संस्कृत वर्णमाला एवं उच्चारण स्थान
(1)संस्कृत वर्णमाला में कितने प्रकार के वर्ण होते हैं ?
उतर-संस्कृत वर्णमाला में दो प्रकार के वर्ण होते हैं-(क) स्वर वर्ण (ख) व्यञ्जन वर्ण
(2) संस्कृत वर्णमाला में कितने स्वर होते हैं और कौन-कौन से?
उत्तर-संस्कृत वर्णमाला में 13 स्वर होते हैं अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लृ ए, ऐ, ओ, औ।( 3) संस्कृत वर्णमाला में व्यञ्जन वर्ण कितने हैं और कौन कौन से?
उत्तर-संस्कृत वर्णमाला में 33 (तैंतीस) व्यञ्जन वर्ण हैं(i) वर्गीय व्यञ्जन (स्पर्श-व्यञ्जन)
कवर्ग- -क्, ख, ग, घ, ङ्चवर्ग-च्, छ, ज्, झ्, ञ्
टवर्ग-ट्, ठ, इ द्, ण्
तवर्ग-त्, थ्, द्, ध्, न्
पवर्ग-प्, फ्, ब, भम्
(ii) अन्तःस्थ वर्ण-य् र् ल्, व्
(iii) ऊष्म वर्ण -श्, ष्, स्, ह्
( 4) स्वरवर्ण किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-जिन वर्णों का उच्चारण स्वतन्त्रतापूर्वक होता है, वे वर्ण स्वर-वर्ण कहलाते हैं। इन वर्णों के उच्चारण में वायु निर्बाध रूप में मुखसे बाहर चली जाती है; जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ आदि।संस्कृत में स्वरों को ‘अच्’ भी कहते हैं।
( 5)स्वर वर्णों के कितने भेद हैं ?
उत्तर-स्वर वर्णों के तीन भेद हैं (i)हस्वस्वर (ii) दीर्घ स्वर (iii) प्लुत स्वर ।(i) ह्रस्वस्वर स्वर-
जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है, वे हस्व स्वर कहलाते हैं।संस्कृत में पाँच हस्व स्वर हैं
अ, इ, उ, ऋ, ल
(ii) दीर्घ स्वर-जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगे, उन्हें दीर्घ स्वर कहा जाता है। संस्कृत में मूलतः चार दीर्घ स्वर हैं
आ, ई, ऊ, ऋ (लु स्वर का दीर्घ रूप नहीं होता) इनके अतिरिक्त ए, ऐ, ओ तथा औ भी दीर्घ स्वर हैं। ये चारों ‘सन्धिस्वर’ भी कहे जाते हैं।
(iii) प्लुत स्वर-जिन हस्व या दीर्घ स्वरों के उच्चारण में तीन मात्राओं का समय लगता है, वे प्लुत स्वर कहलाते हैं,
प्लुत स्वर को ३ (तीन) के अंक द्वारा सूचित किया जाता है; जैसे-‘
ओ३म्’ में ‘ओ’ प्लुत स्वर है।
(6)व्यञ्जन वर्ण किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-जिन वर्णों का उच्चारण स्वतन्त्रतापूर्वक नहीं होता, अपितु स्वरों की सहायता से होता है, वे वर्ण व्यञ्जन वर्ण कहलाते हैं। इनके वर्ण उच्चारण में वायु घर्षणपूर्वक मुख से बाहर आती है; जैसे-क्, च्, त्, य् आदिव्यंजनों को संस्कृत में ‘हल्’ भी कहा जाता है। स्वर रहित व्यंजन दर्शाने के लिए व्यजंनों के पैर में हल् चिह्न भी लगाया जाता है।
(7)व्यञ्जन वर्णों के कितने भेद हैं ?
उत्तर-व्यञ्जन वर्णों के तीन भेद हैं
(i) स्पर्श -वर्ण (वर्गीय वर्ण)–क, से, म् तक 25 वर्ण
(ii) अन्तःस्थ वर्ण-यू, रु, लु, व्-4 वर्ण
(ii) ऊष्म वर्ण-श्, ष्, स्, ह्-4 वर्ण
(8)नासिक्य वर्ण कौन-से हैं ?
उत्तर-वर्गीय वर्गों में प्रत्येक वर्ग का पञ्चम वर्ण नासिक्य वर्ण होता है, क्योंकि इनके कण्ठ आदि उच्चारणस्थान होने के साथ-साथ नासिका भी उच्चारण स्थान होता है। पाँच वर्गों के अनुसार नासिक्य वर्ण भी पाँच ही होते हैं
नासिक्य वर्ण-उच्चारण स्थान
- ङ् नासिका + कण्ठ
- ञ् नासिका + तालु
- ण् नासिका + मूर्धा
- न् नासिका + दन्त
- म् नासिका + ओष्ठ
उत्तर-वर्गों के प्रमुख उच्चारणस्थान पाँच हैं
(i) कण्ठ (ii) तालु (iii) मूर्धा (iv) दन्त (v) ओष्ठ तालिका
उच्चारणस्थान
1. कण्ठ-अ, आ, कवकीय वर्ण (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्), ह, विसर्ग(ः)।2. तालु- इ, ई, चवर्णीय वर्ण (च्, छ, ज, झ्, ञ्), यू, शु।
3. 3. मूर्धा- ऋ ऋ टवर्गीय वर्ण (ट, ठ्, ड्, द्, ण्), ट्, ष्।
4. दन्त-लू, तवर्गीय वर्ण (त्. प्. द ्, न्). [लू. स् ।
5.ओष्ठ- उ, ऊ, पव्गय वर्णा (पू. फ्. म् भु, म्)।
ए, ऐ का उच्चारणस्थान-कण्ठतातु
ओ, औ का उच्चारणस्थान-कण्ठोष्ठ
व् का उच्चारणस्थान-दन्तोष्ट