Desh Bhakti Hindi Comics Story: Veer Vrishabh

Desh Bhakti Hindi Comics Story: Veer Vrishabh


पूर्वी तट पर कुजंग नामक एक छोटा- सा राज्य था। उसकी राजधानी प्रदीप नगरी थी। उसके शासक पराक्रमी थे, इस कारण वे वृषभ राजा नाम से प्रसिद्ध हुए । वहाँ की प्रजा का समुद्र तथा महा-नदी पर पूरा अधिकार था। राजा चन्द्रध्वज का दूसरा नाम वीर वृषभ था।

ब्रिटीश लोगों ने क्रमशः भारत पर आक्रमण करते हुए इस छोटे राज्य पर भी अधिकार करना चाहा । इस पर राजा चन्द्रध्वज के नेतृत्व में कुजंग के नाविकों ने ब्रिटीश नौकाओं को खूब तंग किया।

ब्रिटीश सेना ने कुजंग राज्य को घेर लिया । चन्द्रध्वज के सेनिकों के पास उत्तम प्रकार के आयुध न थे, फिर भी उन लोगों ने वीरतापूर्वक युद्ध किया; लेकिन अंत में वह दुर्ग ब्रिटीश सेना के अधिकार में चला गया।

मगर राजा चन्द्रध्वज बन्दी न बना। थोड़े से अंगरक्षकों के साथ वह समुद्र के तटवर्ती घने जंगल में भाग गया।

ब्रिटिशियों ने कुजंग पर तो अधिकार कर लिया, लेकिन उन्हें उस प्रदेश में रहना कठिन हो गया। राजा चन्द्रध्वज को जैसे ही मौक़ा मिलता ब्रिटिशों के शिविरों में आग लगाकर उन पर हमला कर देते।

ब्रिटीशइयों ने समझ लिया कि चन्द्रध्वज को बन्दी बनाने पर ही उन्हें शांति मिल सकती है। एक दिन जंगल में चन्द्रध्वज अकेले ध्यान- समाधि में था, उस वक्त ब्रिटीशइयों ने गृप्तचरों की मदद से उसे बन्दी बनाया ।

बन्दी चन्द्रध्वज को कटक में लाकर महानदी के तट पर स्थित बाराबती के दुर्ग में क़ैद किया। लेकिन उसे बन्दी बनानेवाले उसके चारों तरफ़ घेरकर उसके मुंह से कहानियाँ सुन कर आनंदित होने लगे ।

अलावा इसके चन्द्रध्वज ने ब्रिटीश अधिकारियों को अनेक भारतीय खेल सिखाये | उन खेलों में उसे असाधारण प्रतिभा प्राप्त थी | इस प्रकार कई महीने बीत गये ।

एक दिन संध्या को महानदी पर एक सुंदर नौका दिखाई दी । उसमें डांड चलानेवाले कुल छत्तीस आदमी थे । उस नौका को देख गोरे साहब, उनकी पत्नियाँ और उनके बच्चे भी प्रसन्न हो उठे । ऐसी नौका को उन लोगों ने कभी न देखा था |

मलाह से पूछने पर उसने बताया कि वह नौका एक राजा की हैं, और राजा का देहांत हो गया है, इसलिए वह बिक्री के लिए तैयार है।

अधिकारियों ने मल्लाह से पूछा- “इस नौका का मूल्य क्या है?”

मल्लाह ने जवाब दिया-“इसका मूल्य तो कोई राजा ही बता सकते हैं, क्योंकि ऐसी वैभवपूर्ण नौकाएँ राजा लोग हीं बनवाते हैं।

उत्साह में आकर गोरे साहबों ने चन्द्रध्वज को दुर्ग से बाहर बुला लिया और उस नौका की जांच करने को कहा । इस पर चन्द्रध्वज नौका पर सवार हो गया |

फिर क्या था, एक साथ 36 डांडें चलीं। आँखें झपकने की देरी थी नौका नदी के मुहाने को पार कर नजरों से ओझल हो गई। तभी जाकर गोरे लोगों को असली बात का पता चला। इस प्रकार राजा चन्द्रध्वज को उसकी प्रजा तथा उसके मंत्री पट्टाजोशी ने ब्रिटिश कैड से मुक्त करवाया |
 

सम्बंधित टॉपिक्स

सदस्य ऑनलाइन

अभी कोई सदस्य ऑनलाइन नहीं हैं।

हाल के टॉपिक्स

फोरम के आँकड़े

टॉपिक्स
1,845
पोस्ट्स
1,886
सदस्य
242
नवीनतम सदस्य
Ashish jadhav
Back
Top