Mystery of Kailash Parvat in Hindi - Way of Haven on Kailash Parvat Created By Ravana - कैलाश पर्वत का रहस्य!

कैलाश पर्वत जिसे पौराणिक कथाओं में शिव का स्थान कहा गया, और कहा जाता है आज भी भोलेनाथ अपने परिवार समेत इसी स्थान पर विराजित है, इस पर्वत की महतत्वता हिन्दू धर्म के अलावा बौध और जैन धर्म में भी है, इस पर्वत के रहस्यों को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए है, यहाँ समय तेजी से बढ़ता है, कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र भी मानते है, यहाँ राडार और कंपस भी ठीक से काम नहीं करते, कैलाश पर्वत पर एक अजीब रेडिएशन फैला हुआ है, जिससे यहाँ आधुनिक उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते है।

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कैलाश पर्वत एक ऐसा रहस्यमयी पर्वत है जो आजतक अजेय मना जाता है, इस पर्वत पर आजतक कोई भी पर्वता रोहि नहीं चढ़ पाया जबकि कैलाश पर्वत दुनिया के सबसे ऊचें पर्वत की चोटी से 2200 मीटर छोटा है, फिर भी इस कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया है ऐसा नहीं है की इसपर चढने की कोशिश नहीं की गई, इसपर चढाने की बहुत कोशीश की गई परन्तु कोई भी सफल नहीं रहा, वही माउंट एवेरेस्ट पर 7 हजार से ज्यादे लोग चढ़ चुके है, कैलाश पर्वत समुद्र ताल से 22068 फिट ऊंचा है, कैलाश पर्वत तिब्बत के उत्तर स्थित है चुकी तिब्बत अब चीन के आधीन है इसलिए कैलाश अब चीन का हिस्सा है, कैलाश कभी भारत का हिस्सा था।


कैलाश पर्वत से ही 4 पवित्र नदियों का उद्गम हुआ है​

कैल्श पर्वत अपने उचाई के चलते नहीं बल्कि अपने आकार और रहस्यमयी विशेषताओं के चलते समझा जाता है , इसका आकार चौमुखीय है जो दिशा बताने वाले कंपस की तरह है , कैलाश पर्वत से 4 महान नदियों का उदय होता है ,सतलुज ,सिंधु , ब्रम्हपुत्र और घाघरा नदी ये चारों नदियाँ इस पुरे क्षेत्र को अलग अलग दिशा में बाटती है , कैलाश पर्वत को विश्व का केंद्र माना जाता है।

कैलाश पर्वत पर दिशा सूचक यन्त्र काम नहीं करता​

कैलाश पर्वत पूरी धरती का केंद्र माना जाता है जहा सभी दिशाए आकर मिलती है , ऐसे में यहाँ दिशा सूचक यन्त्र यानी कंपस भी ठीक से काम नहीं करते है , तिब्बत के लोग मानते है कि इस स्थान पर अलौकिक शक्तियों का एक आवरण है और यहाँ आज भी बहुत सारे योगी योगमुद्रा में है जिससे कैलाश पर्वत अलौकिक आवरण है , वैज्ञानिक भी कैलाश पर्वत पर एक अजीब से रेडिएशन होने की पुष्टि कर चुके है जिससे यहाँ आधुनिक उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते है, इसी जगह धरती के उतरी और दक्षिणी ध्रुव मिलते है इसीलिए इसे एक्सिस मुंडी कहते है , एक्सिस मुंडी वो जगह होती है जहाँ दोनों ध्रुवो के तरंगों का समागन होता है , जिससे कम्पस भी यहाँ काम नहीं करता है।

वैज्ञानिको के अनुसार कैलाश पर्वत एक खोखला पिरामिड है​

वैज्ञानिको ने कैलाश पर्वत पर पहुत शोध किया है उनके अनुसार कैलाश पर्वत एक विशाल पिरामिड है, बिलकुल मिश्र के पीरमिड के समान,बस ये पिरामिड मानव के उत्पति से भी पहले से है, जो अंदर से खोखला है जिसके अंदर रहस्मयी और आधुनिक औजार हो सकते उनके अनुसार कैलाश पर्वत के अंदर एक रहस्मयी दुनिया होने के दावे भी किये गए है उनकी माने तो कैलाश पर्वत के अंदर एक उन्नत सभ्यता रहती है जो कैलाश पर्वत के मौसम को कण्ट्रोल करती है और खुद को संरक्षित रखती है, एक और बात इस जगह को और भी रहस्मयी बनाती है वो है यति यानी हिम मानव यहाँ कई बार हिम मानव देखे जाने की पुष्टि हो चुकी है, जो प्राचीन आदि मानव की जाती है।

कैलाश पर्वत पर समय बहुत तेजी से बढ़ता है​

कैलाश पर्वत का सबसे रहस्यमयी तथ्य यह है की यहाँ समय बहुत तेजी से बीतता है , आप माने या न माने , यहाँ जाने वाले यात्री और वैज्ञानिको ने महसूस किया है की कैलाश पर्वत पर उनके बाल और नाख़ून बहुत तेजी से बढ़ रहे है , ये किसी अकेले ने नहीं, लगभग सभी ने महसूस किया है , इसी आधार पर वज्ञानिकों ने बताया है की यहाँ समय की गति बहुत तेज हो जाती है , हलाकि वैज्ञानिक इसके पीछे के कारण को अभी तक समझ नहीं सके है।

कैलाश पर्वत के चोटियों पर 2 रहस्य्मयी झील स्थित है​

कैलाश पर्वत पर स्थित है 2 झील है पहला है मानसरोवर झील जो दुनियां में सर्वाधिक उचाई पर स्थित सुद्ध पानी की सबसे बड़ी झील है , यह झील 320 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है और इस झील का आकर सूर्य के सामान है और दूसरा है राक्षस झील है ,जो दुनिया में सबसे उचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झील है यह झील 225 वर्ग किलोमीटर में फैली है और इसका आकर चन्द्रमा जैसा है , पुराणों में मानसरोवर झील को ही छीरसागर कहा गया है , छीरसागर कैलाश पर्वत से 40 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है , इसी छीरसागर में भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी शेषनाग पर बैठ कर पुरे संसार को संचालित करते है।


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और राक्षस झील के बारे मे मान्यता है की इसी झील के पास बैठ कर रावण ने भगवन शिव की घोर तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम राक्षस झील पड़ा है , दोनों झील के एक दूसरे के इतने पास होने के वावजूद इनके गुणों में इतना अंतर अपने आप में हैरान कर देने वाला है , मानसरोवर सकरात्मक जबकि मानसरोवर नकरात्मक ऊर्जा का प्रतिक माना जाता है।


कैलाश पर्वत पर प्रकाश और ध्वनि तरंगे भी आलोकिक शक्तयों का प्रदर्शन करती है​

कैलाश पर्वत अपना रंग बदलते रहता है जो की सूर्य के प्रकाश के चलते होता है , इसका रंग कभी दूधिया सफ़ेद कभी गोल्डन तो कभी नील रंग का होते रहता है ,इसकी चोटी पर जमी बर्फ भी अलौकिक शक्ति का प्रदर्शन करती है क्योंकि बर्फ इस तरह जमी रहती है मानो ॐ लिखा हुआ हो , जो की भगवान् शिव का प्रतिक माना जाता है , कैलाश पर्वत से हमेशा ॐ की ध्वनि निकलती रहती है , वैज्ञानिको की माने तो ये ध्वनि बर्फ के टूटने की आवाज से ॐ की ध्वनि उत्पन्न होती है , हमारे ब्रमांड में भी ॐ ध्वनि ही सुनाई देती है ये नशा के वैज्ञानिको ने पुष्टि की है अब इसे संयोग माने या शिव की शक्ति का रहस्य ये आपके ऊपर है। गर्मियों में जब बर्फ पिघलती है तो डमरुँ की आवाज सुनाई देती है।

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एक ऐसी मान्यता है की मानसरोवर में जो भी एक बार शिव का नाम लेकर डुबकी लगता है तो वो मृत्यु के बाद रूद्र लोक पहुंच जाता है , अगर आप भी कभी कैलाश पर्वत जाते है तो मानसरोवर में एक बार डुबकी जरूर लगावें , मानसरोवर में स्नान का सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 3 बजे से 5 बजे का है इसे ब्रम्ह मुहूर्त कहते है , कहा जाता है की देवतागण भी यहाँ इसी मुहूर्त में स्नान करने आते है।

कैलाश पर्वत अपना आकर बदलते रहता है , कैलाश पर्वत की उचाई 6638 मीटर है , इसकी चोटी की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है जिसपर पुरे साल बर्फ जमी रहती है , परन्तु तमाम कोशिशों के वावजूद कोई पर्वतारोही कैलाश पर्वत की चोटी तक नहीं पहुंच पाया है।

तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई पूरी की थी​

ऐसा माना जाता है की 11वी सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिला रेपा ने कैलाश पर्वत पर अपनी चढ़ाई पूरी की थी परन्तु इसे एक अपवाद ही माना जाता रहा है क्योंकि मिलारेपा ने स्वम् कभी इसकी पुष्टि नही की थी ,20वी सदी में पश्चिमी देशो के अनेको पर्वतारोही ने अनेको बार कैलाश पर्वत पर चढाने के कोशिश की थी, परन्तु हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी , जब उन पर्वतारोहियों से बातचीत की गई तो अध्भुत् तथ्य सामने आये ,किसी ने कहा की कैलाश पर्वत पर चढ़ते ही अचानक से मौसम बदलने लगता है चढ़ना नामुमकिन हो जाता है , तो किसी ने कहा की हम दिशा भर्मित हो गए थे , तो किसी ने कहा हम ठीक ठाक चढ़ रहे थे अचानक से आगे का रास्ता गायब हो गया और तेज बारिश होने लगी। कैलाश पर्वत की ऐसी रहस्य्मयी घटनाओं को देखते हुए चीन सरकार ने 2001 में कैलाश पर्वत पर चढ़ाई के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा दिया।

स्वर्ग जाने का रास्ता है कैलाश पर्वत​

तिब्बत के लोगो का मानना है की कैलाश पर्वत से ही स्वर्ग जाने का कोई रास्ता है और कैलाश पर्वत के निचे दो दिव्या शहर बसे हुए है पहला संभाला और दूसरा अगाथा , और संभाला की रक्षा पारलौकिक शक्तिया कर रही है यहाँ सिर्फ सिद्धि प्राप्त लोग ही जा सकते है।

बैज्ञानिको का भी मानना है की कैलाश पर्वत में अजीब सी रेडिएसशन आती है , और यहाँ पर किये प्रोयोगो से ये साफ़ स्पष्ट है की यहाँ पर कुछ तो रहस्य है , इसीलिए हिमालय की चोटी पर बहुत से लोग चढ़ चुके है परन्तु कैलाश पर्वत पर आजतक कोई नहीं चढ़ पाया है , अब तो इसपर चढने की मनाही भी हो चुकी है।

सांघाई चीन के वासी डॉक्टर लुइसिन ने संभाला के बारे में खोज करते हुवे कहा है की पूरी दुनिया में उस जगह पर आधुनिक उपकरणों का उपयोग करना नामुमकिन है क्योंकि वहाँ के वासी हमसे अत्यधिक उन्नत और आधुनिक है , और उन्होंने आगे कहा की कैलाश पर्वत से ही पृथ्वी से स्वर्ग जाने का मार्ग है , यहाँ के लोग टेलीपैथी के माध्यम से दुनिया के किसी भी ब्यक्ति से बात कर सकते है , औऱ किसी भी घटना की जानकारी क्षणों में लगा सकते है।

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कई धर्म ग्रंथो में इस जगह को स्वर्ग भी कहा गया है , जहाँ दुःख दर्द दर लोभ झोभ मोह और ईर्ष्या का निवास नहीं हो सकता है , कैलाश पर्वत की इस जगह को HIDDEN CITY के नाम से भी जाना जाता है।

कहा जाता है की भगवान् बुद्ध ने अपने अंतिम समय में समय के चक्र को जान लिया था , और इस जगह के बारे में कई लोगो बताया भी था , और उसके बाद से ही इसे तिब्बत में संभाला कहा जाने लगा , जिसका अर्थ है खुशियों का श्रोत।

रावण ने स्वर्ग की सीढ़ी कैलाश पर्वत पर बनाई थी​

रामायण काल की कहानिया कौन नहीं जनता जिनमे एक ये भी है रावण ने एक बार धरती से स्वर्ग जाने के रास्ते का निर्माण करने की सोची तब उसने स्वर्ग की सीढ़ी कैलाश पर्वत पर ही बनाने का प्रयास किया था जिसके निशान आज भी कैलाश पर्वत पर दीखते है परन्तु रावण उसमे सफल नहीं हो सका , कहा जाता है , रावण जब मरने वाला था तब भगवान् राम ने लक्ष्मण से ये कहा की इस धरती से सबसे बड़ा बुद्धिजीवी जा रहा है जाओ उससे कुछ सिख लो तब लक्ष्मण जी रावण के पास गए और रावण से कुछ ज्ञान देने को कहा तब रावण कुछ नहीं बोला , ये वाक्य लक्ष्मण जी ने राम को बताया तब राम जी ने कहा की तुम ज्ञान लेने गए हो वो भी अपने घमंड के साथ, एक बालक बनकर जाओं और रावण के सर के पास नहीं पैरो के पास बैठ कर आग्रह करो, तब लक्ष्मण जी अपना तीर कमान रावण के पास रख कर रावण के पैरों के पास बैठ गए और रावण से आग्रह किया तब रावण ने वही पड़े तीर कमान को उठा कर लक्ष्मण जी की ओर करके तान दिया लक्ष्मण जी हड़बड़ा गए, तब रावण ने कहाँ की दुश्मन कितना भी मजबूर हो उसे कमजोर न समझो जब तुम दुश्मन को कमजोर समझ लोगे तो तुम्हारी हार निश्चित है ये पहला उपदेश है।

रावण ने कई उपदेश दिए अंततः रावण ने कहा की कोई भी काम वक्त पर मत टालो क्या पता किसी समय वक्त ही न बचे , मैंने अपने जिंदगी में सारे काम किये ,परन्तु एक काम नहीं कर सका क्योंकि मैंने सोचा मै अमर हु, मेरे पास वक्त की कमी नहीं है , इसीलिए धरती से स्वर्ग की सीढ़ी नहीं बना सका।
 
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