गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
भावार्थ : गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सद्गुरु को प्रणाम ।
संज्ञा शब्द
संज्ञा शब्द दो प्रकार के हात है-(i) अजन्त (ii) हलन्त।
(1) अजन्त-जिन शब्दों के अन्त में स्वर हो उन्हें अजन्त अथवा स्वरान्त शब्द कहते हैं, जैसे-देव, कवि आदि।
(ii) हलन्त-जिन शब्दों के अन्त में कोई व्यंजन हो उन्हें हलन्त अथवा व्यञ्जनान्त शब्द कहते हैं। जैसे-आत्मन्, राजन्, शशिन् आदि इन दोनों प्रकार के शब्दों में कोई संज्ञा शब्द पुँल्लिग में, कोई स्त्रीलिंग में और कोई नपुंसकलिंग में प्रयुक्त होता है।
अत: इनके छ: भेद हो जाते हैं।
(1) अजन्त पुल्लिंग
(ii) अजन्त स्त्रीलिंग
(iii)अजन्त नुपंसकलिंग
(iv) हलन्त पुल्लिंग
(v) हलन्त स्त्रीलिंग
(iv) हलन्त नुपंसकलिंग
आगे इसी क्रम में संज्ञा शब्दों के रूप प्रत्येक विभक्ति के प्रत्येक वचन में दिए गए हैं
1. अजन्त पुँल्लिंग
राम-अकारान्त पुल्लिंग
नोट-
प्रायः अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों जैसे-नृप (राजा), मूषक (দুहा), मयूर (मोर), पर्वत (पहाड़), धूर्त (गुण्डा), मातुल (मामा),अनिल (हवा), सागर (समुद्र), मनुज (मनुष्य), नर, कपोत (कबूतर), गज (हाथी), मेघ (बादल), व्याध (शिकारी), भ्रमर (भँवरा), सिंह (शेर), तुरङ्ग (घोड़ा), रोष (क्रोध), अज (बकरा) वृक्ष (पेड़), खग (पक्षी), जनक (पिता), कुरङ्ग (हरिण), नाग (साँप) आदि के रूप भी राम शब्द के समान होते हैं।
मुख्य निर्देश _
आवश्यक निर्देश-उक्त शब्दों में से जिनमें ‘र’ अथवा ‘ष’ होगा
उनको (द्वितीया विभक्ति बहुवचन को छोड़कर) आगे आने वाले न् को ण् हो जाता है।
मुनि-इकारान्त पुंल्लिग
नोट-
इकारान्त पुंल्लिग शब्दों जैसे-गिरि (पर्वत), हरि (विष्णु), भूपति (राजा), विधि (ब्रह्मा), कपि (वानर), व्याधि (रोग), कवि (कवि), अरि (शत्रु), यति (संन्यासी), रवि (सूर्य), मणि (मणि), निधि (खजाना) आदि के रूप में भी मुनि शब्द के समान होते हैं।
मुख्य निर्देश-
सखि तथा पति इन दोनों शब्दों के रूप मुनि शब्द की तरह नहीं होते, लेकिन अगर पति शब्द से पहले कोई अन्य शब्द जुड़ा हुआ हो तो उसके रूप ‘मुनि’ शब्द के समान होते हैं, जैसे रमापति, भूपति, महीपति, नृपति इत्यादि।
2.अजन्त स्त्रीलिंग
(बेल)-आकारान्त स्त्रीलिंग
नोट-
आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों जैसे-रसना (जीभ), रमा (लक्ष्मी) । भार्या (पत्नी), भृत्या (मजदूरिन), देवता (देवता), कला (गुण, हुनर), प्रजा (सन्तान), सीता (नाम विशेष), पादुका, (खड़ाऊँ), रेखा (लकीर).. य), कथा (कहानी), शाला (घर), ग्रीवा (गर्दन), स्पर्धा (ईर्य्ा) ्ाकगो इन्दु (छाया), विद्या (शिक्षा) इत्यादि के रूप भी लता शब्द की तरह होते हैं।
मुख्य निर्देश-
उक्त शब्दों में से जिनमें ‘र’ अथवा ‘षृ’ होगा. उनके आगे आने वाले न को ण हो जाता है।
नदी (दरिया)- ईकारान्त स्त्रीलिंग
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
भावार्थ : गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सद्गुरु को प्रणाम ।
संस्कृत व्याकरण शब्द प्रकरण संज्ञा शब्द
शब्द प्रकरण : संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों के रूप संस्कृत मेंसंज्ञा शब्द
संज्ञा शब्द दो प्रकार के हात है-(i) अजन्त (ii) हलन्त।
(1) अजन्त-जिन शब्दों के अन्त में स्वर हो उन्हें अजन्त अथवा स्वरान्त शब्द कहते हैं, जैसे-देव, कवि आदि।
(ii) हलन्त-जिन शब्दों के अन्त में कोई व्यंजन हो उन्हें हलन्त अथवा व्यञ्जनान्त शब्द कहते हैं। जैसे-आत्मन्, राजन्, शशिन् आदि इन दोनों प्रकार के शब्दों में कोई संज्ञा शब्द पुँल्लिग में, कोई स्त्रीलिंग में और कोई नपुंसकलिंग में प्रयुक्त होता है।
अत: इनके छ: भेद हो जाते हैं।
(1) अजन्त पुल्लिंग
(ii) अजन्त स्त्रीलिंग
(iii)अजन्त नुपंसकलिंग
(iv) हलन्त पुल्लिंग
(v) हलन्त स्त्रीलिंग
(iv) हलन्त नुपंसकलिंग
आगे इसी क्रम में संज्ञा शब्दों के रूप प्रत्येक विभक्ति के प्रत्येक वचन में दिए गए हैं
1. अजन्त पुँल्लिंग
राम-अकारान्त पुल्लिंग
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | रामः | रामौ | रामा: |
द्वितीया | रामम् | रामौ | रामान् |
तृतीया | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
चतुर्थी | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
पञ्चमी | रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
षष्ठी | रामस्य | रामयोः | रामाणाम् |
सप्तमी | रामे | रामयोः | रामेषु |
सम्बोधन | हे राम! | हे रामौ! | हे रामा:! |
नोट-
प्रायः अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों जैसे-नृप (राजा), मूषक (দুहा), मयूर (मोर), पर्वत (पहाड़), धूर्त (गुण्डा), मातुल (मामा),अनिल (हवा), सागर (समुद्र), मनुज (मनुष्य), नर, कपोत (कबूतर), गज (हाथी), मेघ (बादल), व्याध (शिकारी), भ्रमर (भँवरा), सिंह (शेर), तुरङ्ग (घोड़ा), रोष (क्रोध), अज (बकरा) वृक्ष (पेड़), खग (पक्षी), जनक (पिता), कुरङ्ग (हरिण), नाग (साँप) आदि के रूप भी राम शब्द के समान होते हैं।
मुख्य निर्देश _
आवश्यक निर्देश-उक्त शब्दों में से जिनमें ‘र’ अथवा ‘ष’ होगा
उनको (द्वितीया विभक्ति बहुवचन को छोड़कर) आगे आने वाले न् को ण् हो जाता है।
मुनि-इकारान्त पुंल्लिग
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | मुनिः | मुनी | मुनयः |
द्वितीया | मुनिम् | मुनी | मुनीन् |
तृतीया | मुनिना | मुनिभ्याम् | मुनिभिः |
चतुर्थी | मुनये | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः |
पञ्चमी | मुने: | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः |
षष्ठी | मुने: | मुन्योः | मुनीनाम् |
सप्तमी | मुनौ | मुन्योः | मुनीषु |
सम्बोधन | हे मुने! | हे मुनी! | हे मुनयः! |
नोट-
इकारान्त पुंल्लिग शब्दों जैसे-गिरि (पर्वत), हरि (विष्णु), भूपति (राजा), विधि (ब्रह्मा), कपि (वानर), व्याधि (रोग), कवि (कवि), अरि (शत्रु), यति (संन्यासी), रवि (सूर्य), मणि (मणि), निधि (खजाना) आदि के रूप में भी मुनि शब्द के समान होते हैं।
मुख्य निर्देश-
सखि तथा पति इन दोनों शब्दों के रूप मुनि शब्द की तरह नहीं होते, लेकिन अगर पति शब्द से पहले कोई अन्य शब्द जुड़ा हुआ हो तो उसके रूप ‘मुनि’ शब्द के समान होते हैं, जैसे रमापति, भूपति, महीपति, नृपति इत्यादि।
2.अजन्त स्त्रीलिंग
(बेल)-आकारान्त स्त्रीलिंग
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | लता | लते | लता: |
द्वितीया | लताम् | लते | लताः |
तृतीया | लतया | लताभ्याम् | लताभिः |
चतुर्थी | लतायै | लताभ्याम् | लताभ्यः |
पञ्चमी | लतायाः | लताभ्याम् | लताभ्यः |
षष्ठी | लतायाः | लतयोः | लतानाम् |
सप्तमी | लतायाम् | लतयोः | लतासु |
सम्बोधन | हे लते! | हे लते! | हे लता! |
नोट-
आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों जैसे-रसना (जीभ), रमा (लक्ष्मी) । भार्या (पत्नी), भृत्या (मजदूरिन), देवता (देवता), कला (गुण, हुनर), प्रजा (सन्तान), सीता (नाम विशेष), पादुका, (खड़ाऊँ), रेखा (लकीर).. य), कथा (कहानी), शाला (घर), ग्रीवा (गर्दन), स्पर्धा (ईर्य्ा) ्ाकगो इन्दु (छाया), विद्या (शिक्षा) इत्यादि के रूप भी लता शब्द की तरह होते हैं।
मुख्य निर्देश-
उक्त शब्दों में से जिनमें ‘र’ अथवा ‘षृ’ होगा. उनके आगे आने वाले न को ण हो जाता है।
नदी (दरिया)- ईकारान्त स्त्रीलिंग
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | नदी: | नद्यौ | नद्यः |
द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नदी: |
तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
पञ्चमी | नद्या: | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
षष्ठी | नद्या: | नद्योः | नदीनाम् |
सप्तमी | नद्याम् | नद्योः | नदीषु |
सम्बोधन | हे नदि! | हे नद्यौ! | हे नद्यः! |