The Story Of Prashant Gade

INALI Foundation के निर्माता और विकलांगो के मसीहा प्रशांत गड़े की संघर्ष और सफलता की कहानी।

जैसे सोनू सूद को आज गरीबो और बेसहारों का भगवन कहा जाता है वैसे ही प्रशांत गड़े दिब्यांगों यानि विकलांगो के भगवान कहे जाते है,जिन्होंने सस्ते और कारगर Robotic हाथ और पैर बना कर गरीब बिकलांगों के हीरो बन गए है।

गरीबों के मसीहा प्रशांत गड़े और सोनू सूद on KBC


प्रशांत गड़े अपनी छोटी सी उम्र में आज विकलांगो के भगवन बन गए है ,सुरु से ही उनमे प्रश्न पूछने और सीखने की ललक थी, इसी ललक के चलते उन्होंने इंजीनियरिंग को चुना, परन्तु 2nd year जाते जाते उनको लगने लगा की यहाँ वे जो सीखने आये है ,वो नहीं मिल सकता क्योंकि इंजीनियरिंग में कुछ नया नहीं शिखाया जा रहा था, वही पूरने थीसिस और फाइल प्रोजेक्ट और प्रोजेक्ट भी आप बहार से कही बना कर लाओ, एग्जाम कैसे पास करो और अच्छे मार्क्स कैसे लाओ जॉब कैसे मिलेगी यही सब वहाँ सिखाया जा रहा था, प्रशांत गड़े को लगा की अब में ये इंजीनियरिंग आगे नहीं कर सकते तो उन्होंने अंत में तंग आकर 3rd year में Engineering Drop कर दी, परन्तु अब सवाल ये उठ रहा था की आगे क्या किया जाय, फिर उन्होंने Engineering Project बनाने की लैब खोली जहाँ वो Engineers को प्रोजेक्ट बनाना सिखाने लगे परन्तु यहाँ भी उनको इससे संतुस्ती नहीं मिली, और फिर से उन्होंने project lab को छोड़ दिया क्योंकि उनको नहीं लग रहा था की वो इसी कार्य के लिए पैदा हुवे है।


प्रशांत अपने माता पिता के चलते पुणे में की 5000 की जॉब​

प्रशांत ने 2015 में इंजीनियरिंग Drop कर दी थी, इस बात का पता उनके parents को लग गई तब उन्होंने प्रशांत को उनके बड़े भाई के पास भेज दिया ताकि प्रशांत की संगत और सोच को बदला जा सके फिर प्रशांत ने पुणे में जॉब सर्च की और उनको robotics लैब में 5000 की एक जॉब मिल गई, चुकी उनको अपने पसंद की जॉब मिली थी तो वे वो जॉब करने लगे , परन्तु उनका मन अब भी कही और था वे वहाँ रहते हुवे उन्होंने Fab Academy का कोर्स करने की सोची ये कोर्स MIT Boston का था ,इस कोर्स को ज्वाइन करने के लिए उन्हें एक प्रोजेक्ट की आवश्यकता थी।

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फ्रेंच सिटीजन Nicolas से मिली Robotic hand बनाने की प्रेड़ना​

जॉब वे Fab Academy के लिए प्रोजेक्ट बना रहे थे तभी उनको मौका मिला निकोलस से मिलने का,निकोलस एक फ्रेंच सिटीजन है जिन्होंने एक इंसिडेंट में अपना एक हाथ खो दिया था , परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लिए एक Robotic हैंड खुद बना लिया , उनसे Inspire होकर प्रशांत ने भी इसी प्रोजेक्ट को बनाने का फैसला लिया।

7 साल की बच्ची ने प्रशांत को रोबोटिक हैंड बनाने को मजबूर कर दिया​

जब प्रशांत Fab Academy में Robotic Hand पर काम कर रहे थे,तब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कहा से सुरुवात करे ,तब उन्हें प्रोफेसर ने कहा की बाहर जाओ लोगो को देखों, उनसे मिलो तब तुम्हे समझ में आएगा की कहा से सुरुवात करनी चाहिए , तब प्रशांत ऐसे ही घूम रहे थे तब उन्हें एक 7 साल की बच्ची श्रेया मिली जो जन्म से ही विकलांग थी जिसके दोनों हाथ जन्म से ही नहीं थे उन्हें लगा इस बच्ची के लिए कुछ करना चाहिए , और उन्होंने फैसला किया की इस बच्ची को वो रोबोटिक हैंड गिफ्ट करेंगे , उन्होंने उस बच्ची के लिए एक कंपनी में बात की तब उन्हें पता चला की एक रोबोटिक हैंड 24 लाख का है , उन्होंने आगे खोज की तो पता चला की इस दुनिया में जो लोग हाथ पैर से विकलांग है उनमे 85 % लोगो के पास पैसा नहीं होता ,इसलिए वे विकलांग की जिन्दंगी जीते है ,और उनको विकलांग ये पैसा ही बना रहा था, तब उन्होंने फैसला किया की वे इस जॉब को छोड़ देंगे और पूरा टाइम अपने प्रोजेक्ट को देंगे।


प्रशांत ने पहले Engineering छोड़ी और फिर जॉब​

प्रशांत ने Fab Academy छोड़ दी और सोचा की अब वे फुल टाइम अपने robotic hand के प्रोजेक्ट को देंगे ,परन्तु उनके माता पिता ने उनको जबजस्ती CDAC डिप्लोमा कोर्स के लिए कराड पुणे भेज दिया परन्तु प्रशांत ने वो कोर्स कभी ज्वाइन ही नहीं किया और अपना सारा टाइम इस प्रोजेक्ट को देते रहे , अब उन्हें यहाँ प्रोजेक्ट के लिए पैसो की तंगी झेलने पड़ी फिर प्रशांत को एक प्लेटफार्म crowdfunding का पता चला जो एक ऐसा प्लेटफार्म था जिसमे आप अपना प्रोजेक्ट डालो और आपको पैसा मिलेगा ताकि आप प्रोजेक्ट बना सको , लेकिन प्रशांत को यहाँ भी निरसा ही हाथ लगी , लेकिन इस प्रोजेक्ट के बारे में जयपुर के एक NGO को पता चला तो उन्होंने प्रशांत को बुलाया और उन्हें कुछ फण्ड दे दिया इस प्रोजेक्ट के लिए ,फिर उन्होंने बहुत सारे रोबोटिक हैंड डिज़ाइन किये 20Lakh के 10 लाख के परन्तु वो एक NGO चला रहे थे वे इतना महंगा प्रोजेक्ट अफोर्ड नहीं कर सकते थे ,फिर प्रशांत ने उनसे उनका रेट पूछ लिया की उनको कितने में ये प्रोजेक्ट चाहिए तो उन्होंने अपना फाइनल रेट 7000 रुपये दे दिए अब प्रशांत के पास इस प्रोजेक्ट बनाने की बहुत बड़ी चुनौती आ गयी ,प्रशांत एक बार को तो हार मान चुके थे, लेकिन उनके पास और दूसरा रास्ता भी नहीं था , वे इस प्रोजेक्ट पर अपना काफी समय बर्बाद कर चुके थे ,अब उनके पास पैसे भी नहीं बचे थे घर से वे पैसे मांग भी नहीं सकते थे, यहाँ तक ये हालत हो गई थी वे दो वक्त का खाना तक अच्छे से नहीं खा सकते थे , इस हालात में भी प्रशांत ने हार नहीं मानी और फिर उन्होंने घरेली चीजों जैसे बैडमिंटन रैकेट के धागे और toy वाली JCB की डिज़ाइन को देखते हुए लगभग 6000 में इस प्रोजेक्ट को बना दिया। उन्होंने जब NGO को बताया की आपसे सस्ते रेट पर मैंने ये प्रोजेक्ट बना दिया , तो वे बहुत खुश हुये ,लेकिन आगे एक समस्या और आ गयी की इतने सारे रोबोटिक प्रोजेक्ट को बनाने के लिए Equipment कहा से आएंगे फिर एक बार प्रशांत गड़े को निराशा हाथ लगी।

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प्रशांत गड़े को US के एक प्रोफेसर से मिली मदद​

प्रशांत को रोबोटिक हैंड बनाने के बाद भी Equipment न होने कारण जब निराशा हाथ लगी तो उन्होंने अपने बनाये रोबोटिक हैंड को You Tube पर डाल दिए , उस वीडियो को देखकर US के प्रोफेसर का प्रशांत के पास एक कॉल आया की क्या आप US आ सकते है, हम सभी बायो मेडिसिन पर एक कॉन्फ्रेंस कर रहे है, प्रशांत ने हामी भर दी और पहुंच गए US वहां उनके काम को सराहा गया , और प्रोफेसर ने उनसे पूछा की हम आपकी मदद कैसे कर सकते है तब प्रशांत ने अपनी परस्थिति उनको बताई दूससे दिन प्रोफेसर ने प्रशांत को 10 -3D प्रिंटिंग मशीन प्रशांत को गिफ्ट कर दिए,जो रोबोटिक हैंड बनाने में मदद कर सकती थी, इस तरह प्रशांत की Robotic Hand बनाने की Journey स्टार्ट हुयी।

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INALI FOUNDATION की नीव​

प्रशांत जब इंडिया आये तो उनके पास 10 ऐसे मशीन थी जो उनके डिज़ाइन को आसानी से बना सके तब,उन्होंने विकलांग गरीब जो अपना हाथ और पैर के लिए पैसे नहीं खर्च कर सकते ऐसे लोगो के लिए फाउंडेशन बनाई जिसका नाम था INALI फाउंडेशन , और ये फाउंडेशन पुरे भारत भर में अबतक 1500 से ज्यादे विकलांगो को Robotic हाथ और पैर दे चुकी है और वो भी बिलकुल मुफ्त, प्रशांत ने अपनी कमाई विकलांगों की मुस्कान और खुशियों से बटोरी है।

निष्कर्ष - प्रशांत की इस अनोखी journey को लिखने का मकसद सिर्फ इतना है की आप सभी इस कहानी से प्रेणना ले सके और आप भी किसी को हाथ या पैर गिफ्ट में देना चाहते है तो INALI FOUNDATION को अपना पैसा देकर इन गरीब विकलांगो की मदद कर सकते है।

धन्यवाद।
 
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