हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के लेखक एवं प्रसिद्ध कवि थे| हिंदी साहित्य में इनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है| भारतीय हिंदी सिनेमा जगत के प्रसिद्ध अमिताभ बच्चन के यह पिता हैं| उत्तर छायावाद के प्रमुख कवियों में इनको गिना जाता है| इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है| तथा भारत सरकार द्वारा इन को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है|
ये उत्तर छायावादी काल के हालावादी कवि थे| इनकी कविताओं में मानवीय भावनाओं की सामान्य एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति हुई है| सरलता, संगीतात्मकता, प्रवाह और मार्मिकता इनके काव्य की विशेषताएँ हैं और इन्हीं से इनको इतनी अधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई| हिंदी साहित्य का या महान लेखक एवं कवि 18 जनवरी, 2003 ई. में इस भौतिक संसार को छोड़कर सदा के लिए विदा हो गया|
ये वास्तव में यक्तिवादी कवि रहे| ‘बंगाल का काल’ तथा इसी प्रकार की अन्य रचनाओं में इन्होंने अपने जीवन के बाहर विस्तृत जन-जीवन पर भी दृष्टि डालने का प्रयत्न किया| इन परवर्ती रचनाओं में कुछ नवीन विषय भी उठाये गये और कुछ अनुवाद भी प्रस्तुत किये गये| इनमें कवि की विचारशीलता तथा चिन्तन की प्रधानता रही| इनकी प्रथम कृति ‘तेरा हार’ 1932 ई. में प्रकाशित हुई थी|
हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय
हरिवंश राय बच्चन का जन्म उत्तर प्रदेश के (इलाहाबाद) जो अब प्रयागराज के नाम से प्रसिद्ध है, में 1907 ई. में हुआ| इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था| इन्होंने काशी और प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की| तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने डॉक्टरेट की| कुछ समय ये प्रयाग विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्राध्यापक रहे और फिर दिल्ली स्थित विदेश मन्त्रालय में कार्य किया और वहीं से अवकाश ग्रहण किया|ये उत्तर छायावादी काल के हालावादी कवि थे| इनकी कविताओं में मानवीय भावनाओं की सामान्य एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति हुई है| सरलता, संगीतात्मकता, प्रवाह और मार्मिकता इनके काव्य की विशेषताएँ हैं और इन्हीं से इनको इतनी अधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई| हिंदी साहित्य का या महान लेखक एवं कवि 18 जनवरी, 2003 ई. में इस भौतिक संसार को छोड़कर सदा के लिए विदा हो गया|
हरिवंश राय बच्चन का साहित्यिक परिचय
आरम्भ में ये, उमर खय्याम के जीवन-दर्शन से बहुत प्रभावित रहे, जिसने इनके जीवन को मस्ती से भर दिया पहली पत्नी की मृत्यु के बाद घोर विषाद और निराशा ने इनके जीवन को घेर लिंया था| इसके स्वर हमको ‘निशा-निमन्त्रण’ और ‘एकान्त संगीत’ में सुनने को मिले, किन्तु ‘सतरंगिणी’ में ‘नीड़ का निर्माण फिर’ किया गया और जीवन का प्याला एक बार पुन: उल्लास और आनन्द के आसव से छलकने लगा|ये वास्तव में यक्तिवादी कवि रहे| ‘बंगाल का काल’ तथा इसी प्रकार की अन्य रचनाओं में इन्होंने अपने जीवन के बाहर विस्तृत जन-जीवन पर भी दृष्टि डालने का प्रयत्न किया| इन परवर्ती रचनाओं में कुछ नवीन विषय भी उठाये गये और कुछ अनुवाद भी प्रस्तुत किये गये| इनमें कवि की विचारशीलता तथा चिन्तन की प्रधानता रही| इनकी प्रथम कृति ‘तेरा हार’ 1932 ई. में प्रकाशित हुई थी|
हरिवंश राय बच्चन की भाषा शैली
इनकी भाषा सरस सुबोध एवं सरल खड़ी बोली है| इनकी है|नाओं में तत्सम से अधिक तद्भव शब्दों के प्रयोग हैं और शब्द-चयन भाव के अनुसार है| इन्होंने मुक्तक और भावात्मक गीति शैली में अपनी रचनाओं का सृजन किया है| सरलता, स्वाभाविकता, लाक्षणिकता, संगीतात्मकता और प्रवाहमयता इनकी शैली की प्रमुख विशेषताएँ हैं| इनकी रचनाओं में मुख्यतः शृंगार के दोनों भेद तथा करुण रस प्रमुखता से मिलते हैं| इन्होंने छन्दबद्ध और छन्दमुक्त दोनों प्रकार की रचनाएँ की हैं| उपमा, रूपक आदि प्रमुख अलंकारों के प्रयोग इनकी रचनाओं में प्रचुरता से देखने को मिलते हैं|साहित्य में स्थान
इनका हिन्दी साहित्य में एक श्रेष्ठ स्थान है| यह एक कवि के साथ-साथ एक लेखक भी थे| अपनी मात्र एक रचना ‘मधुशाला’ से इनका नाम हिन्दी काव्य-साहित्य में अमर हो गया है| बच्चन जी को ‘हालावाद’ के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है|हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ
- नई से नई-पुरानी से पुरानी
- बंगाल का काल
- खादी के फूल
- सूत की माला
- मिलन यामिनी
- प्रणय पत्रिका
- धार के इधर-उधर
- आरती और अंगारे
- बुद्ध और नाचघर
- त्रिभंगिमा
- चार खेमे चौंसठ खूंटे
- दो चट्टानें
- बहुत दिन बीते
- कटती प्रतिमाओं की आवाज़
- उभरते प्रतिमानों के रूप
- जाल समेटा
- हलाहल
- तेरा हार
- मधुशाला
- मधुबाला
- मधुकलश
- आत्म परिचय
- निशा निमंत्रण
- एकांत संगीत
- आकुल अंतर
आत्मकथा
- नीड़ का निर्माण फिर
- बसेरे से दूर
- क्या भूलूं क्या याद करूं
- दशद्वार से सोपान तक
- प्रवास की डायरी
अन्य रचनाएं
- टूटी छूटी कड़ियाँ
- नागर गीता
- बच्चन के लोकप्रिय गीत
- डब्लू बी यीट्स एंड अकल्टिज़म
- मरकत द्वीप का स्वर
- हैमलेट
- भाषा अपनी भाव पराये
- किंग लियर
- प्रवास की डायरी
- खय्याम की मधुशाला
- सोपान
- मैकबेथ
- जनगीता
- ओथेलो
- उमर खय्याम की रुबाइयाँ
- कवियों में सौम्य संत: पंत
- आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत
- आधुनिक कवि
हरिवंश राय बच्चन पुस्तकें
इन्होंने अनेक पुस्तकें लिखे हैं| इनमें उनके द्वारा किए गए शोध रचनावली एवं आलोचना शामिल है| इन्होंने रचनावली के नौ खण्ड लिखे हैं| जिसका संपादन अजीत कुमार द्वारा किया गया है| इनकी अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं जैसे – गुरुवर बच्चन से दूर तथा मधुकलश इनकी प्रमुख पुस्तकों में से एक है|संक्षिप्त परिचय
- जन्म स्थान – प्रयाग (इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश
- जन्म – 8 जनवरी, 1907 ई.
- पिता – प्रताप नारायण श्रीवास्तव
- माता – सरस्वती देवी
- पुत्र – अमिताभ बच्चन
- भाषा – खड़ी बोली
- शैली – भावात्मक गीत शैली
- रचनाएँ-मधुशाला, मधुबाला, निशा निमन्त्रण, प्रणय-पत्रिका, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, आरती और अंगारे तथा आकुल अन्तर
- मृत्यु – 18 जनवरी, 2003 ई.
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