Bhojpur Mandir Bhojeshwar Nath एक दिन मे बनाया हुआ विश्व का सबसे प्रांचीन्तम बड़ा शिव लिंग वाला भब्य मंदिर

भोजेश्वरनाथ मंदिर एक दिन मे बनाया हुआ, विश्व का सबसे विशालकाय व प्राचीन्तम शिव लिंग वाला अद्भुत परंतु अधूरा निर्माण वाला अद्वितिया मंदिर।

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भोजपुर मंदिर (Bhojpur temple) यानी भोजेश्वर नाथ मंदिर (Bhojshwar Nath Temple) दुनिया का सबसे विशालकाय शिव लिंग वाला मंदिर हैं, जो की एक पत्थर के शीला को तरास कर बनाया गया हैं , भोजेश्वर नाथ मंदिर कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ), , तथा केवल लिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट ) और व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ) है। इसके गर्वगृह के दरवाजे के किनारे स्तंभो पर देवी गंगा और यमुना की मुर्तिया लगी हुई हैं।

इसके साथ ही गर्भगृह के विशाल शीर्ष स्तंभ पर भगवानों के जोड़े शिव-पार्वती, ब्रह्मा-सरस्वती, राम-सीता एवं विष्णु-लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित हैं। सामने की दीवार के अलावा बाकी सभी तीन दीवारों में कोई प्रतिमा स्थापित नहीं हैं। मंदिर के बाहरी दीवार पर यक्षों की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

भोजपुर शिव मंदिर भोजेश्वर नाथ के बिलकुल सामने पश्चमी दिशा में एक गुफा हैं यह पार्वती गुफा के नाम से जानी जाती हैं। इस गुफा में पुरातात्विक रूप से विशेष अनेक मूर्तिया हैं।


कहाँ स्थित हैं भोजपुर का मंदिर भोजेश्वर नाथ​

भोजेश्वर नाथ मंदिर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के अब्दुल्ला गंज ब्लॉक मे भोजपुर गाँव के पहाड़ियों पर स्थित एक रमणीय स्थान हैं, यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के निकट बेतवा नदी के टत पर स्थित हैं।

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भोजेश्वर नाथ मंदिर को बनाने की प्लानिंग और निर्माण एक ही दिन मे हुआ था​

भोजेश्वर नाथ मंदिर को बनाने की पूरी प्लानिंग designs मंदिर का नक्सा यहाँ स्थित पहाड़ियों उकेरा गया हैं, इस मंदिर के अधूरे हिस्से जो कभी बने ही नहीं उनके design भी उकेरे गए हैं, इसके चबूतरे पर मंडप महामंडप, हवानकुंड और अन्तराल के अलावा और भी छोटे बड़े कुछ मंदिर निर्माण होने वाले थे परन्तु नहीं हो पाये।

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भोजेश्वर नाथ मंदिर का अधूरा होने के पीछे का रहस्य

भोजेश्वर नाथ मंदिर के छत के पूरी तरह निर्माण होने से पहले ही इसके निर्माण को क्यों रोक दिया गया, इसके पीछे के रहस्य को आजतक समझा नहीं जा सका हैं और न ही इसके पीछे निर्माण का मकसद कहीं अंकित हैं बस कुछ करको से ये पता चला हैं की इस मंदिर का निर्माण राजा भोज ने किया था।

कुछ इतिहासकारों का अनुमान है कि कुछ ऐसा किसी प्राकृतिक आपदा, संसाधनों की आपूर्ति में कमी अथवा किसी युद्ध के आरम्भ हो जाने के कारण ही हुआ होगा। या शायद राजा भोज के निधन होने से भी इस प्रकार के निर्माण का रुकना तर्कसंगत प्रतीत होता है।कुछ विद्वानों के मतो के अनुसार इस मंदिर के छत संभवतः निर्माण काल में पूरे भार के सही आकलन में गणितीय वास्तु दोष के कारण निर्माण-काल में ही ढह गयी होगी। तब राजा भोज ने इस दोष के कारण इसे पुनर्निर्माण न कर मन्दिर के निर्माण को ही रोक दिया होगा।

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भोजेश्वर नाथ मंदिर के विशालकाय पत्थरो को कैसे ढ़ोते थे।


भोजेश्वर मंदिर के पीछे के भाग में बना ढलान है, जिसका उपयोग निर्माणाधीन मंदिर के समय विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था।ईंन बड़े और विशालकाय पत्थरों को वही काटकर इन ढलानो के सहारे ऊपर ले जाया गया था, पूरी दुनिया इस तकनिक को नहीं समझ पाई की कैसे ईंन पत्थरों को उपर पहुचाया जाता था, जैसे pyramid आदी मे परंतु इस मंदिर के designs से ये रहस्य खुल गया कि आखिर कैसे 70 टन भार वाले विशाल पत्थरों का मंदिर क शीर्ष तक पहुचाया गया।

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किसने निर्माण किया था भोजपुर के मंदिर भोजेश्वर नाथ का?

भोजपुर मंदिर के निर्माण के पीछे 2 कहानियाँ प्रचलित हैं। पहली कहानी के अनुसार राज भोज ने भोजेश्वर नाथ मंदिर का निर्माण 11 वी सदी मे कराया था, हालाँकि इसकी पुष्टि के लिये कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं, क्योंकि कहीं भी किसी शिलालेख मे इसके निर्माणकर्ता के बारे नहीं हैं, इसके नक्से बने शायद यह मन्दिर पूर्ण रूप से कभी तैयार ही नहीं हुआ, इसीलिए इसके निर्माण के शिलालेख भी कभी बने ही नहीं, बस स्थानीय लोगों के अनुसार ये मंदिर राजा भोज ने बनवाये थे, परन्तु सिर्फ इसी से इस कहानी की पुष्टि नहीं होतीं।

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भोजपुर (Bhojpur) में एक अधूरा जैन मंदिर भी है। इस मंदिर में भगवान शांतिनाथ कि 6 मीटर ऊंची मूर्ति हैं। दो अन्य मुर्तिया भगवान पार्शवनाथ व सुपारासनाथ कि हैं। इस मंदिर में लगे एक शिलालेख पर राजा भोज का नाम लिखा है।


इसी शिलालेख से ये अंदाज लगाया गया की राजा भोज ने भोजेश्वर नाथ मंदिर का भी निर्माण कराया होगा हालाँकि पुरातत्व वेक्ताओं के अनुसार ये मंदिर राजा भोज कालीन ही बताया गया है, जो कि राजा भोज से सम्बंधित हैं।इस मंदिर को राजा भोज द्वारा निर्मित होने के पीछे उनके द्वारा रचित एक ग्रंथ को भी माना जाता हैं क्योंकि इस ग्रंथ मे वस्तुकला पर आधारित हैं, और भोजेश्वर नाथ मंदिर का निर्माण विख्यात ग्रंथ समराङ्गणसूत्रधार के आधार पर करवाया गया था।

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इस ग्रन्थ में 83 अध्याय हैं जिनमें नगर-योजना, भवन शिल्प, मंदिर शिल्प, मूर्तिकला तथा मुद्राओं सहित यंत्र। यंत्रों के बारे में (अध्याय 31, जिसका नाम 'यन्त्रविधान' है) वर्णन है जिसमें भारी वस्तुओं को ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए आधुनिक हाइड्रोलिक्स सिद्धांत का भी विस्तार से वर्णन किया गया है।

भोजेश्वर नाथ मंदिर महाभारत कालीन है। कुछ मतो के अनुसार भोजेश्वर नाथ शिव मंदिर का निर्माण पाण्डवों ने बनवाया था। जब पाण्डवोंको 14 वर्ष का वनवास हूआ था उसी दौरान इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा कराया गया था, भीम घुटनों के बल पर बैठकर इस शिवलिंग पर फूल चढाते थे। इस मंदिर का निर्माण द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा माता कुंती की पूजा के लिए इस शिवलिंग का निर्माण एक ही रात में किया गया था। जैसे ही सुबह हुई तो पांडव लुप्त हो गए और मन्दिर अधूरा ही रह गया। इसके साथ ही इस मंदिर के पास ही बेतवा नदी है। जहां पर कुंती द्वारा कर्ण को छोड़ने की जनकथाएं भी प्रचलित हैं।

आभिनेता अनुपम खेर ने अपने इंस्टाग्राम से share किया था भोजपुर मंदिर का वीडियो​

अभिनेता अनुपम खेर ने तो इस वीडियो को अपने इंस्ट्राग्राम पर शेयर करते हुए लिखा कि " भक्ति गीत, भारत मे कहीं प्राचीन मंदिरों में से एक इस भक्त के शक्तिशाली और भावपूर्ण गायन को सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। कमाल का गाया" है।

कालीपुत्र कालीचरण बाबा महाराष्ट्र के अकोला के रहने वाले हैं और बजरंग सेना के राष्ट्रीय अनुशासन प्रभारी है। वे 2020 के सावन मे भोजपुर शिव मंदिर दर्शन करने आये हुए थे। उन्होंने से यहां जब शिव तांडव स्त्रोतम का पाठ किया तो उनके साथ मौजूद बजरंग सेना मप्र के अध्यक्ष अमरीश रॉय सहित अन्य कई लोगों ने वीडियो बना लिया और जब यह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो इसे सराहकर पसन्द करने वालों की संख्या लाखों में पहुँच गई। कालीचरण बाबा के फेसबुक पेज पर यह वीडियो भोपाल यात्रा और मन्दिर दर्शन के उल्लेख के साथ शेयर किया गया हैं।


इस्लाम से पहले ही गुब्दकार छत का निर्माण भारत मे होता था​

भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Temple) कि गुम्बदाकार छत हैं। चुकी इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आगमन के पहले हुआ था अतः इस मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बनी अधूरी गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है।

वर्तमान मे भोजेश्वर नाथ मंदिर के पास संघ्रालय खुल गया हैं​

अभी हाल ही में इस मंदिर के पास पुरातत्व विभाग ने यहाँ एक संघ्रालय खुलवाया हैं, जहाँ इस मंदिर से जुड़े पुरातत्विक चीजों को रखा गया हैं, कुछ नक्से शिलालेख और मूर्तियों को रखा गया हैं, जो हमारे इतिहास को अपने मे सँजो के रखा हुआ हैं।
 
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