कंप्यूटर – परिचय, प्रकार, विशेषताएं संपूर्ण जानकारी

कंप्यूटर आज हमारा देश ही नहीं पूरा विश्व प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रयासरत है| पिछले कुछ वर्षों सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) के विकास के साथ कंप्यूटर का विकास शुरू हुआ था| यह आज हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू पर अपना विशेष प्रभाव डाला है| यह आज हमारे सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया है| पहले इसका उपयोग केवल वैज्ञानिक तथा तकनीकी (Technical) गणनाओं के लिए किया जाता था, परंतु आज इसका व्यापक प्रयोग बिना गणनाओं वाले कार्यों में भी काफी अधिक किया जा रहा है| आज इसके बिना बहुत से कार्यों को करने में हम अपने आपको बहुत कठिनाई महसूस करते हैं| अतः इसे विश्व का सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार कहा जा सकता है|

कंप्यूटर – परिचय, प्रकार, विशेषताएं संपूर्ण जानकारी


कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘कम्प्यूट’ (compute) शब्द से मिलकर बना है जिसका अर्थ गणना करना होता है| इसके आविष्कार करने का मुख्य उद्देश्य एक तेज गति की गणना करने वाली मशीन बनाना था, परन्तु वर्तमान समय में इसका व्यापक प्रयोग बिना गणनाओं वाले कार्यों में भी किया जा रहा है|

कंप्यूटर​

साधारण भाषा या शब्दों में कंप्यूटर एक तीव्र गणना करने वाली मशीन है, जो किसी भी प्रकार की अंकगणितीय गणनाएं (Arithmetical calculations) करती है, किन्तु आज इसका प्रयोग हर क्षेत्र में व्यापक रूप से बिना गणनाओं वाले कार्यों में भी किया जा रहा है| अतः कंप्यूटर को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-

” यह एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो उपयोगकर्ता (user) अथवा प्रोग्रामर (programmer) द्वारा दिए गए आदेश (instructions) और संकेतों के अनुसार आंकड़ों (data) पर क्रिया (processing) करके सूचना (information) प्रदान करता है|”

इस परिभाषा में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ निम्नलिखित है :

आंकड़े (Data) – एक तथ्य जिसका कोई अर्थ नहीं होता है| उदाहरण के लिए, अंक 100 का कोई अर्थ नहीं है यदि यह न बताया जाए कि अंक 100 किस लिए प्रयुक्त है|

सूचना (Information) – वे आंकड़े जिनका कोई अर्थ होता है| उदाहरण के लिए, किसी छात्र के गणित में प्राप्तांक 100 हैं| यहां अंक 100 का अर्थ है, इसलिए यह एक सूचना है|

आदेश (Instruction) – इसके द्वारा किसी कार्य को करने के लिए दिया जाने वाला कथन आदेश कहलाता है|

क्रिया (Processing) – इसके द्वारा आंकड़ों पर कुछ कार्य करना क्रिया कहलाता है। अतः यह आंकड़ों को ग्रहण करता है, उन पर क्रिया करता है तथा सूचना प्रदान करता है| इसके द्वारा की जाने वाली क्रियाएं गणितीय, तार्किक (Logical) या अन्य किसी प्रकार की हो सकती हैं|


कंप्यूटर का इतिहास एवं विकास​

कंप्यूटर का विकास मानव युग के विकास के साथ ही प्रारम्भ हो गया था| मनुष्य ने जब गिनती की खोज की तभी से उसका प्रयास था कि गणना करने वाले यन्त्रों का निर्माण किया जाए|जिससे कार्य सफलतापूर्वक आसानी से किया जाए| आज से लगभग 4 हजार ईसा पूर्व चीन में एक गणना यन्त्र का आविष्कार हुआ था जिसका नाम ‘ऐबेकस’ था| यह विश्व का प्रथम गणना यन्त्र था| इसका प्रयोग अंकों की गणना में किया जाता था| लगभग 3 हजार ईसा पूर्व इसका व्यापक प्रयोग होने का प्रमाण प्राप्त हुआ है और आज भी ऐबेकस का प्रयोग रूस, चीन, जापान तथा भारत जैसे विकसित देशों में किया जाता है|

इसके विकास क्रम में अन्य नई खोजें की गईं जिनमें स्कॉटलैण्ड के गणितज्ञ जॉन नैपियर ने ‘नैपियरी बोन’ नाम की पद्धति पर प्रकाश डाला तथा उन्होंने ही स्लाइड रूल का आविष्कार किया| इस विकास के क्रम को आगे बढ़ाते हुए पास्कल ने एक गणना यन्त्र ‘पास्कलाइन’ तथा जर्मन गणितज्ञ लेबनीज ने एक ‘यान्त्रिक कैल्कुलेटर’ का निर्माण किया गया था|

उसी क्रम में चार्ल्स बैबेज, जिन्हें आधुनिक कंप्यूटर का जनक कहा जाता है, ने डिफरेन्स इन्जन तथा एनालिटिकल इन्जन का आविष्कार किया था| इनके अतिरिक्त जैकार्ड का लूम, होलेरिथ का टेबुलेटिंग मशीन आदि का भी आविष्कार हुआ| इन सभी का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है :

1) ऐबेकस (Abacus)​

लगभग 4000 ईसा पूर्व चीन में विश्व का सर्वप्रथम गणना यन्त्र का आविष्कार हुआ था जिसका नाम ‘ऐबेकस’ था| इसका मुख्य प्रयोग अंकों की गणना में किया जाता था| ऐबेकस तारों का एक आयताकार ढांचा होता है| जिसमें 10 क्षैतिज (Horizontal) छड़ें (डंडे) होती हैं| प्रत्येक छड़ में सात दाने होते हैं| जो इधर-उधर खिसकाए जा सकते थे| 10 क्षैतिज छड़ों को विभाजित करती एक लम्बवत् (Vertical) छड़ होती थी, जो दानों को इस प्रकार बांटती है कि इसके एक ओर 2 दाने तथा दूसरी ओर 5 दाने होते थे| इन 2 दानों में प्रत्येक दाने का मान 5 होता था| तथा दूसरी ओर के 5 दानों में प्रत्येक का मान 1 होता है| इन दानों को विभाजक छड़ के दूर या पास खिसका कर गणना की जाती थी| ऐबेकस द्वारा गणनाएं बहुत तीव्र गति से होती थी|

2) नैपियरी बोन (Napieri Bones)​

ऐबेकस के बाद नैपियरी बोन का आविष्कार हुआ, ऐबेकस के बाद गणना करने वाले यन्त्रों में कुछ सुधार होते रहे, किन्तु कोई यान्त्रिक (mechanical) मशीन नहीं बन सकी| 17 शताब्दी गणितीय विकास की सबसे महान शताब्दी रही| सन् 1617 में स्कॉटलैण्ड के गणितज्ञ जॉन नैपियर (John Napier) ने कुछ ऐसी आयताकार पट्टियों का निर्माण किया जिन पर अंक लिखे होते थे तथा जिनकी सहायता से लघुगणकीय (logarithmic) गणनाएं करने की क्रिया अत्यन्त शीघ्रतापूर्वक तथा आसानी से की जा सकती थी| जिससे बहुत सा समय बचता था| इन लघुगणक सारणी का उपयोग करके गुणा तथा भाग की क्रिया को जोड़ तथा घटाव की सहायता से बहुत आसानी से किया जा सकता था| ये पट्टियां हड्डियों (bones) से बनी होती थी, जिन पर अंक लिखे होते थे| इसलिए इस यन्त्र को ‘नैपियरी बोन’ कहा गया|

3) स्लाइड रूल (Slide Rule)​

जर्मन वैज्ञानिक विलियम ऑटरेड (William Otrade) ने सन् 1622 में स्लाइड रूल नामक कंप्यूटर का आविष्कार किया| स्लाइड रूल पहला एनालॉग (analog) कंप्यूटर था जो गुणा तथा भाग की क्रियाओं को लघुगणक सारणी की सहायता से करता था| इसमें दो विशेष प्रकार से चिह्नित पट्टियां होती थीं, जिन्हें बराबर में रखकर आगे-पीछे सरकाया जा सकता था|

4) एडिंग मशीन (Adding Machine)​

सन् 1643 में फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaze Pascal) ने पहला यान्त्रिक कैल्कुलेटर (Mechanical Calculator) बनाया| 19 वर्ष की छोटी आयु में पास्कल ने एक यान्त्रिक कैल्कुलेटर का विकास किया जिसे एडिंग मशीन कहा गया| इस मशीन का उपयोग अंकों को जोड़ने तथा घटाने के कार्य में किया जाता था| इस मशीन में कई दांतेदार चक्र तथा डायल होते थे| प्रत्येक चक्र में 10 भाग होते थे और वह आपस में इस प्रकार जुड़े होते थे कि जैसे ही कोई चक्र एक बार घूमता था तो उसके बाएं ओर का चक्र केवल 1/10 भाग घूमता था| इस मशीन द्वारा दो संख्याओं का योग अथवा अन्तर एक संख्या को डायल करके तथा दूसरी संख्या के बराबर चक्रों को क्रमशः घुमाकर ज्ञात किया जाता था| यह मशीन घड़ी तथा ओडोमीटर के सिद्धान्त पर कार्य करती थी|

5) लेबनिज का यान्त्रिक कैल्कुलेटर (Labnitz’s Mechanical Calculator)​

जर्मन दार्शनिक तथा गणितज्ञ गॉटफ्रेड लेबनिज ने सन् 1672 में एडिंग मशीन में उच्च स्तर पर सुधार करके एक नई मशीन का निर्माण किया जिसमें जोड़ने तथा घटाने के अतिरिक्त गुणा तथा भाग भी किया जा सकता था| इस मशीन की गणना करने परिणाम की गति अभी तक आए सभी कंप्यूटरों से काफी तीव्र थी| इस मशीन को ‘रेकनिंग मशीन’ (Reckoning Machine) के नाम से जाना जाता था|


6) मल्टीप्लाइंग मशीन (Multiplying Machine)​

फ्रांसीसी इन्जीनियर थॉमस डी काल्मर (Thomas D’Colmar) ने सन् 1820 में एडिंग मशीन का विकसित रूप प्रस्तुत किया तथा इसे मल्टीप्लाइंग मशीन सहयोगी कहा गया| यह मशीन एक यान्त्रिक कैल्कुलेटर थी जो जोड़, घटाव, गुणा तथा भाग की क्रियाएं आसानी से तीव्र गति से करती थी| इस मशीन को वाणिज्यिक रूप से स्वीकार किया गया तथा 1000 या उससे अधिक कम्प्यूट मल्टीप्लाइंग मशीनें बाजार में बेची गई थी|

7) जैकार्ड लूम (Jacquard’s Loom)​

सन् 1802 में फ्रांसीसी बुनकर जोसेफ जैकार्ड (Joseph Jacquard) ने एक ऐसी बुनाई मशीन का निर्माण किया जो कपड़ों में डिजाइन या पैटर्न स्वतः देती थी| इस मशीन की विशेषता यह थी कि यह बुनाई में डिजाइन डालने के लिए कार्ड-बोर्ड के छिद्रयुक्त पंच-कार्डों (Punch cards) का उपयोग करती थी| पंच-कार्ड पर छिद्रों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति द्वारा धागों को निर्देशित किया जाता था| जैकार्ड की बुनाई मशीन कंप्यूटर के विकास में बहुत उपयोगी साबित हुई| इसने एक नई विचारधारा को जन्म दिया कि सूचनाओं को पंच-कार्डों पर कोडित किया जा सकता है तथा पंच-कार्डों पर संगृहीत सूचना निर्देशों (instructions) का समूह है|

8) चार्ल्स बैबेज का डिफरेन्स इंजिन (Charles Babbage’s Difference Engine)​

सन् 1820 में अंग्रेज गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने एक मशीन के निर्माण का विचार बनाया जिसे डिफरेन्स इंजिन कहा गया| उन्होंने पंच-कार्ड की सहायता से गणितीय सारणी बनाई तथा छापी| इस मशीन में गियर (gear) और शाफ्ट (shaft) लगे थे और यह भाप (steam) द्वारा चलती थी, यद्यपि यह मशीन धन की कमी के कारण तैयार नहीं हो सकी, किन्तु इस प्रयास ने उन्हें एक उन्नत मशीन बनाने की प्रेरणा दी|

9) चार्ल्स बैबेज का ऐनालिटिकल इंजिन (Charles Babbage’s Analytical Engine)​

सन् 1833 में अंग्रेज गणितज्ञ बैबेज ने डिफरेन्स से प्रेरणा लेकर एक ऐसे यन्त्र की रूपरेखा तैयार की जो आज पाए जाने वाले कंप्यूटर से काफी समानता रखती थी| इस यन्त्र को ऐनालिटिकल इंजिन कहा गया| यह यन्त्र कई प्रकार के गणना कार्य करने में सक्षम था| यह पंच-कार्डों पर संगृहीत आदेशों के समूह द्वारा आदेशित होकर कार्य करता था| इसके द्वारा प्राप्त परिणाम छापे भी जा सकते थे| यह यन्त्र सभी गणितीय क्रियाओं को करने में सक्षम था| चार्ल्स बैबेज ने इस यन्त्र को विकसित करने का पूरा प्रयास किया, किन्तु वे इस यन्त्र को पूरा नहीं कर पाए| बाद में उनकी सहयोगी एडा ऑगस्टा (Ada Augusta) ने इस कार्य को आगे बढ़ाया और उन्हें विश्व का पहला प्रोग्रामर कहा गया| इन्होंने ही बाइनरी संख्याओं की भी खोज की| चार्ल्स बैबेज का ऐनालिटिकल इंजिन आधुनिक कंप्यूटर का आधार बना| इस लिए चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक भी कहा जाता है|

10) होलेरिथ सेन्सस टेबुलेटर (Hollerith Census Tabulator)​

अमेरिका ही नहीं वरन पूरे विश्व में में जनगणना का कार्य हाथ से किया जाता था` अमेरिका में सन् 1880 की जनगणना में 7 वर्षों का समय लगा| कम समय में जनगणना कार्य सम्पन्न करने के लिए अमेरिका के हर्मन होलेरिथ (Herman Hollerith) ने एक मशीन का निर्माण किया| यह मशीन पंच-कार्डों को विद्युत् द्वारा संचालित करती थी| यह मशीन कार्डों को छांट तथा गिन सकती थी| इस मशीन का नाम सेन्सस टेबुलेटर था| हर्मन होलेरिथ की इस मशीन को पूरी दुनिया में सफलता मिली| सन् 1896 में हर्मन होलेरिथ ने टेबुलेटिंग मशीन कम्पनी (Tabulating Machine Company) नामक एक कम्पनी तैयार की जिसमें पंचिंग मशीनों का व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया गया| सन् 1924 में इस कम्पनी का नाम बदल कर इण्टरनेशनल बिजनेस मशीन (International Business Machine) कर दिया गया| जो आई.बी.एम. (I.B.M.) के नाम से प्रसिद्ध हुई और आज यह विश्व में कंप्यूटर बनाने वाली सबसे बड़ी कम्पनी के रूप में प्रसिद्ध है|

11) मार्क-1 (Mark-1)​

सन् 1940 में आई.बी.एम. के चार इन्जीनियरों और हाबर्ड आईकेन (Howard Aiken) ने एक मशीन का निर्माण प्रारम्भ किया, जो सन् 1944 में विकसित हुई और उसे -ऑटोमैटिक सिक्वेन्स्ड कण्ट्रोल्ड केलकुलेटर (Automatic sequenced controlled calculator) कहा गया| बाद में इसका नाम बदल कर मार्क-1 रख दिया गया| यह विश्व का सबसे पहला विद्युत् यान्त्रिक कंप्यूटर (Electromechanical Computer) था| मार्क-1 का आकार बहुत विशाल था| इसमें 500 मील लम्बाई के तार लगे थे तथा 30 लाख विद्युत् संयोजन थे| यह 6 सेकण्ड में एक गुणा तथा 12 सेकण्ड में एक भाग की क्रिया करता था| यद्यपि यह गति अधिक तीव्र नहीं थी, किन्तु तब तक बने सभी कैल्कुलेटरों में यह काफी तीव्र था|

12) ए.बी.सी. (ABC)​

सन् 1945 में ओवा यूनिवर्सिटी के गणितज्ञ जॉन एटानासोफ (John Atanasoff) और उनके शिष्य क्लीफोर्ड बेरी (Clifford Berry) ने एक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का विकास किया जिसका नाम एटानासोफ बेरी कंप्यूटर रखा| इसे संक्षेप में ए.बी.सी. (ABC) कहा गया| ए.बी.सी. सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर था| यह बाइनरी संख्या पद्धति अर्थात् 0 तथा 1 पर कार्य करता था| जो आज प्रत्येक कंप्यूटर में प्रयुक्त की जाती है| इस कंप्यूटर में आंकड़ों को संगृहीत करने के लिए उस विधि का उपयोग किया गया जो आज भी प्रयोग की जा रही है|

13) एनिएक (ENIAC)​

सन् 1946 में प्रथम आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर एनिएक का विकास हुआ| इसका विकास द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शस्त्रों को लक्ष्य की ओर स्थित करने में होने वाली जटिल गणनाओं को प्राप्त करने के लिए किया गया| इसका निर्माण जे.पी. ऐकर्ट (J.P. Eckert) और जॉन मुचली (John Mauchly) ने किया था जो मूर स्कूल (Moore School) में विद्युत् अभियन्ता (Electrical Engineer) थे| यह विश्व का प्रथम सामान्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था| एनिएक में आंकड़ों पर क्रिया करने के लिए 18,000 वैक्यूम ट्यूबें लगी थीं जिनमें प्रत्येक का आकार विद्युत् बल्ब के बराबर था| यह 30 अलग-अलग इकाइयों से मिलकर बना था| इसका भार 30 टन था जो कि काफी ज्यादा था| तथा यह 1800 वर्ग फीट स्थान घेरता था| यह 140 किलोवाट विद्युत् से चलता था| एनिएक में गणनाओं के परिणामों को संगृहीत करने के लिए 20 विशेष रजिस्टरों का उपयोग किया जाता था जिन्हें एक्यूमलेटर कहते थे| इस कंप्यूटर में गणनाओं के लिए डेसिमल संख्या पद्धति का उपयोग किया जाता था|

कंप्यूटर की पीढ़ियां​

इसके विकास को तकनीकी के आधार पर पांच पीढ़ियों में बांटा गया है|

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर​

इस पीढ़ी का समय सन् 1946 से 1954 तक माना जाता है| विश्व का सबसे पहला वाणिज्यिक कंप्यूटर सन् 1951 में अमेरिका में बनाया गया| इसका नाम ‘यूनीवर्सल ऑटोमैटिक कंप्यूटर’ था| जिसे संक्षेप में यूनीबैक (UNIVAC) कहा गया। इस पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूबों (Vacuum Tubes) का प्रयोग किया जाता था, यद्यपि यह पीढ़ी पुराने यान्त्रिक यन्त्रों से अधिक तीव्र थे, किन्तु इनमें बहुत सी कमियां भी पाई गई थीं; जैसे इनका आकार बहुत बड़ा था| इनका वजन काफी अधिक था| ये बहुत अधिक पावर ग्रहण करते थे और गर्मी उत्पन्न करते थे| ये काफी महंगे पड़ते थे| इस पीढ़ी के कंप्यूटर अधिक विश्वसनीय नहीं थे| इस पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटर के नाम हैं:
  • एडसैक (EDSAC) — इलेक्ट्रॉनिक डिले स्टोरेज ऑटोमैटिक कैल्कुलेटर
  • एनिएक (ENIAC)—इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इण्टीग्रेटर एण्ड कैल्कुलेटर
  • एडवैक (EDVAC)- इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वैरियेबल ऑटोमैटिक कम्प्यूटर
  • यूनीवैक (UNIVAC) — यूनीवर्सल ऑटोमैटिक कम्प्यूटर

द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर​

इस पीढ़ी का समय सन् 1954 से 1964 तक माना जाता है| अमेरिका के बेल लैब (Bell Lab) में ट्रान्जिस्टर (Transister) की खोज के साथ कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी शुरू हुई| ट्रान्जिस्टर, वैक्यूम ट्यूब की तुलना में काफी छोटे तथा बेहतर होते हैं| अतः इस पीढ़ी में पुराने वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रान्जिस्टर का प्रयोग किया गया| ट्रान्जिस्टर के प्रयोग से द्वितीय पीढ़ी के मशीन आकार में छोटे गति में अधिक तीव्र तथा विश्वसनीय हो गए| इनको बनाने में कम खर्च आता था तथा ये गर्मी भी कम उत्पन्न करते थे। इस पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटरों के नाम हैं:
  • एन. सी. आर. 304 (N.C.R.-304) नेशनल कैश रजिस्टर (National Cash Register)
  • पी.डी.पी.-1 (P.D.P.-1)
  • आई. बी. एम. 1602 (I.B.M.-1602)
  • यूनीवैक-1107 (UNIVAC-1107)

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर​

इस पीढ़ी का समय सन् 1964 से 1981 तक माना जाता है| इस पीढ़ी में ट्रान्जिस्टर के स्थान पर एकीकृत परिपथ (IC-Integrated Circuit) का उपयोग किया गया| एकीकृत परिपथ बहुत छोटे होते हैं, सैकड़ों ट्रान्जिस्टर एक छोटे से एकीकृत परिपथमें रखे जा सकते हैं| एकीकृत परिपथ के प्रयोग से तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर, पहले की पीढ़ी की तुलना आकार में बहुत छोटे हो गए| यह पीढ़ी पिछली पीढ़ियों की तुलना में कम गर्मी उत्पन्न करते थे और बहुत कम पॉवर ग्रहण करते थे| यद्यपि इस पीढ़ी के मशीन अधिक विश्वसनीय और तीव्र गति वाले थे, लेकिन इनमें कुछ कमियां भी थीं जैसे इनकी संग्रहण क्षमता काफी कम थी तथा गति भी इतनी अधिक नहीं थी कि उपयोगकर्ता की जरूरतें पूरी हो सकें|

इस पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटर के नाम हैं:
  • क्रे-1 (CRAY-1)
  • पी.डी.पी.- 8 (P.D.P. 8)
  • आई.बी.एम. – 360 (I.B.M. 360)
  • पी.डी.पी.-11 (P.D.P.-11)

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर​

इस पीढ़ी का समय सन् 1980 से अब तक का माना जाता है| इस पीढ़ी में एकीकृत परिपथ के स्थान पर वृहत् एकीकृत परिपथ (LSI-Large Scale Integrated Circuit) का उपयोग किया गया| वृहत् परिपथ अति सूक्ष्म होते हैं और सैकड़ों एकीकृत परिपथ एक छोटे से वृहत् एकीकृत परिपथ में रखे जा सकते हैं| इस कारण वृहत् एकीकृत परिपथ, एकीकृत परिपथ से भी छोटे होते हैं| सन् 1978 में पाया गया कि लाखों ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ, आदि को एक परिपथ में रखा जा सकता है जिसे अति वृहत् एकीकृत परिपथ (VLSI—Very Large Scale Integrated Circuit) कहते हैं| इन परिपथ का उपयोग करने वाले मशीनों को माइक्रो कंप्यूटर कहा जाता है| आज पाए जाने वाले सभी कंप्यूटर इसी पीढ़ी के हैं| ये बहुत शक्तिशाली हैं जो उच्च मेमोरी तथा उच्च गति के होते हैं| आज के कंप्यूटर, मेनफ्रेम कंप्यूटर से भी अधिक तीव्र हैं| यद्यपि इस पीढ़ी के मशीन अधिक विश्वसनीय और तीव्र गति वाले हैं, लेकिन इनमें कुछ कमियां भी हैं, जैसे कंप्यूटर में स्वयं बुद्धिमत्ता की कमी|

इस पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटर के नाम हैं :
  • आई.बी.एम.पी.सी./ ए.टी. ( IBM PC/AT)
  • क्रे-2 (CRAY-2)
  • आई.बी.एम.पी.सी. (IBMPC)
  • 486
  • पेण्टियम (Pentium)

पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर​

भविष्य में आने वाली पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर पर आज भी अनुसंधान जारी है| इस पीढ़ी के अन्तर्गत ऐसे कंप्यूटर के निर्माण का प्रयास चल रहा है जो निर्णय लेने तथा सोचने की क्षमता भी रखें| वे अति वृहत् एकीकृत परिपथ के स्थान पर अत्यधिक वृहत् एकीकृत परिपथ (ULSI—Ultra Large Scale Integrated Circuit) का प्रयोग करेंगे| पांचवीं पीढ़ी की मुख्य विशेषता होगी कि उनके द्वारा बुद्धिमान सॉफ्टवेयरों (Intelligent Software) का प्रयोग सम्भव होगा| बुद्धिमान सॉफ्टवेयरों को केवल यह बताना होगा कि ‘क्या करना है’ यह बताने की आवश्यकता नहीं रहेगी कि ‘कैसे करना है’| अतः पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर को हर कार्य के लिए आदेश देने की आवश्यकता नहीं रहेगी| यह उपयोगकर्ताओं द्वारा बात से या सामान्य भाषा में आदेश ग्रहण कर सकेंगे, यद्यपि अभी तक ऐसे कंप्यूटर को बनाने में सफलता नहीं प्राप्त हुई है, किन्तु रोबोट (Robot) कुछ इसी के उदाहरण है|

कंप्यूटर का फुल फॉर्म​

हम आपको बता नहीं जा रहे हैं कि कंप्यूटर का फुल फॉर्म क्या होता है|

C – Commonly

O – Operated

M – Machine

P – Particularly

U – Used

T – Technical

E – Educational

R – Research

कंप्यूटर की विशेषताएं​

कम्प्यूटर की कुछ विशिष्ट विशेषताएं हैं जिनके कारण यह आज इतना लोकप्रिय है| इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. गति (Speed)​

इसकी सबसे प्रमुख विशेषता उसका तीव्र गति से कार्य करना है| इसकी कार्य करने की गति इतनी तीव्र है जितना आप सोच भी नहीं सकते हैं| यह कई प्रकार के कार्य बहुत तीव्र गति से कर सकता है; जैसे-तार्किक निर्णय, गणनाएं, शब्द प्रक्रिया, आदि| यह इस प्रकार के लाखों कार्य एक सेकण्ड में कर सकता है| इसकी गति माइक्रोसेकण्ड ( 10 ), नैनोसेकण्ड ( 10 ), पिकोसेकण्ड (10 12) में मापी जाती है| यह जटिल से जटिल गणनाओं को अत्यधिक शुद्धता के साथ कुछ ही सेकण्डों में निकाल देता है| इसकी गति इतनी तीव्र है कि एक सुपर कंप्यूटर सम्पूर्ण विश्व के व्यक्तियों के नाम में से किसी एक व्यक्ति का नाम 5 मिनट में खोज सकता है|

2. स्वचालन (Automatic)​

इसकी दूसरी प्रमुख विशेषता स्वचालन है| यह एक स्वचालक मशीन होती है अर्थात् यदि कोई कार्य इसके द्वारा प्रारम्भ किया जाता है तो तब तक यह उस कार्य को करता है जब तक कार्य पूरा न हो जाए, लेकिन यह स्वयं प्रारम्भ नहीं हो सकते हैं| कंप्यूटर को कार्य करने के लिए आदेश देना पड़ता है|

3. शुद्धता (Accuracy)​

इसके द्वारा की गई गणनाओं की शुद्धता, मानव द्वारा की गई गणनाओं से काफी अधिक होती है| कंप्यूटर द्वारा भी गलतियों की सम्भावनाएं रहती हैं, लेकिन अधिकांश रूप से यह तकनीकी कमजोरी (technological weekness) के स्थान पर मानव द्वारा दिए गए आदेशों के कारण होती हैं; जैसे- प्रोग्रामर द्वारा की गई तार्किक गलती, आंकड़ों की अशुद्धता|

4. बहु-उपयोगिता (Versatility)​

यह एक बहु-उपयोगी मशीन है जो निम्नलिखित प्रकार के कार्य कर सकती है :

•,यह आंकड़े (data) ग्रहण करती है और परिणाम (result) प्रदान करती है|

• यह सामान्य अंकगणितीय गणनाएं (Arithmetical calculation) कर सकती है; जैसे—योग,घटाव, गुणा तथा भाग|

• यह तार्किक क्रियाएं (Logical Operation) कर सकती है|

• यह आन्तरिक (Internally) तौर पर आंकड़ों का स्थानान्तरण (transfer) कर सकती है; जैसे-आंकड़ों को एक भाग से दूसरे भाग में प्रवाह हो सकता है|

5. सक्षमता (Dilligence)​

यह एक ही कार्य को बार-बार उसी शुद्धता के साथ कर सकता है| जैसा वह पहली बार करता है, क्योंकि यह एक मशीन है और मशीन को ना ही भूख, प्यास, थकान तथा ऊब का अनुभव नहीं होता है| इसी कारण यह बिना रुके बिना किसी गलती के घण्टों काम कर सकता है|

6. उच्च मेमोरी (High Memory)​

मनुष्य के पास ज्ञान (knowledge) को ग्रहण करने तथा याद रखने की क्षमता काफी कम होती है, किन्तु इसके साथ ऐसा नहीं है| यह बहुत अधिक संख्या में आंकड़ों को ग्रहण कर सकता है और उन्हें पूर्ण शुद्धता के साथ संगृहीत (Store) करके द्वितीयक मेमोरी (secondary memory) में रख सकता है| कंप्यूटर में संगृहीत आंकड़े वर्षों बाद भी उसी प्रकार प्राप्त किए जा सकते हैं जैसे कि संगृहीत करते समय थे|

7. विश्वसनीयता (Releability)​

यह अपनी उच्च मेमोरी तथा शुद्धता विशेषताओं के कारण बहुत ही विश्वसनीय माने जाते हैं| इसकी याद रखने की क्षमता बहुत अधिक होती है और कार्य करने की गति बहुत तीव्र होती है| इसमें जो आंकड़ें आज संगृहीत किए जाते हैं, वही आंकड़े वर्षों बाद भी प्राप्त किए जाते हैं| अतः यह बहुत ही विश्वसनीय मशीन मानी जाती है|

8. बुद्धिमत्ता की कमी (No Intelligence)​

इसके पास स्वयं की बुद्धिमत्ता नहीं होती है| यह स्वयं कुछ नहीं सोच सकता है| यह केवल वही कार्य कर सकता है जो मानव चाहता है| यह उस कार्य को मानव से तेज तथा अधिक शुद्धता से कर सकता है| कंप्यूटर अपने आप निर्णय नहीं ले सकते हैं।

9. भावना रहित (No Feeling)​

यह एक भावना रहित मशीन है| मानव में भावनाएं होने के कारण वे निर्णय (decision) ले सकते हैं, लेकिन कंप्यूटर एक भावना रहित मशीन होने के कारण किसी प्रकार के निर्णय नहीं ले सकता| यह वही कार्य करता है, जो मानव द्वारा उसे करने के लिए कहा जाता है| यह एक भावना रहित मशीन होने के कारण घण्टों बिना थके अपना कार्य कर सकता है|

कम्प्यूटर का उपयोग (Use of Computer)​

कम्प्यूटर ने समाज के प्रत्येक क्षेत्र पर अपना विशेष प्रभाव डाला है| इसका उपयोग प्रमुख रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है :
  • शिक्षा के क्षेत्र में (Area of Education)
  • बैंकिंग के क्षेत्र में (Area of Banking)
  • रेलवे तथा हवाई आरक्षण के लिए (Railway and Airline Reservation )
  • विद्युत् तथा टेलीफोन बिल देने में (Payment of Electricity and Telephone Bill)
  • चिकित्सीय क्षेत्र में (Area of Medical)
  • मौसम की भविष्यवाणी के लिए (Whether Forcasting)
  • एनीमेशन फिल्म बनाने में (Making Animation film)
  • कार्टून फिल्म बनाने में (Making of Cartoon film)
  • इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे (Area of Information Technology)
  • वस्तुएं बनाने में (Manufacturing Products)
  • शोध प्रयोगशालाओं में (Research Laboratory)
  • अन्तरिक्ष विज्ञान में (Space Science)
  • यातायात नियन्त्रण में (Controlling Traffic)
  • कृषि विज्ञान में (Agriculture Science)
  • समुद्र विज्ञान में (Sea Science)

कंप्यूटर हार्डवेयर क्या है​

कंप्यूटर हार्डवेयर की बात करें तो इसके बाहरी हिस्से कोई हार्डवेयर करते हैं जैसे माउस कीबोर्ड, मॉनिटर, स्पीकर,प्रिंटर, सीपीयू आदि यह सभी हार्डवेयर होते हैं|

इसके अलावा जो सीपीयू कंप्यूटर के इंटरनल भाग में लगे रहते हैं उसे इंटरनल हार्डवेयर कहते हैं| जैसे RAM, ROM, DISK, DRIVE, CPU आदि यह सभी इंटरनल हार्डवेयर होते हैं| इन सभी का विस्तृत लेखा नीचे दिया गया है-

1) माउस​

यह एक इनपुट डिवाइस होता है| जिसकी सहायता से हम कंप्यूटर को ऑपरेट करते हैं|

2) कीबोर्ड​

यह इनपुट डिवाइस का मुख्य भाग होता है इसकी सहायता से हम कंप्यूटर को आसानी से चला सकते हैं| इसकी सहायता से हम टेक्स्ट को टाइप कर सकते हैं|

3) स्पीकर​

स्पीकर एक आउटपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से हम कंप्यूटर में चल रहे म्यूजिक, मूवी आदि चीजों को आसानी से सुन सकते हैं|

4) प्रिंटर​

प्रिंटर की सहायता से हम सुरक्षित रखे गए डाटा को हम एक दस्तावेज के रूप में बाहर निकाल अपने पास रख सकते हैं|

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्या है​

जिस तरह हार्डवेयर का होना आवश्यक है उसी तरह कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर का भी होना आवश्यक है| जिसका विवरण नीचे दिया गया है|

1) अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री

इसके अंतर्गत ब्राउज़र, होम सॉफ्टवेयर, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, मीडिया गेम गेम आदि आते हैं|

कंप्यूटर के प्रकार​

डेस्कटॉप कंप्यूटर​

डेस्कटॉप कंप्यूटर बड़े-बड़े ऑफिस में अधिकारियों के पास तथा बड़े-बड़े कार्यालयों में पाया जाता है| इसके साथ-साथ आमतौर पर यह घर में भी पाया जाता है| इसका प्रयोग प्राय बड़े कार्यों के लिए किया जाता है| जिसे विशेष व्यक्ति के कार्य के लिए बनाया जाता है| इसे हम पर्सनल कंप्यूटर के नाम से भी जान सकते हैं| इसमें कीबोर्ड माउस स्पीकर, मॉनिटर, प्रिंटर सब कुछ अलग अलग होते हैं|

लैपटॉप​

लैपटॉप डेस्कटॉप कंप्यूटर की तरह कार्य करता है| लेकिन इसका आकार छोटा होता है इसको आप कहीं भी ले जा सकते हैं यह बैटरी से कार्य करता है| इसके साथ साथिया कम खर्चीला भी होता है|

टेबलेट​

टेबलेट लैपटॉप से भी छोटा होता है| यह टच स्क्रीन पर कार्य करता है| तथा आकार में भी छोटा होता है| इसे आप कहीं भी ले जा सकते हैं| यह मोबाइल से बड़ा होता है| इसका प्रयोग प्राय छोटे-मोटे कार्य के लिए किया जाता है|

स्मार्टफोन मोबाइल​

स्मार्टफोन मोबाइल एक तरह का कंप्यूटर ही होता है| लेकिन यह टेबलेट से भी छोटा होता है| इसका भी प्रयोग प्राय छोटे-मोटे कार्यों के लिए किया जाता है इसको आप कहीं भी ले आ जा सकते हैं| स्मार्टफोन मोबाइल प्रायः सभी के पास होता है|

टेलीविजन​

टेलीविजन को भी आप एक प्रकार का कंप्यूटर मान सकते हैं| क्योंकि इसमें एप्लीकेशन शामिल होते हैं इसकी सहायता से हम मनोरंजन कर सकते हैं, मूवी देख सकते हैं, गाने सुन सकते हैं|

कंप्यूटर के फायदे एवं नुकसान​

फायदे​

  1. आप इस पर जटिल से जटिल काम आसानी से सफलतापूर्वक कर सकते हैं|
  2. इसमें आप समय की बचत भी कर सकते हैं|
  3. आप कोई भी जानकारी चुटकियों में प्राप्त कर सकते हैं|
  4. आप विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से संपर्क कर सकते हैं|
  5. इसमें आप अपने डाटा को लंबे वक्त तक सुरक्षित रख सकते हैं|
  6. आप कोई भी कार्य घर बैठे आसानी से कर सकते हैं|

नुकसान​

  1. आप इसका गलत उपयोग भी कर सकते हैं इससे आपको बहुत बड़ी हानि पहुंच सकती है|
  2. इसका ज्यादा प्रयोग से आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है|
  3. इस मशीन पर अधिक कार्य करने से निद्रा संबंधी समस्या उत्पन्न होती है|
  4. इसके दुरुपयोग से हम धार्मिक एवं सामाजिक गलतफहमियां फैला सकते हैं|
  5. इस मशीन की सहायता से कोई भी हमारी निजी जीवन पर निगरानी रख सकता है|

FAQ​

1) कंप्यूटर का फुल फॉर्म

Computer का फुल फॉर्म Commonly Operated Machine Particularly Used Technical Educational Research होता है| यह एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन होता है जिसकी सहायता से हम जटिल से भी जटिल कार्य आसानी से सफलतापूर्वक कर सकते हैं|

2) सीपीयू का फुल फॉर्म

सीपीयू का फुल फॉर्म Central processing unit होता है| इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट कहते हैं|
 
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