्य साम्राज्य के बारे में हमलोग अगले पोस्ट में पढेंगे।
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- भारतीय इतिहास में नियमित और स्थायी सेना रखने वाला पहला ज्ञात शासक कौन था- बिम्बिसार
- महाजनपद युग में मगध सबसे आक्रामक महाजनपद के रूप में उभरा। मगध के साम्राज्य विस्तार का पहला शिकार कौन-सा महाजनपद हुआ- अंग महाजनपद
- कौन-सा वंश भारत में पितृहन्ता वंश के रूप में जाना जाता है- हर्यक वंश
- महाजनपदों में किस महाजनपद की राजधानी का नाम गिरिब्रज था- मगध की
- मगध की राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र किस शासक के द्वारा स्थानांतरित कर दी गई- उदायिन
- किस यूरोपीय विद्वान ने जस्टिन आदि यूनानी लेखकों द्वारा प्रयुक्त ‘सैंड्रोकोटस’ नाम की पहचान चन्द्रगुप्त मौर्य के रूप में की- विलियम जोन्स ने
- मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में कितने वर्ष रहा था- छः वर्ष
- मगध साम्राज्य का अंतिम विस्तार कलिंग-विजय के रूप में था। इसकी शुरुआत किस विजय से हुई थी- अंग विजय
महाजनपद काल एवं मगध साम्राज्य से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
1. हर्यक वंश के किस शासक को ‘कुणिक’ कहा जाता था?
- बिम्बिसार
- अजातशत्रु
- उदायिन
- इनमें से कोई नहीं
2. कौन-सा वंश भारत में पितृहन्ता वंश के रूप में जाना जाता है?
- हर्यक वंश
- शिशुनाग वंश
- नन्द वंश
- मौर्य वंश
3. प्राचीन काल में किस जनपद की राजधानी उज्जैन थी?
- अवन्ति
- कोशल
- गन्धार
- अश्मक
4. निम्नलिखित में कौन-सा एक, ईसा पूर्व 6ठी सदी में, प्रारंभ में भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली नगर राज्य था।
- गांधार
- काशी
- मगध
- कम्बोज
5. हाइडेस्पीज या वितस्ता (आधुनिक नाम-झेलम) का युद्ध (326 ई०पू०) किन-किन शासकों के बीच हुआ था?
- सिकन्दर एवं आम्भी के बीच
- सिकन्दर एवं पोरस के बीच
- सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच
- चन्द्रगुप्त मौर्य एवं धनानंद के बीच
6. सिकंदर के आक्रमण के समय उत्तर भारत पर निम्नलिखित राजवंशों में किस एक का शासन था?
- नंद वंश
- मौर्य वंश
- शुंग वंश
- कण्व वंश
7. महाजनपद युग में मगध सबसे आक्रामक महाजनपद के रूप में उभरा। मगध के साम्राज्य विस्तार का पहला शिकार कौन-सा महाजनपद हुआ?
- अंग
- अवन्ति
- वज्जि
- मल
8. विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली में किसके द्वारा स्थापित किया गया?
- मौर्य
- नंद
- गुप्त
- लिच्छवी
9. उज्जैन का प्राचीन नाम क्या था?
- अवन्तिका
- कान्यकुब्ज
- धन्यकटक
- तक्षशिला
10. नंद वंश का अंतिम शासक कौन था?
- महापद्मनंद
- अनिरुद्ध नंद
- धनानंद
- इनमें से कोई नहीं
11. सिकन्दर की मृत्यु कहाँ हुई थी?
- फारस में
- बेबीलोन में
- मेसीडोनिया में
- तक्षशिला में
12. सिकन्दर ने भारत पर कब आक्रमण किया?
- 326 ई०पू०
- 326 ई०
- 323 ई०पू०
- 323 ई०
13. प्रथम मगध साम्राज्य का उत्कर्ष किस सदी में हुआ था?
- पहली सदी ई०पू०
- दूसरी सदी ई०पू०
- तीसरी सदी ई०पू०
- छठी सदी ई०पू०
14. पटना शहर का पुराना नाम क्या है?
- कन्नौज
- पाटलिपुत्र
- कपिलवस्तु
- कौशाम्बी
15. पाली ग्रंथो में गाँव के मुखिया को क्या कहा गया है?
- ग्रामपति
- ग्रामक
- भोजक/ग्राम भोजक
- जेष्ठक
16. उस राज्य का नाम बताइए जिसने पहली बार युद्ध में हाथियों का इस्तेमाल किया?
- कोशल
- अवन्ति
- चम्पा
- मगध
17. निम्नलिखित में से कौन एक मगध साम्राज्य की राजधानी नहीं रही है?
- गिरिब्रज
- राजगृह
- पाटलिपुत्र
- कौशाम्बी
18. किस शासक ने गंगा एवं सोन नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर की स्थापना की?
- अजातशत्रु
- अशोक
- धनानंद
- उदायिन
19. मगध की प्रथम राजधानी कौन-सी थी?
- गिरिव्रज/राजगृह
- पाटलिपुत्र
- वैशाली
- चम्पा
20. मगध साम्राज्य का अंतिम विस्तार कलिंग-विजय के रूप में था। इसकी शुरुआत किस विजय से हुई थी?
- अवन्ति
- अंग
- वत्स
- काशी
21. किस शासक द्वारा सर्वप्रथम पाटलिपुत्र का राजधानी के रूप में चयन किया गया?
- अजातशत्रु द्वारा
- कालाशोक द्वारा
- उदायिन द्वारा
- कनिष्क द्वारा
22. नंद वंश का संस्थापक कौन था?
- महापद्मनंद
- कालाशोक
- धनानंद
- नागर्जुन
23. शिशुनाग वंश का वह कौन-सा शासक था, जिसके समय में वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया, उसे ‘काकवर्ण’ के नाम से भी जाना जाता है?
- शिशुनाग
- कालाशोक
- नंदिवर्धन
- इनमें से कोई नहीं
24. निम्नलिखित में से मगध का कौन-सा राजा सिकन्दर महान का समकालीन था?
- महापद्मनंद
- धनानंद
- सुकल्प
- चन्द्रगुप्त मौर्य
25. बिम्बिसार के समय में मगध की राजधानी कौन-सी थी?
- नालंदा
- पाटलिपुत्र
- राजगृह
- तक्षशिला
26. 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है-
- अंगुत्तर निकाय में
- छांदोग्य उपनिषद में
- संयुक्त निकाय में
- महाभारत में
27. शिशुनाग ने अपनी राजधानी कहाँ बनाई थी?
- मुर्शिदाबाद
- मुंगेर
- वैशाली
- पाटलिपुत्र
28. भारतीय इतिहास में नियमित और स्थायी सेना रखने वाला पहला ज्ञात शासक कौन था?
- बिम्बिसार
- महापद्मनंद
- कालाशोक
- इनमें से कोई नहीं
29. अभिलेखीय साक्ष्य से प्रकट होता है कि नंद राजा के आदेश से कहाँ पर एक नहर खोदी गयी थी?
- अंग में
- वत्स में
- कलिंग में
- मगध में
सोलह महाजनपदों में कौन-सा एकमात्र ऐसा जनपद था जो दक्षिण भारत में गोदावरी नदी के किनारे स्थित था।
- अवन्ति
- अश्मक
- मत्स्य
- चेदि