Maa Ke Haath Ka Khaana | Sainee Raj | Mother’s

Maa Ke Haath Ka Khaana | Sainee Raj | Mother’s


इस कविता के बारे में :

इस काव्य ‘माँ के हाथ का खाना’ को UnErase Poetry के लेबल के तहत ‘सैनी राज’ ने लिखा और प्रस्तुत किया है।

*****

दोपहर होते ही आवाज निकलती है

खाली पेट से

आज मां ने लंच में क्या बनाया होगा

स्कूल की छुट्टी हुई नहीं कि घर

की और दौड़ने लगते हैं


***

जरूर पराठे पर मक्खन लगाया होगा

छलांग लगाकर बस में चढ़ जाते

पेट की बड़बड़ पर ध्यान न लगाते

गुड़ गुड़ बुङ बुङ ये ऐसी शर्मनाक

आवाज निकाले उम्मीद है


***

पनीर मटर में माँ ने मखाने डाले होंगे

ऐसी बात नहीं है

कि मैं खुद का खाना ख़ुद नहीं बना सकता

10 साल का हूँ अब करचे बेलन

और चिमटे मे फरकू जानता

बच्चा बच्चा कहकर सब टालते है


***

बुरा मैं नहीं मानता अगर किसी दिन

माँ की तबियत बिगड़ी तो किचन का भार

सम्भाल लूँगा

छोटी की मैगी, नानी की अदरक वाली चाय,

माँ की फेवरट बिरियानी बना दूँगा


***

अगर कभी माँ का मूड करे के छुट्टी

पर निकल जाऊँ तो पीछे से दाल को

छौक लगाऊंगा चावल से कंकर हटाउँगा

माँ के बिना कहे भी उसका हाथ बटाऊँगा

पर ना बीमार होती है न ही कहीं जाने


***

का मूड बना है उम्मीद है आलू की सब्जी

में जीरे का तड़का लगा है

वो क्या है न बाबा तो दूर गाँव में रहते हैं

तो इस घर का मर्द मैं ही हू ना

माँ एक बार तो कह दे उसके

लिए बावर्ची रखवा दूँगा


***

घर का दरवाजा दहङले से खोलकर

माँ मैं आ गया जेसे ही मैं कहने लगता तू

आ गया बेटा कहकर मेरे हाथ से ले

लेती मेरी बोतल और बस्ता

बड़ी स्वाद की खुशबू आ रही है

मैं फ़ट से मुह हाथ धोने चला जाता


***

खाने के चक्कर में, मैं बिना साबुन

के नहाता था चूल्हे को फूककर माँ

तवे पर रोटियाँ सकने लगीं

उँगलियों से उठा उन्हें थाली में रखने लगी

कल रात वाली दाल मे पानी डाल कर


***

वो फेटने लगीं धीमी सी आंच पर उसे

गर्म करते हुए नर्मी से मेरी तरफ देखने लगीं

वो क्या है न बेटा आज मार्केट जाना नहीं हुआ

छोटी घर में अकेली थी नहीं रह सकती मेरे

बिना कल मैं पक्का तेरे लिए हलवा बना दूंगी

बाजार से पिसते और बादाम मंगवा लुंगी


***

रुक रुक कर माँ कहने लगी

बच्चा समझकर फिर चुपचाप सहने लगी

सच बताऊ जो सूप वाली दाल माँ बनाती है

इससे बेहतर और क्या बड़े बड़े होटलों की

औकात कहा के माँ के हाथ के खाने की


***

बराबरी कर सके

वही जब माँ अपने हाथो से ना खिला दे

अपना पेट तो ना भर सके

लेकर एक लंबी सी डकार माँ की गोद

में सो गया चलो भैया शाम तकz अपना

काम हो गया शाम होते ही आवाज निकलती है


***

पेट से आज माँ ने डिनर मे क्या बनाया होगा

ट्यूशन खत्म हुई नहीं के घर की तरफ

दोड़ ने लगते हैं

जो भी बना है बड़े प्यार से बनाया होगा

आज माँ ने खाने में क्या बनाया होगा


 

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