जज़्बात लिखे
तो मालूम हुआ
पढ़े लिखे लोग भी
पढ़ना नहीं जानते.. 
तोड़ दी कलम
फाड़ दी डायरी
पत्थरों को रिझाने के लिए

कब तक लिखता शायरी..!
जिंदगी में बहुत कुछ सीखा है मैंने

पर जिंदगी कैसे जीना है ये सीखना बाकी है
न शक़्ल बदला
न ही बदला मेरा किरदार
बस लोगों के देखने का
नज़रिया बदल गया
अगर आपका कोई अपना नहीं है
तो यकीन मानिए
कोई खतरा नहीं है…!!
ना जाने मेरे दिन इतने क्यू उदास है
ना कोई सफर है ना कोई पास है।
मुझ में कुछ हुनर खास नही
सादगी के सिवा कुछ मेरे पास नहीं
मै खुश हूं
ए जिंदगी खुद से
मैने मौका नहीं दिया दिल
तोड़ने वालो को
कोई भी चीज हमेशा एक सी नही रहती यारो
गम भी बदल जाते है
उमर बदलने के साथ।
क्या खूब होता की ये दुख
भी रेत की तरह होते?
हम इन्हें मुठ्ठी
से कब के गिरा दिए होते।।।
देख कर आइना
तसल्ली हुई..
इस घर
में हमको जानता है कोई
खुद
को लोगों की नजरों
में आजमाना छोड़ दो,
जो तुम्हें ना समझे
उन्हें समझाना ही छोड़ दो
मुझे गलत कहने वाले
तेरा सही होना भी तो ज़रूरी है

सोच
कैसी है ईमान कैसा है

लफ्ज़ बता देते हैं इंसान कैसा है..!!
आज कल लफ्जो की जुबा लोग कहा समझते है
मैने देखा
आज भीं लोग राह में भटकते है
ख्वाबों
से निकलकर बाहर आओ 
दिल
कितना उदास
है जरा लफ्जो में बताओ…


पढ़े लिखे लोग भी


तोड़ दी कलम


पत्थरों को रिझाने के लिए


कब तक लिखता शायरी..!

जिंदगी में बहुत कुछ सीखा है मैंने


पर जिंदगी कैसे जीना है ये सीखना बाकी है

न शक़्ल बदला


बस लोगों के देखने का


अगर आपका कोई अपना नहीं है

तो यकीन मानिए


ना जाने मेरे दिन इतने क्यू उदास है

ना कोई सफर है ना कोई पास है।

मुझ में कुछ हुनर खास नही

सादगी के सिवा कुछ मेरे पास नहीं

मै खुश हूं


मैने मौका नहीं दिया दिल


कोई भी चीज हमेशा एक सी नही रहती यारो

गम भी बदल जाते है


क्या खूब होता की ये दुख

हम इन्हें मुठ्ठी

देख कर आइना

इस घर


खुद


जो तुम्हें ना समझे


मुझे गलत कहने वाले

तेरा सही होना भी तो ज़रूरी है


सोच



लफ्ज़ बता देते हैं इंसान कैसा है..!!
आज कल लफ्जो की जुबा लोग कहा समझते है

मैने देखा


ख्वाबों


दिल

