पादप जगत किसे कहते है?, (Padap Jagat Kise Kahte Hai)


हेलो दोस्तों, हमारे इस Blog में आपका स्वागत है, हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको पादप जगत किसे कहते है?, (Padap Jagat Kise Kahte Hai) थेलोफायता क्या है, शैवाल क्या है, (Seval Kya Hai), शैवाल के प्रमुख लक्षण, शैवालों में प्रजनन, शैवालों का आर्थिक महत्व इन सबके बारे में बताएंगे, तो चलिए दोस्तों शुरू करते है

पादप जगत किसे कहते है?, (Padap Jagat Kise Kahte Hai)​

जीवो के आधुनिक वर्गीकरण के अनुसार जीवमंडल के सभी बहुकोशकीय, प्रकाश संश्लेषी, उत्पादक एवं सवंपोषी को पादप जगत के अंतर्गत रखा गया है,

पादप जगत

1. थैलोफाइटा

2. ब्रायोफाइटा

3. ट्रेकियोफ़ायता
(A) टेरीडोफ़ायता
(B) अनावृतबीजी
(C) आवृतबीजी
(I) एकबीजपत्री
(II)द्विबीजपत्री

1. थैलोफाइटा क्या है? (thallophyta kya hai)

इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के शैवाल, कवक, तथा जीवाणु आते हैं थेलोफायता का शरीर जड़, तना एवं पत्तियों में विभाजित नहीं रहता है लेकिन यह थैलस के रूप में रहता है, इसलिए इन्हे थेलोफायता कहते हैं इनमे संवहन उत्तक नहीं पाया जाता है!

शैवाल (Algae In Hindi)

शैवाल क्या है? ( Algae In Hindi)


शैवाल पादप जगत का सबसे सरल जलीय जीव है, जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन का निर्माण करता है शैवालों के अध्ययन को फाइकोलॉजी कहते हैं!

शैवाल प्राय: हरितलवक युक्त, संवहन उत्तक रहित स्वपोषी होते हैं, इनका शरीर सुखाय सदृश्य होता है, यह ताजे जल, समुद्री जल, गर्म जल के झरनो, कीचण नदी, तालाबों में पाए जाते हैं, कुछ शैवालों में गति करने के लिए फ्लेजिला पाए जाते हैं, बर्फ पर पाए जाने वाले शैवाल को क्रिप्टोफाइट्स तथा चट्टान पर पाए जाने वाले वालों को लिथोफाइटस कहते हैं!

शैवाल में पाए जाने वाले प्रमुख लक्षण (Seval ke Lakshan)

1. शैवाल की कोशिकाओं में सैलूलोज की बनी कोशिका भित्ति पाई जाती है!
2. शैवाल में भोज्य पदार्थों का संचय मण्ड (स्टार्च) के रूप में रहता है!
3. इनका जलांग एक कोशिकीय होता है और निषेचन के बाद कोई भ्रूण नहीं बनाते ! 4. ये अधिकांशतः जलीय होते हैं!
5. कुछ शैवाल नमी युक्त स्थानों पर भी पाए जाते हैं!
6. इनमे प्रजनन अलैंगिक एवं लैंगिक दोनों विधियों द्वारा होता है!

आवास स्थान

शैवाल ताजे जल, समुद्री जल, गर्म जल के झरनों, नमीयुक्त स्थानों, कीचढ़, नदियों, तालाबों आदि में पाए जाते हैं, यह पेड़ों के तनों तथा चट्टानों पर भी पाए जाते हैं, कुछ शैवाल अदि पादप के रूप में दूसरे पौधों पर पाए जाते हैं,जैसे – उड़ोगोनियम

प्रोटोडर्मा एक ऐसा शैवाल है जो कछुए की पीठ पर उगता है, क्लैडोफोरा नामक शैवाल घोंघे के ऊपर रहता है! इतना ही नहीं कुछ शैवाल जंतुओं के शरीर के अंदर निवास करते हैं जैसे – जूक्लोरेला नामक शैवाल निम्नवर्गीय जंतु हाइड्रा के अंदर पाया जाता है कुछ शैवाल परजीवी भी होते हैं, जैसे – सिफेल्यूरोस जो चाय कॉफी आदि की पत्तियों पर होते हैं, ओसिलेटोरिया मनुष्य एवं दूसरे जन्तुओ की अंतड़ियो में पाया जाता है!

शैवालों में प्रजनन (Reproduction In Algae)

शैवालों में निम्नलिखित तीन प्रकार की प्रजनन क्रिया होती है

1. कायिक प्रजनन – शैवालों में कायिक जनन की क्रिया खण्डन, हार्मोगोन, प्रोटोनिमा तथा इकाईनेट द्वारा होता है!
2. अलैंगिक प्रजनन – शैवालों में अलैंगिक जनन की क्रिया चलबीजाणु, अचलबीजाणु, हिम्नोस्पोर, ऑटोस्पोर तथा एंडोस्पोर द्वारा होता है!
3. लैंगिक प्रजनन – शैवालों में लैंगिक प्रजनन की क्रिया समयुग्मक, विषमयुग्मक तथा अण्डयुग्मक द्वारा होता है!

शैवालों का आर्थिक महत्व (Seval ka Arthik Mahatva)

लाभदायक शैवाल

1. भोजन के रूप में
2. व्यवसाय में
3. कृषि के क्षेत्र में
4. औषधि के रूप में
5. अनुसंधान कार्यों में
6. मवेशियों के चारा के रूप में
7. भूमि के निर्माण में

हानिकारक शैवाल

1. कुछ सवाल जलाशयों में प्रदूषण को बढ़ाते हैं जिससे जलाशय का जल पीने योग्य नहीं रह पाता है

2. सिफेल्युरॉस नामक शैवाल चाय के पौधों पर लाल किट्ट रोग नामक पादप रोग उत्पन्न करता है

3. वर्षा ऋतु के दौरान शैवालों के कारण भूमि हरे रंग की दिखने लगती है

कुछ अन्य फैक्ट्स-​

1. एसिटाबलेरिया सबसे छोटा एक कोशकीय शैवाल है
2. मैक्रोसिस्टिस सबसे बड़ा शैवाल है इस शैवाल को दैत्याकार समुद्री घास भी कहा जाता है
3. सबसे छोटा गुणसूत्र ट्रिलियम नामक शैवालों का होता है
4. नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले नील हरित शैवाल धान के खेतों में पाए जाते हैं
5. ट्राइकोडेस्मियम इरीथ्रीरियम नामक नील हरित शैवाल लाल सागर में जल के ऊपर तैरता रहता है और उन्हें लाल रंग प्रदान करता है इस कारण यह सागर को लाल सागर का नाम दिया गया है
6. क्लोरेला नामक शैवाल को अंतरिक्ष शैवाल के नाम से जाना जाता है
7. अल्वा को साधारण सलाद कहते हैं
8. नीलहरित शैवाल का नया नाम सायनोबैक्टीरिया दिया गया है
9. बर्फ पर उगने वाले शैवालों को क्रायोफायटिक शैवाल कहते है
10 माइक्रोसिस्टिस, ओसिलेटोरिया, लिंगबिया आदि शैवालों के कारण वाटर ब्लूम्स बनते है
 

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