दीनदयाल उपाध्याय वर्ष 1937 में अपने कॉलेज के दिनों में कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) से जुड़े वह इन्होंने (आर.एस.एस) के संस्थापक ‘डॉक्टर हेडगेवार’ से बातचीत की और संगठन के प्रति पूरी तरह से अपने आप को समर्पित कर दिया था|
दीनदयाल जी ने कम उम्र में अनेक उतार-चढ़ाव देखा परंतु अपने दृढ़ निश्चय से जिंदगी में आगे बढ़े| दीनदयाल उपाध्याय ने सीकर से हाईस्कूल की परीक्षा पास की जन्म से बुद्धिमान और प्रतिभाशाली होने के कारण दीनदयाल को स्कूल और कॉलेज में अध्यक्ष के दौरान कई स्वर्ण पदक प्राप्त किए तथा इसके साथ साथ भाषा प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त हुए|
उन्होंने अपने स्कूल की शिक्षा बिरला कॉलेज पिलानी से और स्नातक की शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय के सनातन धर्म कॉलेज से पूरी की थी| इसके पश्चात उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा पास की लेकिन आम जनता के सेवा के लिए इस नौकरी का उन्होंने त्याग कर दिया| दीनदयाल उपाध्याय अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों से ही समाज सेवा के प्रति समर्पित थे| वर्ष 1937 में अपने कॉलेज के दिनों में कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) से जुड़े| वहां इन्होंने (आर.एस.एस) के संस्थापक डॉ हेडगेवार से बातचीत की और संगठन के प्रति पूरी तरह से अपने आप को समर्पित कर दिया| वर्ष 1942 में कॉलेज की शिक्षा पूर्ण करने के बाद इन्होंने ना तो नौकरी के लिए प्रयास किया और ना ही विवाह किया बल्कि संघ की शिक्षा का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए (आर.एस.एस.) के 40 दिवसीय शिविर में भाग लेने नागपुर चले गए थे| डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा सन् 1951 में स्थापित किए गए भारतीय जनसंघ का इनको प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया था| ये लगातार 1967 ई. तक जन संघ के महासचिव का कार्य करते रहे| उनकी कार्यक्षमता, खुफिया गतिविधियों और पूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉ श्यामा प्रकाश मुखर्जी कहते थे कि यदि मेरे पास दो दीनदयाल उपाध्याय हो तो मैं भारत का राजनैतिक चेहरा बदल सकता हूं|
परंतु सन 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन हो जाने के कारण से संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के युवा कंधों पर आ गई थी| भारतीय जनसंघ के 14 में वार्षिक अधिवेशन में दीनदयाल को दिसंबर 1967 ई. में कालीकट में जन संघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया तथा 11 फरवरी 1968 ई.को इनकी मृत्यु हो गई कहा जाता है कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय का बिना प्राण के शरीर पाया गया था|
• राजनीतिक दल — भारतीय जनसंघ
वर्तमान नाम (भारतीय जनता पार्टी)
इनकी मृत्यु 11 फरवरी 1968 ई. को हुई थी कहा जाता है कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर इनका बिना प्राण के शरीर पाया गया था|
2. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म कहां हुआ?
उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 ई. को उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान ग्राम में हुआ था|
3. दीनदयाल उपाध्याय कौन थे?
उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 में हुआ था| ये भारतीय जन संघ के प्रथम महासचिव थे| इनकी मृत्यु की 11 फरवरी सन 1968 ई. में हुई थी|
दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी
दीनदयाल उपाध्याय का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान ग्राम में 25 सितंबर, 1916 ई. में हुआ था| अब इस ग्राम को `पंडित उपाध्याय धाम’ के नाम से जाना जाता है| इन के परदादा का नाम पंडित हरी राम उपाध्याय था| जो कि एक प्रसिद्ध एवं प्रख्यात ज्योतिषी थे| दीनदयाल उपाध्याय के पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय तथा मां का नाम रामप्यारी था| इनके पिता जलसेर में सहायक स्टेशन मास्टर के रूप में कार्य करते थे| इनकी मां बहुत ही धार्मिक विचारधारा वाली महिला थी| उनके छोटे भाई का नाम शिवदयाल उपाध्याय था| दुर्भाग्यवश मात्र जब ये 2 वर्ष की अल्पअवस्था में थे तभी इनके पिता का निधन हो गया| इसके बाद इनका परिवार राजस्थान राज्य के जयपुर जिले के ग्राम धनकिया में इनके नाना के साथ निवास करने लगा यहां परिवार दुखों से उबरने का प्रयास कर ही रहा था की तपेदिक रोग के इलाज के दौरान इनकी माताजी दो छोटे बच्चों को छोड़ कर इस संसार से चली गई| इनका मात्र 10 वर्ष की अवस्था में इनके नाना का भी निधन हो गया| मामा ने इनका पालन-पोषण अपने बच्चों की तरह किया छोटी अवस्था में ही (dindayal upadhyaya) दीनदयाल अपना ध्यान रखने के साथ-साथ इन्होंने अपने छोटे भाई के अभिभावक का दायित्व निभाया| परंतु दुर्भाग्य से भाई को चेचक की बीमारी हो गई और 18 नवंबर 1934 ई. को इनके भाई का निधन हो गया|दीनदयाल जी ने कम उम्र में अनेक उतार-चढ़ाव देखा परंतु अपने दृढ़ निश्चय से जिंदगी में आगे बढ़े| दीनदयाल उपाध्याय ने सीकर से हाईस्कूल की परीक्षा पास की जन्म से बुद्धिमान और प्रतिभाशाली होने के कारण दीनदयाल को स्कूल और कॉलेज में अध्यक्ष के दौरान कई स्वर्ण पदक प्राप्त किए तथा इसके साथ साथ भाषा प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त हुए|
उन्होंने अपने स्कूल की शिक्षा बिरला कॉलेज पिलानी से और स्नातक की शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय के सनातन धर्म कॉलेज से पूरी की थी| इसके पश्चात उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा पास की लेकिन आम जनता के सेवा के लिए इस नौकरी का उन्होंने त्याग कर दिया| दीनदयाल उपाध्याय अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों से ही समाज सेवा के प्रति समर्पित थे| वर्ष 1937 में अपने कॉलेज के दिनों में कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) से जुड़े| वहां इन्होंने (आर.एस.एस) के संस्थापक डॉ हेडगेवार से बातचीत की और संगठन के प्रति पूरी तरह से अपने आप को समर्पित कर दिया| वर्ष 1942 में कॉलेज की शिक्षा पूर्ण करने के बाद इन्होंने ना तो नौकरी के लिए प्रयास किया और ना ही विवाह किया बल्कि संघ की शिक्षा का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए (आर.एस.एस.) के 40 दिवसीय शिविर में भाग लेने नागपुर चले गए थे| डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा सन् 1951 में स्थापित किए गए भारतीय जनसंघ का इनको प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया था| ये लगातार 1967 ई. तक जन संघ के महासचिव का कार्य करते रहे| उनकी कार्यक्षमता, खुफिया गतिविधियों और पूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉ श्यामा प्रकाश मुखर्जी कहते थे कि यदि मेरे पास दो दीनदयाल उपाध्याय हो तो मैं भारत का राजनैतिक चेहरा बदल सकता हूं|
परंतु सन 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन हो जाने के कारण से संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के युवा कंधों पर आ गई थी| भारतीय जनसंघ के 14 में वार्षिक अधिवेशन में दीनदयाल को दिसंबर 1967 ई. में कालीकट में जन संघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया तथा 11 फरवरी 1968 ई.को इनकी मृत्यु हो गई कहा जाता है कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय का बिना प्राण के शरीर पाया गया था|
पत्रकार के रूप में
dindayal upadhyaya उपाध्याय एक चर्चित पत्रकार भी थे| उपाध्याय के अंदर की पत्रकारिता तब प्रकट हुई थी जब इन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका `राष्ट्रधर्म’ में वर्ष 1940 के दशक में कार्य किया अपने (आर.एस.एस.) के कार्यालय के दौरान इन्होंने एक दैनिक समाचार पत्र `स्वदेश’ के संपादन का भी कार्य किया था| उन्होंने नाटक `चंद्रगुप्त मौर्य’ और हिंदी में `शंकराचार्य’ की जीवनी लिखी| इन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉ के.बी. हेडगेवार की जीवनी का मराठी से हिंदी में अनुवाद किया| इनकी प्रसिद्धि साहित्यिक कृतियों में `अखंड भारत क्यों’, `जगद्गुरु शंकराचार्य’, `सम्राट चंद्रगुप्त’, `राष्ट्रीय जीवन की समस्याएं’, `राष्ट्र चिंतन’, और `राष्ट्रीय जीवन की दिशा’ आदि प्रमुख रचनाएं किए थे|- संपादन– स्वदेश
- लेखन विधा — निबंध, उपन्यास, काव्य
- भाषा जन — प्रचलित आम बोलचाल की भाषा
- शैली — विचारात्मक,विवेचनात्मक एवं आलोचनात्मक
प्रमुख रचनाएं
सम्राट चंद्रगुप्त, शंकराचार्य की जीवनी, एकात्म मानववाद, भारतीय अर्थनीति -दशा और दिशा, एक प्रेम कथा, भारतीय अर्थ नीति का अवमूल्यन, दो योजनाएं, राजनैतिक डायरी, राष्ट्रीय जीवन की दिशा• राजनीतिक दल — भारतीय जनसंघ
वर्तमान नाम (भारतीय जनता पार्टी)
दीनदयाल की स्मारक एवं योजनाएं
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा है|इस योजना से भारत के साडे पाच लाख से अधिक युवाओं जुड़े हुए हैं| इस योजना का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक कुशल युवाओं को रोजगार प्राप्त करना है| इस योजना को डीडीयू-जीकेवाई के नाम से भी जानते हैं|दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर
यह विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है| इस विद्यालय का नाम दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय है| जिसकी स्थापना सन 1957 ई. में हुई थी| यह विश्वविद्यालय दीनदयाल के स्मारक के रूप में स्थापित किया गया है|दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन
पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे जंक्शन स्टेशन या स्टेशन उत्तर प्रदेश में स्थित है| इस स्टेशन को पहले मुगलसराय रेलवे जंक्शन के नाम से जाना जाता था|पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना
इस योजना के माध्यम से युवाओं को उनके मनपसंद कौशल के अनुसार उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है| जब वह युवा अपनी मनपसंद कौशल में निपुण हो जाते हैं| तो उन्हें रोजगार मुहैया कराया जाता है | इस योजना में युवाओं को भारत सरकार द्वारा एक सर्टिफिकेट दिया जाता है उस सर्टिफिकेट की सहायता से उन्हें नौकरी आसानी से प्राप्त हो जाती है|दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
इस योजना को (डी. डी. यू. जी जे. वाई) के नाम से भी जानते हैं| यह योजना भारत सरकार द्वारा 1 नवंबर 2014 से संचालित किया जा रहा है| इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के हर गांव में बिजली उपलब्ध कराना है| यह भारत सरकार के मुख्य योजनाओं में से एक है| तथा इसके साथ साथ ही भारत विद्युत मंत्रालय का भी एक प्रमुख योजना है|दीनदयाल अंत्योदय योजना
इस योजना का मुख्य उद्देश्य कौशल विकास एवं अन्य विकल्पों द्वारा आजीविका में वृद्धि कर भारत के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में गरीबी को कम करना है| यह योजना भारत सरकार द्वारा संचालित की जाती है| भारत सरकार द्वारा इस योजना पर 500 करोड़ रुपए से अधिक का खर्चा कर चुकी है|दीनदयाल उपाध्याय आवास योजना
इस योजना के अंतर्गत भारत के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के गरीब लोगों को मुफ्त में आवास प्राप्त कराना है| यह योजना भारत सरकार द्वारा संचालित की जा रही है|FQA
1. दीनदयाल उपाध्याय की मौत कब हुई?इनकी मृत्यु 11 फरवरी 1968 ई. को हुई थी कहा जाता है कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर इनका बिना प्राण के शरीर पाया गया था|
2. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म कहां हुआ?
उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 ई. को उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान ग्राम में हुआ था|
3. दीनदयाल उपाध्याय कौन थे?
उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 में हुआ था| ये भारतीय जन संघ के प्रथम महासचिव थे| इनकी मृत्यु की 11 फरवरी सन 1968 ई. में हुई थी|
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