Helping Others Moral Hindi Story का अंश:
किसी सेठ के पास एक गुलाम था, वह अपने गुलाम के साथ बहुत गन्दा व्यहवार करता था। अपने मालिक के खराब व्यहवार से परेशान गुलाम, एक दिन मौका देख कर वहां से भाग गया…। इस Helping Others Moral Hindi Storyको अंत तक जरुर पढ़ें…
एक बार की बात है, किसी सेठ के पास एक गुलाम था, वह अपने गुलाम के साथ बहुत गन्दा व्यहवार करता था। वह अपने गुलाम को बिना मतलब मारता था, ठीक से खाना नहीं देता था और उससे बहुत सारे काम करवाता था।
अपने मालिक के खराब व्यहवार से परेशान गुलाम, एक दिन मौका देख कर वहां से भाग गया, और भागते हुए एक जंगल में पहुँच गया।
वह इस बात से आनंदित की वह अपने मालिक के हाथ से बच कर निकल गया और उसका मालिक अब उसे नहीं पकड़ पायेगा, यह सोचते हुए वह उस जंगल से गुजर रहा था।
तभी उसे एक शेर की करहाने की आवाज सुनाई दी, वह आवाज ऐसा लगा रहा था की जैसे वह किसी बहुत बड़ी परेशानी में हो।
वह उस शेर के करीब गया, शेर अपने पंजे में काटा गड जाने की वजह से दर्द में कराह रहा था।
वह गुलाम बहादुरी से आगे बढ़ा और धीरे से शेर के पावं में फसा कांटा को निकाल लिया।
उस गुलाम को बिना चोट पहुंचाए शेर वहां से चला गया।
कुछ दिनों बाद, उस गुलाम का मालिक जंगल में शिकार करने आया और कई जंगली जानवरों को पकड़ कर उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया।
उस गुलाम को जंगल में सेठ के आदमियों ने देख लिया और उसे फिर से बंधक बना लिया।
सेठ के आदमी उस गुलाम को उसके क्रूर स्वामी के पास ले गए। मालिक ने गुलाम को शेर के पिंजरे में फेंकने के लिए कहा।
जब गुलाम शेर के पिंजरे में अपनी अंतिम सासें गिन रहा था, तब उसे पता चला की जब उसे पता चलता है कि यह वही शेर है जिसकी उसने मदद की थी। उस शेर ने गुलाम के साथ कुछ नहीं किया।
फिर किसी तरह उस गुलाम ने शेर और अन्य सभी बंदी जानवरों को वहां से बचाया।
किसी सेठ के पास एक गुलाम था, वह अपने गुलाम के साथ बहुत गन्दा व्यहवार करता था। अपने मालिक के खराब व्यहवार से परेशान गुलाम, एक दिन मौका देख कर वहां से भाग गया…। इस Helping Others Moral Hindi Storyको अंत तक जरुर पढ़ें…
एक बार की बात है, किसी सेठ के पास एक गुलाम था, वह अपने गुलाम के साथ बहुत गन्दा व्यहवार करता था। वह अपने गुलाम को बिना मतलब मारता था, ठीक से खाना नहीं देता था और उससे बहुत सारे काम करवाता था।
अपने मालिक के खराब व्यहवार से परेशान गुलाम, एक दिन मौका देख कर वहां से भाग गया, और भागते हुए एक जंगल में पहुँच गया।
वह इस बात से आनंदित की वह अपने मालिक के हाथ से बच कर निकल गया और उसका मालिक अब उसे नहीं पकड़ पायेगा, यह सोचते हुए वह उस जंगल से गुजर रहा था।
तभी उसे एक शेर की करहाने की आवाज सुनाई दी, वह आवाज ऐसा लगा रहा था की जैसे वह किसी बहुत बड़ी परेशानी में हो।
वह उस शेर के करीब गया, शेर अपने पंजे में काटा गड जाने की वजह से दर्द में कराह रहा था।
वह गुलाम बहादुरी से आगे बढ़ा और धीरे से शेर के पावं में फसा कांटा को निकाल लिया।
उस गुलाम को बिना चोट पहुंचाए शेर वहां से चला गया।
कुछ दिनों बाद, उस गुलाम का मालिक जंगल में शिकार करने आया और कई जंगली जानवरों को पकड़ कर उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया।
उस गुलाम को जंगल में सेठ के आदमियों ने देख लिया और उसे फिर से बंधक बना लिया।
सेठ के आदमी उस गुलाम को उसके क्रूर स्वामी के पास ले गए। मालिक ने गुलाम को शेर के पिंजरे में फेंकने के लिए कहा।
जब गुलाम शेर के पिंजरे में अपनी अंतिम सासें गिन रहा था, तब उसे पता चला की जब उसे पता चलता है कि यह वही शेर है जिसकी उसने मदद की थी। उस शेर ने गुलाम के साथ कुछ नहीं किया।
फिर किसी तरह उस गुलाम ने शेर और अन्य सभी बंदी जानवरों को वहां से बचाया।