संस्कृत अभ्यास सीखने का तीसरा अभ्यास

संस्कृत अभ्यास सीखने का तीसरा अभ्यास


(क) त्वम् (तू), युवाम् (तुम दोनों), यूयम् ( तुम सब) (सर्वनाम) । फलम् (फल), पुस्तकम् (पुस्तक), पुष्पम् (फूल), पत्रम् (चिट्ठी, पत्ता), भोजनम् (भोजन), जलम् (जल), राज्यम् (राज्य), सत्यम् (सत्य), गृहम् (घर), वनम् (वन) । (१३) (ख) रक्ष (रक्षा करना), वद् (बोलना), पच् (पकाना), पत् (गिरना), नम् (नमस्कार करना )। (५) । (गु) अर्थ (आज), सम्प्रति (अथ), इदानीम् (अव), अधुना (अव), यदा (जय), तदा (तब), कदा (कथ) । (७)

संस्कृत अभ्यास सीखने का तीसरा अभ्यास​

सूचना-​

(क) फल-वन, फलवत् ।

(ख) रक्ष- नम्, भवतिवत् ।

व्याकरण (लट् मध्यमपुरुष, कारक-परिचय)​

१. फलम् फले फलानि प्रथमा (कर्ता) संक्षिप्तरूप अम् ए आनि प्र०

फलम् फले फलानि द्वितीया (कर्म) (अकारान्तर नपुं०) अम् ए आनि द्वि०

पुस्तक आदि के रूप इसी प्रकार चलेंगे। जैसे-पुस्तकम् पुस्तके पुस्तकानि। परन्तु पुष्प और पत्र में आनि के स्थान पर आणि लगेगा-पुष्पाणि, पत्राणि ।

२. ‘भू’ (लट्, मध्यमपुरुष) भवसि भवथः भवथ म० पु०

संक्षिप्तरूप-


असि अथः अथ (म० पु०)

म० पु० एक० में असि, द्वि० में अथः,

बहु० में अथ लगेगा।

रक्ष आदि के रूप इसी प्रकार चलेंगे। जैसे- रक्षसि, वदसि, पचसि, पतसि, नमसि आदि।

३. संस्कृत में तीन वचन होते हैं-

एकवचन द्विवचन बहुवचन। एक के लिए एकवचन (एक०), दो के लिए द्विवचन (द्वि०), तीन या अधिक के लिए बहुवचन (बहु०)

४. तीन पुरुष होते हैं

प्रथम (या अन्य) पुरुष (प्र० पु० या प्र०) अर्थात् वह, वे दोनों, वे

सब, किसी व्यक्ति या वस्तु का नाम। (२) मध्यम पुरुष (म० पु० या म०) अर्थात् तू, तुम

दोनों, तुम सब। (३) उत्तम पुरुष (उ० पु० या उ०) अर्थात् मैं, हम दोनों, हम सब ये नाम स्मरण कर लें।

५. संस्कृत में संबोधन-सहित ८ विभक्तियाँ (कारक) होती हैं। उनके नाम और चिह्न ये हैं

(पष्ठी को कारक नहीं माना जाता है। संबोधन प्रथमा का ही भेद है)

नियम ७- (अच्हीनं परेण संयोज्यम्) हल् व्यंजन आगे के स्वर से मिल जाता है। (यह नियम ऐच्छिक है)। जैसे-त्वम् अद्यत्वमद्य यूयम् इदानीम् यूयमिदानीम् ।

उदाहरण वाक्य :​

१. तू कहता है-त्वं वदसि

२. तुम दोनों कहते हो-युर्वा बदमः ।

३. तुम लोग कहते हो-यूर्य वदथ

४. त्वम् ईश्वरं नमसि

५. युवां भोजन पचथः ।

६. यूर्य पुस्तकानि पठथ।

७. त्वमद्य पुस्तकं पठसि

८. यदा यूयं गच्छथ, तदा सः पत्र लिखति।

९. त्वं राज्यं रक्षसि

१०. यूयं पुष्पाणि रक्षथ

११. त्वं गृहं गच्छसि।

२. संस्कृत बनाओ :-​

(क) १. तू पढ़ता है।

२. तू पत्र लिखता है।

३. तू भोजन पकाता है।

४. तू राज्य की रक्षा करता है।

५. तू फल की रक्षा करता है।

६. तू सत्य बोलता है।

७. तू घर जाता है।

८. तू असत्य बोलता है।

९. तू राजा को प्रणाम करता है।

१०. तू यहाँ आता है।
 

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