10 Best Panchatantra Short Stories In Hindi With Moral

दोस्तों! आज हम आपके लिए लाए हैं। Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral and Pictures आपने बचपन में पंचतंत्र की कहानियां पढ़ी होंगी। मैंने बहुत पढ़ा, मैं बचपन में बहुत सारी कहानियाँ पढ़ता था। ज्ञान देने के साथ-साथ जो मेरा मनोरंजन करते थे।

मैं भी बचपन में पंचतंत्र की कहानी बहुत पढ़ता था।, इसलिए मुझे अपना बचपन याद है। मैं फेमस panchatantra small stories in hindi शेयर कर रहा हूं जो मुझे बहुत पसंद हैं। इन कहानियों को पढ़कर न केवल आपको आनंद आएगा, बल्कि आपको ज्ञान भी मिलेगा।

1. कबूतर औऱ हीरा

कबूतर औऱ हीरा


बहुत समय की बात हैं एक जंगल मे एक ख़ास किसम के कबूतर ने जन्म लिया वह इसलिये ख़ास था
उसके जन्म के वक़्त के सर पर एक हीरा लगा हुआ था। और बहुत जल्दी ये बात पक्षियों में फैल गई दूर दूर से पक्षी उससे देखने के लिये आने लगे।

और उन्हें उस कबूतर को देखने मे तअज्जुब होता जैसे-जैसे वो इस्पाकली बड़ा हुआ हाँ उसका यही नाम था अपने आप ही उसके बहुत सारे दोस्त बन गए सभी उसके इस ख़ास किसम के तोहफे में सभी दिल दिलचस्पी रखते थे।

जैसे ही सूरज की लाइट उसके सर पे लगे हीरे पे पड़ती वह हीरा चमकने लगता और इस्पाकली को भी इससे दिखाने में बड़ा मज़ा आता था उसका एक दोस्त बोला इस्पाकली फिर से बो ट्रिक करो ना प्लीज. तोता-हाँ इस्पाकली करो प्लीज।

इस्पाकली बोला ठीक हैं। मैं सूरज की रोशनी में खड़ा होता हूँ तुम वहां खड़े हो जाओ जैसे ही इस्पाकली सूरज के सामने गया उसके सर पे का हीरा चमकने लगा इस्पाकली के दोस्त बोले अरे वाह ये तो बहोत खूबसूरत लग रहा है। सच मे इस्पाकली तुम बहुत कमाल के हो।

इस्पाकली- सुक्रिया चलो अब कुछ खेलते है और तभी एक बहुत दुःखत दुर्घटना हुई इस्पाकली अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था के अचानक वह एक पेड़ से टकरा गया टकराने की वजह से उसके सर पे का हीरा गिर गया। इस्पाकली के दोस्तों ने पूछा हीरा कहाँ गया वह बोला पता नहीं कही गिर गया।

उसका एक दोस्त बोला ओ अब तो ये बोरिंग हो गया इस्पाकली बोला लेकिन मैं तो अभी भी तुम्हारा दोस्त हूँ है ना। उसके सभी दोस्त बोले हाँ लेकिन अब हमें जाना होगा फिर वो जाने लगे इस्पाकली ने रोकने की कोसिस करी पर वो नहीं रुके।

और वह सुआर्ति पक्षी कभी बापस नहीं आये लेकिन वो तो हीरे में दिलचस्पी रखते थे।उन्हें इस्पाकली में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी।

Moral Of This Story

ऐसे मतलबी दोस्त किसी काम नही उन्हें जाने दो वो अपना मतलब पूरा होते ही छोड़ जाते है।

2. घमंडी शेरनी

बहुत समय पहले की बात हैं। एक जंगल मे अपने बच्चो के साथ एक शेरनी रहती थी।उसका पति शेर जंगल का राजा था वो बहुत ही दयालु और अच्छे मिज़ाज़ वाला था।एक दिन शेरनी जंगल से गुज़र रही थी तो वहाँ एक बंदरो का झुंड था।

एक बंदर बोला नमस्ते रानी शेरनी ने उनकी बात का कोई जबाब ना दिया।दूसरा बंदर बोला ये इतनी घमंडी क्यों है? फिर पहला बंदर बोला बो समझती है। हम इतने छोटे और कमजोर है फिर एक बंदर बोला इससे हमारी मदद की जरूरत होगी हम मदद नही करेंगे।

फिर एक दिन शेरनी सोके उठी तो उसके पास बच्चे नही थे शेरनी ने सब जगह ढूंडा उससे बच्चे नही मिले उसकी चिंता बढ़ने लगी वह बंदरो के पास गई उसने बंदरो से पूछा क्या तुमने मेरे बच्चो को देखा है? इतने में एक बंदर बोला ओ रानी माँ आप हमको कैसे पता हो सकता है।

इतने देर में दूसरी ओर भी जानवर आ गए
शेरनी- क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो? हाथी बोला मैं कहाँ कर सकता हूँ।

शेरनी भालू से बोली क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो? भालू ये कैसे हो सकता है क्या तुमने अपने बच्चों को मना नही किया मेरे जैसे बदसूरत जानवरों के साथ रहने को।

शेरनी रोने लगी कोई मेरी मदद नही कर रहा है। ये सब मेरी ही गलती है मैंने तुम लोगो के साथ बहुत बुरा बियाभार किया मैंने ये कभी नही जाना के एक दोस्त का होना बहुत ज़रूरी है।

अपने घमंड के आगे किसी पे भी ध्यान नही दिया अब कोई भी मेरी मदद नही करेगा शेरनी को रोता देख कर सभी जानवरो को बहुत दुःख हुआ। फिर भालू बोला चिंता मत करो रानी तुम्हारे बच्चो को ढूंढने में हम सब तुम्हारी मदद करेंगे।

सब जानवरो ने बच्चों को ढूंढना शुरू कर दिया आखिर कार ज़ीराफ़ ने बच्चो को ढूंढ निकाला वो हिरन के बच्चो के साथ खेलने में मगन थे आखिरकार माँ और बच्चों का मिलन हो ही गया। फिर शेरनी ने अपने दोस्तों का अपमान नही किया।

Moral Of This Story

हमे कभी घमंड नही करना चाहिए घमंड खुद के लिए भी हानिकारक है और दूसरों के लिए भी।

3. बैलो की लड़ाई

बहुत पहले एक बहुत दूर खेत था। वहां चार बैल रहते थे वो चारो अच्छे दोस्त थे और वो चारो हमेशा साथ रहते थे। और पास ही एक शेर रहता था और उन सब पर उसकी नज़र थी। शेर- कितने मोटे और ताज़ा हैं। वो बैल उन्हें खा कर तो दावत लज़ीज़ हो जाएगी पर वो हमेशा साथ रहते है मैं एक बार कोसिस कर के देखता हूं।

वो बैल चालाक थे जैसे ही शेर करीब आता वो एक दूसरे के पास आ जाते और वो उससे अपने सींग दिखा कर डरा देते उससे शेर के लिए मुकाबला करना मुस्किल हो जाता इस वजह से शेर कभी उन पर हमला नहीं कर पाया फिर कुछ दिन बाद बहुत बुरी दुर्घटना घटी। बैलो की लड़ाई हो गई और वो लडाई लंबे समय तक चली बैल अपनी लड़ाई सुलझा ना सके।

उन चारों ने कसम खाई वह एक दूसरे से बात नहीं करेंगे और ना ही एक-दूसरे की सकल तक नहीं देखेंगे वह चारों नाराज़ होकर खेत के अलग अलग कोने में चले गए और रहने लगे और वही पे घास चरते थे।

शेर ने ये सब देख लिया वह तो पहले से ही मोके की तलाश में था। शेर ने एक एक कर के चारों पे हमला किया और वो चारों उसकी लज़ीज़ दावत बन गए उन चारो की लड़ाई में फ़ायदा उससे ही हुआ जो बाहर वाला था।

Moral Of This Story

एकता में बड़ी ताक़त हैं तो बच्चों हमे इससे सीख मिलती साथ रहना सबसे ताक़त है। चाहे हमारे सामने कितनी बड़ी मुसीबत ही क्यो ना हो।

4. जलपरी और लकड़हारा

जलपरी और लकड़हारा


एक लकड़हारा था अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए जंगल से लकड़िया काटता था। और शहर में बेचके आता था मुस्किल से उसका गुज़ारा होता वह एक दिन नदी के किनारे पेड़ पे चढ़ के लकड़ी काट रहा था अचानक से उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूट गई और नदी में जागिरी।

उससे तैरना नहीं आता था वह नदी के किनारे बैठ कर वह रोने लगा तभी उसने देखा नदी में से एक जलपरी बाहर निकली वो बहुत सुंदर थी उसकी नीली आंखें और सुनहरे बाल बहुत चमक रहे थे लकड़हारे का मुंह खुला का खुला रह गया। जलपरी बोली तुम क्यों रो रहे हों?

मैं जलपरी हूँ मुझे बताओ सायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकू. लकड़हारा बोला हां तुम मेरी मदद कर सकती हो। उस पेड़ पर चढ़ के जब मैं लकड़िया काट रहा था तो मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई जलपरी बोली चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढ देती हु।

जलपरी ने पानी मे डुबकी लगाई और सोने की कुल्हाडी लेके बाहर आ गयी कुल्हाड़ी की चमक देखकर लकड़हारे की आंखें चुंदया गई जलपरी बोली क्या यही हैं। तुम्हारी कुल्हाड़ी? लकड़हारा बोला ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैं जलपरी ने फिर डुबकी लगाई और फिर उसके हाथ चांदी की कुल्हाड़ी हाथ आ गई।

औऱ बोली क्या यही हैं ना तुम्हारी कुल्हाड़ी लकड़हारा बोला नहीं ये भी मेरी वाली नहीं हैं और वह बोला वो तो लोहेकी साधारण कुल्हाड़ी थीं जलपरी इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकली और बोली क्या ये हैं तुम्हारी कुल्हाड़ी?

लकड़हारा बोला हाँ ये हैं मेरी कुल्हाड़ी धन्यबाद तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद जलपरी बोली तुम एक ईमानदार वियक्ति हो तुम्हें इनाम तो मिलना ही चाहिए ऐसा करो तुम तीनो कुल्हाडीया को अपने पास रख लो इससे मेरी तरफ से तोहफ़ा समझ के रख लो ये कहकर जलपरी नदी में चली गई लकड़हारा खुस हो गया।

Moral Of This Story

तो बच्चों इस कहानी से हमे शिक्षा मिलती ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता हैं

5. माँ की प्यारी सीख

चेतन अपनी माँ के साथ मे एक बहुत ही अच्छे घर मे रहता था वह बहुत ही अच्छा लड़का था सदा अपनी माँ का कहना मानता था चेतन की माँ बहुत ही अच्छे पकवान बनाती थीं।
चेतन को पकवान खाना बहुत ही पसन्द था एक दिन चेतन की माँ ने बहुत ही बढ़िया पकवान बनाकर एक जार में रख दिया और फिर बाज़ार चली गई।

बाज़ार जाने से पहले चेतन की माँ उसको कह गई थी वह अपना होम वर्क पूरा करने के बाद वह खाना खा सकता हैं। चेतन बहुत ही खुश हुआ उसने जल्दी से अपना होम वर्क पूरा करके अपनी माँ के लौटने से पहले खाना खाने का सोचा इसलिये वह एक स्टूल पर चढ़ गया फिर उसने जार के अंदर हाथ डाल कर खाना लिकाल ने की कोसिस की।

पर जार का मुंह छोटा होने के वजह से वह अपना हाथ बाहर नही निकाल सका पर उसी टाइम उसकी माँ बाजार से लौट आई जब उसने अपने बेटे चेतन को देखा तो वह हँसने लगी और अपने बेटे चेतन से कहा। हाथ से ज्यादा खाना छोड़ कर सिर्फ थोड़ा खाना हाथ से पकड़ कर हाथ बाहर निकालो।

माँ की बात मान कर जब उसने थोड़ा खाना हाथ मे पकड़ा तब वह अपना हाथ बाहर निकाल सका तब उसकी माँ ने प्यार से बोला ऐसा करने से तुमने क्या सीखा? चेतन बोला मैंने सीखा किसी भी चीज़ का लालच अच्छी बात नही है।

Moral Of This Story

हमे हर चीज़ उतनी ही लेना चाइये जितनी हमे ज़रूरत हो।

6. चींटी और कबूतर

चींटी और कबूतर


एक समय की बात है। पेड़ पर से एक चींटी तालाब में गिर गई
एक कबूतर ने उससे अपना जीवन बचाने के लिए जी तोड़ कोसिस करते हुए देखा कबूतर ने एक पत्ते को तोड़ा और चींटी के पास फेंक दिया चींटी झट से पत्ते पर चढ़ गई और उसने कबूतर का धन्यवाद किया।

चींटी बहुत थक गई थी कुछ हफ़्तों के बाद की बात है एक बहेलिया जंगल मे आया – बहेलियों का तो काम ही होता हैं पंछियो को पकड़ना बहेलिये ने कुछ दाने जमीन पर फेंके और उस पर अपना जाल बिछा दिया। वह चुपचाप किसी पछी के जाल में फसने का इन्तज़ार कर रहा था।

वह चींटी कही से गुज़र रही थी उसने जब वह सारी तैयारी देखी तो क्या देखती कि वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी उड़ कर उसी जाल में फसने के लिए धीरे धीरे नीचे उतर रहा था। चींटी ने एक दम आगे बढ़ के बहेलिये के पैर पर इतनी बुरी तरह काट दिया के बहेलिये के मुंह से चीख निकल गई।

बहेलिया- आह तेरी ऐसे की तैसी ओह परमात्मा कबूतर ने एक दम देखा के शोर किधर से आ रहा हैं और बहेलिये को देखते ही सब कुछ उसकी समझ आ गया वो दूसरी दिशा में उड़ गया और उसकी जान बच गयी चींटी भी अपने काम पे चल दी

Moral Of This Story

कर भला सो हो भला।

7. बहादुर चींटी

बहादुर चींटी


बहुत समय की बात हैं एक चीटियों का झुंड एक मिटटी के घर में रहता था वो झुंड बहुत बड़ा था कई सौ चीटियों एक साथ खुसी खुसी उस झुंड में रहती थीं वो एक दूसरे की मदद करती थीं और इसलिए उनका झुंड और मज़बूत हो रहा था।

और एक दिन बहुत जोर की बारिश हुई बारिश का पानी उनके घरों में घुस गया था। सभी चींटी घबरा गई थीं।और एक दूसरे की मदद करने लगी तभी एक चींटी बोली हम बर्बाद हो गए फिर एक चींटी और बोली हाय मेरे बच्चे तभी एक चींटी बोली भाग जाओ।

एक जॉनी नाम की चींटी थीं। वो उस घर से निकलने की कोसिस कर रही थीं जो पानी से डूब रही था। सभी चींटी उससे रोकने लगी जॉनी वहां मत जाओ यहाँ तक के उसकी माँ भी कहने लगीं जॉनी मत जाओ बेटे यहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं हैं।

देखो ज़मीन पर पानी ही पानी लेकिन जॉनी ने हार नही मानी
घर के ऊपर जाके एक पेड़ पे चढ़ने की कोसिस करती हैं। लेकिन चढ़ नहीं पाती हैं। वह बहुत कोसिस करने के बाद पेड़ पे चढ़ जाती हैं।

वह एक पत्ते पे जाके बैठ गयी हवा तेज़ चलने की वजह से वो पत्ता टूट गया और जॉनी हिम्मत बनाये उस पत्ते पर बैठी रही वो पत्ता हवा में इतनी दूर जाके गिरता हैं। जहां पानी नहीं होता हैं।जॉनी- बोलती हैं। अगर मेरे दोस्तों ने परिवार वालो ने और मेरे रिस्तेदारों ने अगर हार नही मानी होती तो आज वो मेरे साथ होते।

Moral Of This Story

हार मानने से कभी कुछ नहीं होता हैं। हमें मरते दम तक कोसिस करना चाहिए। (थॉमस एडिसन)
कहते हैं-हमारी सबसे बड़ी कमजोरी बीच में ही हार मान लेना है। सफ़ल होने का सबसे बेहतर तरीका की हमेशा एक बार और कोसिस करते हैं।

8. हिरण और घास

हिरण और घास


बहोत पुरानी बात है एक जंगल मे हिरण रहती थी वो भी बाकी हिरण की तरह घास खाती थी।
जंगल घास से हरा भरा था हिरण कभी भूखी नहीं रहती थीं पर उसकी एक बुरी बात थी जितना उससे चाहिए होता था।

उतना खाने के बाद बो घास से खेलती थी और उसे बर्बाद करती अक्सर वो घास मिटटी से उखाड़ देती थी।
और फिर सारी घास सूख जाती फिर एक दिन घास ने हिरण से बात करने का सोचा।

घास बोली हिरण सुनो अपनी ये बुरी हरकते बंद कर दो हिरण बोली तुम बोल कैसे सकते हो घास बोली जब ज़रूरत हो तो बोलना पड़ता हैं तुम हिरण बहुत शैतान हो तुम बेसक सारी घास खा लो लेकिन बर्बाद मत करो।

हिरण बोली तुम अपनी बकबास बंद करो मुझे जो अच्छा लगेगा मैं वो करुँगी फिर एक दिन शेरनी जंगल के अंदर आई वो कई दिन से भूखी थी जैसे ही हिरण ने शेरनी को देखा हिरण के पैर कापने लगे।हिरण- ओ अब मैं क्या करूँ वो शेरनी भूखी है अब मैं नही बचूँगी।

फिर घास ने आवाज़ दी हिरण शेरनी तुम्हे देखें इससे पहले जा के छुप जाओ उस घास के पीछे जहाँ की घास तुमने ख़राब नही की है। शेरनी को हिरण नही दिखी इतने में शेरनी वहां से चली गयी।

हिरण- शुक्रिया घास तुमने मुझे बचा लिया तुम सही थे मुझे खुद को बदलना चाहिए था।

Moral Of This Story

आज हुमने यहाँ से ये सीखा हमे हमारे खाने के इज़्ज़त करना चाहिए और उतना ही लेना चाहिए जितना हमे ज़रूरत हो।

9. भेड़िया और बकरी

भेड़िया और बकरी


एक बार एक भेड़िये ने एक बकरी को दूर पहाड़ पर घास चरते देखा बह बोला बकरी बहन क्या तुम्हे उचाई से डर नही लगता कही गिर गई तो? बकरी ने जबाब ना दिया बह अपने काम मे लगी रही भेड़िया वहां तो ख़ूब ठंड है।

और कही बचाव की जगह भी नही बकरी फिर भी चुप रही। और बही पे घास चरती रही। भेड़िया आखिर ज़ोर से बोला वहां से यहाँ की घास ज्यादा मीठी है।
बकरी बोली भाई एक बात तो बताओ तुम्हें मेरे भोजन ककी फिक्र है या आपने भोजन की..।

Moral Of This Story

हमे इस कहानी से ये शिक्षा मिलती हैं के दुसरो के बेहकाबे में ना आये।

10. माली काका

एक गांव में एक माली काका रहते थे काका एक दिन बगीचे में पौधा लगा रहे थे उसी समय उस नगर का राजा उधर से जा रहा था राजा भेष बदलकर जनता का हाल जानने के लिए निकला था राजा ने देखा कि माली काका ने बड़ी लगन से एक पौधा लगाया काका बूढ़े हो चुके थे।

फिर भी वो पौधा लगा रहे थे। ये देखकर राजा को आश्चर्य हुआ मन ही मन राजा सोचने लगा कब ये पौधा बड़ा होगा कब ये फल देगा जब फल देगा तब तक माली जिंदा रहेगा ? राजा माली काका के पास पहुचा और उनसे पूछा – तुम किस चीज़ का पौधा लगा रहे हो ?”

माली काका ने जबाब दिया “नारियल का राजा ने पूछ –
: इसमें फल कब लगेंगे ?: माली काका ने छोटा सा – उत्तर दिया पंद्रह बरसो के बाद । राजा ने पूछा क्या तुम इतने दिनों तक जीवित रह पाओगे काका ने जबाब दिया नही लेकिन मेरे बेटे बेटियां और नाती पोते तो इसके फल खाएँगे।

राजा कुछ और पूछता उसके पहले ही माली काका ने हँसकर कहा अरे भाई मैं भी तो अब तक अपने बाप दादा के लगाए पेड़ो के फल खा रहा हु वो देखो जो अखरोट का पेड़ हैं उसे मेरे दादा जी ने लगाया था राजा मन ही मन खुस होकर लौट गया अगले दिन उसने माली काका को दरबार मे बुलाया और ढेर सारे इनाम दिए।

Moral Of This Story

जो दूसरों की भलाई के बारे में सोचता हैं वो महान होता हैं।
 

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